महज आँखें तरेरकर गठबंधन में मनमाफ़िक हिस्सेदारी पा बैठे लोकजनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान की तर्ज़ पर यूपी में बीजेपी गठबंधन में सबसे बड़े साझीदार अपना दल (एस) ने भी रंग दिखाना शुरू कर दिया है। 5 साल पुराने गठबंधन में पहली बार उत्तर प्रदेश में अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल (एस) ने बीजेपी को घुड़की दी है। अपना दल (एस) के इस तेवर के पीछे लोकसभा चुनाव में कुछ ज़्यादा हिस्सेदारी के साथ योगी के मंत्रिमंडल में कम से कम एक और मंत्री पद की चाह साफ़ नज़र आती है। गठबंधन के एक अन्य भागीदार ओमप्रकाश राजभर की सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी काफ़ी समय से विपक्ष जैसा व्यवहार कर ही रही है।
दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव और उसके भी पहले राज्यसभा व विधान परिषद चुनावों में बीजेपी ने अपना दल (एस) से एक मंत्री पद देने का वादा किया हुआ था। बीते छह महीनों से कई कारणों से यूपी में योगी मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है और इसी बीच लोकसभा चुनाव सिर पर आ गए हैं।
अपना दल (एस) को 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गठबंधन के तहत मिर्ज़ापुर और प्रतापगढ़ की सीटें दी थीं। मिर्ज़ापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल जहाँ केंद्र में स्वास्थ्य राज्य मंत्री हैं, वहीं प्रतापगढ़ से सांसद हरिवंश सिंह पार्टी में फूट के बाद से दूसरे ख़ेमे में नज़र आ रहे हैं।
मंत्रिमंडल में चाहिए जगह
अपना दल (एस) अब लोकसभा में न केवल तीन सीट चाहता है बल्कि प्रतापगढ़ के बजाय उसकी किसी अन्य सीट पर भी नज़र है। दूसरी ओर, अनुप्रिया पटेल के अपनी माँ कृष्णा पटेल से अलग होने के बाद एक तरह से पार्टी में सब कुछ देख रहे उनके पति आशीष पटेल लंबे समय से योगी मंत्रिमंडल में प्रवेश की बाट जोह रहे हैं।
माना जाता है कि इन दोनो मसलों में देरी होते देख और तेवर अपनाने के बाद पासवान की मान-मनौव्वल को देखते हुए अपना दल (एस) ने भी वही रास्ता अख़्तियार किया है।
मिर्ज़ापुर में मंगलवार को अपना दल (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने कहा कि बीजेपी की प्रदेश इकाई में अपना दल के कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं है। आशीष पटेल ने कहा कि प्रदेश बीजेपी हमारे कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी का यही रवैया रहा तो गठबंधन पर विचार किया जाएगा। आशीष पटेल ने कहा कि हम लोगों को सम्मानजनक सीट मिलनी चाहिए, नहीं तो हमारी पार्टी गठबंधन पर विचार करेगी।
पटेल ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को कार्यक्रमों में नहीं बुलाया जाता है। इस मामले को लेकर वह बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से नाराज़गी जता चुकी हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें गठबंधन में सम्मान मिले और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दोबारा सरकार बने। पटेल ने यह भी कहा कि बीजेपी को तीन प्रदेशों में मिली पराजय से सीख लेनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि आश्वासन के बाद भी किसी भी आयोग में अपना दल के नेताओं को जगह नहीं दी गई है।
अपना दल (एस) के इस तेवर के पीछे लोकसभा चुनाव में कुछ ज़्यादा हिस्सेदारी के साथ योगी के मंत्रिमंडल में कम से कम एक और मंत्री पद की चाह साफ़ नज़र आती है।
बीजेपी ने कहा, सुलझा लेंगे
अपना दल (एस) के इस रुख पर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन ने कहा, ‘दोनों दलों ने 2014 लोकसभा, 2017 विधानसभा व कई राज्यसभा व विधान परिषद चुनाव मिलकर लड़े हैं। आने वाले लोकसभा चुनावों में भी हम अपना दल (एस) के साथ मिलकर मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाने का काम करेंगे’। उन्होंने कहा कि अगर कहीं सम्मान या कोई और मसला है तो उसे मिल बैठ कर दूर कर लेंगे। डॉ. चंद्रमोहन ने कहा कि बीजेपी इन सभी मुद्दों पर विचार कर इन्हें सुलझा लेगी।
राजभर के तीखे तेवर बरक़रार
दूसरी ओर, बगावती तेवर अपनाए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी की मुसीबतें बढ़ाते हुए जल्दी ही पिछड़ों के आरक्षण को तीन हिस्सों में बाँटने के मुद्दे पर आंदोलन खड़ा करने की चेतावनी दे डाली है। आरक्षण के बँटवारे को लेकर राजभर सबसे ज्यादा मुखर हैं और उनका कहना है कि अति पिछड़ी जातियों के लिए वह कोई भी कदम उठाने से हिचकेंगे नहीं।