कानपुर: बदमाश विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर हमला, 8 पुलिसकर्मी शहीद

01:09 pm Jul 05, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

कानपुर देहात के बिकरू गांव में गुरूवार देर रात को हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर बदमाशों ने हमला कर दिया। इसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए हैं। शहीद होने वालों में डिप्टी एसपी और बिल्होर के सर्किल अफ़सर देवेंद्र मिश्रा, स्टेशन अफ़सर शिवराजपुर महेश यादव भी शामिल हैं। दो सब इंस्पेक्टर और चार सिपाही भी शहीद हुए हैं। इसके अलावा सात पुलिस कर्मी घायल हो गए हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की रिपोर्ट मांगी है। 

बिकरू गांव कानपुर देहात की शिवली पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है। कानपुर ज़ोन के एडीजी जेएन सिंह ने कहा है कि घटना को देखते हुए पड़ोसी जिलों कन्नौज और कानपुर देहात से भी पुलिस को बुला लिया गया है। 

बिकरू गांव के एक व्यक्ति ने पुलिस से शिकायत की थी कि उसे धमकी दी जा रही है। इसमें विकास दुबे का नाम आया था। पुलिस के गांव में पहुंचने से पहले ही बदमाशों ने रास्ते में जेसीबी लगा दी थी। 

पुलिस ने कहा है कि विकास दुबे को गिरफ़्तार करने के लिए भारी संख्या में पुलिसकर्मी बिकरू गांव में पहुंचे थे लेकिन बदमाशों ने पूरी योजना के साथ पुलिस को घेरकर उन पर फ़ायरिंग शुरू कर दी। इससे लगता है कि बदमाशों को पुलिस के आने की जानकारी थी और वह पहले से ही तैयारी के साथ बैठे थे। 

विकास दुबे वह हिस्ट्रीशीटर है, जिसने 2001 में बीजेपी नेता संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। शुक्ला राजनाथ सिंह की सरकार में मंत्री थे। बताया गया है कि विकास दुबे पर 57 आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं और वह बेहद शातिर बदमाश है। 

घटना के बाद मुख्यमंत्री ने पुलिस के आला अधिकारियों से बात की है और बदमाशों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। इलाक़े में बड़ी सख्या में पुलिस बल तैनात है। 

क़ानून व्यवस्था पर सवाल 

इस जघन्य वारदात के बाद प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं। क्योंकि योगी सरकार लगातार दावा करती रही है कि उसने अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया है। लेकिन अगर ऐसा होता तो इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को शहीद नहीं होना पड़ता। 

बीते कई सालों में यूपी पुलिस ने बड़ी संख्या में बदमाशों का एनकाउंटर किया है लेकिन कानपुर की घटना के बाद ऐसा लगता है कि बदमाश अभी भी बेख़ौफ़ हैं और उन पर नकेल कसने का योगी सरकार का दावा फ़ेल साबित हुआ है। 

सवाल यह भी है कि विकास दुबे ने गांव में इतनी बड़ी संख्या में हथियार इकट्ठे किए हुए थे और पुलिस को इसका पता तक नहीं चल सका।