बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मानो चुनाव प्रचार की शुरुआत कर दी।
उन्होंने लखनऊ में आयोजित प्रबुद्ध कार्यक्रम में मुसलमानों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया और बीजेपी के साथ ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को भी निशाने पर लिया।
लेकिन उन्होंने इसके साथ ही ब्राह्मणों को भी लुभाने की कोशिश की और कहा कि उनके राज में सबका विकास होगा।
मायावती ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह यानी प्रमुख को निशाने पर लेते हुए सवाल किया, "आरएसएस प्रमुख ने कहा है कि हिंदू और मुसलमानों के पूर्वज एक ही हैं। हिंदुओं और मुसलमानों के पूर्वज एक ही हैं तो बीजेपी मुसलमानों के साथ सौतेला रवैया क्यों अपनाती है?"
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने सपा और कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा,
“
मुसलमानों को तबाह और बर्बाद करने के मामले में सपा और कांग्रेस भी कम नहीं रही हैं। पश्चिमी यूपी में मेरठ का मलियाना और मुज़फ़्फ़रनगर कांड मुसलमानों को नहीं भूलना चाहिए।
मायावती, नेता, बहुजन समाज पार्टी
ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश
सोशल इंजीनियरिंग के जिस फ़ॉर्मूले पर बीएसपी इसके पहले प्रदेश की सत्ता में आ चुकी है, मायावती ने उसे एक बार फिर आजमाने का फ़ैसला किया है। यह इससे समझा जा सकता है कि प्रबुद्ध सम्मेलन दरअसल ब्राह्मणों का सम्मेलन ही था, लेकिन जातिवादी सम्मेलन कराने के चुनाव आयोग के प्रतिबंध की वजह इसका नाम बदल दिया गया।
बीएसी के प्रबुद्ध सम्मेलन में सतीश मिश्रा
मायावती ने इसके पहले ब्राह्मणों को केंद्र में रख कर कई कार्यक्रम किए और इस जाति के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की थी।
मंगलवार के इस सम्मेलन में बीएसपी प्रमुख ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में उनकी पार्टी जीत कर सरकार बनाएगी तो समाज के सभी वर्गों पर समान ध्यान दिया जाएगा, सबका विकास होगा।
मायावती ने कहा,
“
हम सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की नीति को लागू करेंगे, जैसे हमने 2007 में किया था। हमने सिर्फ दलित ही नहीं, बल्कि सवर्णों का भी ध्यान रखा था। हमारी पार्टी एक जाति की पार्टी नहीं है, यह समाज के हर वर्ग की पार्टी है।
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सोशल इंजीनियरिंग
उन्होंने कहा, "ब्राह्मणों ने माना है कि बीएसपी के शासनकाल में उनकी स्थिति बीजेपी शासनकाल से बेहतर रही है। जिस तरह हमने 2007 में पूर्ण बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी, इस बार भी करेंगे। इसलिए ज़्यादा से ज़्यादा ब्राह्मणों को बीएसपी से जुड़ना चाहिए।"
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि इस बार सत्ता में आने के बाद मूर्तियाँ या स्मारक बनाने पर ज़ोर नहीं दिया जाएगा 'क्योंकि पहले ही थोक के भाव में स्मारक बनाए जा चुके हैं।'
बता दें कि मायावती ने बीएसपी के नेता कांशी राम ही नहीं, अपनी मूर्तियाँ भी लगवाई थीं और खुद ही उसका उद्घाटन भी किया था।
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की संख्या लगभग 11 प्रतिशत है और वे कई विधानसभा सीटों पर निर्णायक स्थिति में हैं।