उत्तर प्रदेश के लखीमपुर ज़िले में प्रदर्शन करने जा रहे किसानों को कथित रूप से कार से रौंद कर मार देने के आरोप पर हिंसा भड़क उठी है। लखीमपुर सांसद व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे मोनू की कार से यह हादसा हुआ है। इसमें आठ लोगों की मौत हुई है। रिपोर्ट है कि 4 लोगों की मौत कार से कुचलकर हुई है जबकि चार अन्य लोगों की मौत हुई है। कई अन्य घायल हुए हैं।
कुछ ही दिन पहले खुद को 'ताक़तवर', 'निपट लेने वाले' बताते हुए 'किसानों को दुरुस्त' करने वाले टेनी मिश्रा के बयान से किसानों में रोष भी था। प्रदर्शनकारी किसान लखमीपुर के बनबीरपुर इलाक़े में राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की सभा में कृषि कानूनों को लेकर विरोध जताने जा रहे थे।वहीं केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे उप मुख्यमंत्री को रिसीव करने जा रहे थे।
किसानों का आरोप है कि नारे लगाते सभा स्थल की ओर बढ़ रही भीड़ पर जानबूझ कर मंत्री के बेटे ने कार चढ़ाकर उन्हें रौंद डाला।
हंगामा
गुस्साए किसानों ने जमकर हंगामा किया, कई गाड़ियों में आग लगा दी और पत्थर फेंके। ख़बर लिखे जाने तक किसानों का बवाल जारी था और आसपास के इलाकों से किसान मौके पर पहुँच रहे थे।
प्रदेश सरकार ने हालात को देखते हुए अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) क़ानून व्यवस्था प्रशांत कुमार को मौके पर भेजा है।
बवाल
बेखौफ़ मंत्री पुत्र की कार के नीचे आकर चार किसानों की मौके पर मौत हो गयी, दूसरे कई लोग घायल हो गए हैं।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की हैं। घायल किसानों को अस्पताल भेजा गया है।
Twitter/kisam ekta morcha
साथी किसानों की मौत और उन्हें खून से लथपथ देख बाकी किसानों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने तोड़फोड़ शुरू कर दी। मंत्री पुत्र की गाड़ी सहित काफिले के कई अन्य वाहनों को आग लगा दी गयी।
मौके पर मौजूद पुलिस वालों को उत्तेजित किसानों ने दौड़ा दौड़ा कर पीटा। हालात को काबू में करने के लिए आसपास के कई थानों की पुलिस बुला ली गयी।
योगी : उपद्रवी ज़िम्मेदार
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में 'उपद्रवियों' को ज़िम्मेदार ठहराया है और कहा है कि उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा,
“
इस प्रकार की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार इस घटना की तह में जाएगी और घटना में शामिल तत्वों को बेनकाब करेगी और दोषियों के विरुद्ध सख़्त कार्रवाई करेगी।
योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
उन्होंने कहा कि घटना स्थल पर अपर मुख्य सचिव नियुक्ति, कार्मिक एंव कृषि, एडीजी क़ानून व्यवस्था, आयुक्त लखनऊ और आईजी लखनऊ मौजूद हैं और स्थिति पर नियंत्रण रखते हुए घटना के कारणों की गहराई से जाँच कर रहे हैं।
मंत्री की सफाई
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र ने कहा कि उनका बेटा उस समय गाड़ी नहीं चला रहा था। उन्होंने इस आरोप को कोरा झूठ क़रार दिया है।
उन्होंने कहा, "वो, मैं या मेरे परिवार का कोई भी सदस्य उस वक़्त वहाँ मौजूद ही नहीं था।"
अजय मिश्र ने कहा, "जैसा कि आप सबको जानकारी है कि हमारे पैतृक गाँव में प्रतिवर्ष कुश्ती प्रतियोगिता का कार्यक्रम होता है। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बतौर मुख्य अतिथि आज माननीय उपमुख्यमंत्री जी को आना था और लखीमपुर में पीडब्ल्यूडी का कार्यक्रम था, वह करके हम दोनों लोग साथ आ रहे थे।"
"जब हम कार्यक्रम स्थल से थोड़ी दूर थे तो हमारा रूट यह बता कर बदल दिया गया कि कुछ किसान वहाँ पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और काला झंडा दिखाने की कोशिश करेंगे। उसके बाद हमारे कार्यकर्ता चार पाँच गाड़ियों से हमें लेने आ रहे थे। उन कार्यकर्ताओं पर किसानों के बीच शामिल अराजक तत्वों ने पथराव किया। इसकी वजह से वो गाड़ियाँ रुकीं।"
उन्होंने इसके आगे कहा,
“
हमारे कार्यकर्ताओं को गाड़ियों से खींच कर लाठी, डंडे और तलवारों से पीटा गया। इसका वीडियो हमारे पास है। फिर गाड़ियों को धक्का देकर गड्ढे में गिराया गया। उन गाड़ियों को जलाया गया। उसके साथ साथ दूसरी गाड़ियों में भी भारी तोड़फोड़ की गई।
अजय कुमार मिश्र, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री
किसानों से बातचीत
बीबीसी का कहना है कि राज्य सरकार के निर्देश के बाद यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार और एसीएस (कृषि) देवेश चतुर्वेदी किसानों से बातचीत के लिए लखीमपुर खीरी पहुँच गए हैं।
ज़िलाधिकारी डॉक्टर अरविंद कुमार चौरसिया, एसपी विजय ढुल और एडीजी आईजी लक्ष्मी सिंह वहां किसानों से बातचीत कर रहे हैं।
बेअंदाज हैं मंत्री व बेटे
अब से कुछ ही दिन पहले लखीमपुर में अपने स्वागत में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री टेनी मिश्रा ने अपने आपराधिक इतिहास का हवाला देते हुए कहा था कि किसानों को ठीक कर देंगे।
टेनी मिश्रा के ख़िलाफ़ छात्र जीवन से ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। इतना ही नहीं उनके बेटे की छवि भी इलाके में दबंग की है।
कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या लखीमपुर खीरी कार्यक्रम में रिसीव करने के लिए गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी अपने पुत्र मोनू के साथ जा रहे थे।
रास्ते में उनकी किसानों से भिडंत हो गई। किसानों ने रास्ता नहीं दिया तो मोनू ने तेज़ रफ़्तार गाड़ी किसानों की भीड़ पर चढ़ा दी। किसानों पर गाड़ी चढ़ते ही कोहराम मच गया। सड़क किसानों के खून से लाल हो गई।
Twitter/kisam ekta morcha
टिकैत पहुँच रहे लखीमपुर
घटना की जानकारी मिलते ही किसान नेता राकेश टिकैत लखीमपुर के लिए रवाना हो गए हैं।कांग्रेस प्रदेश महासचिव सैफ़ नकवी, प्रदेश सचिव गुरमीत भुल्लर, अभिषेक पटेल व पूर्व सासंद जफ़र अली नक़वी के नेतृ्त्व में प्रतिनिधिमंडल लखीमपुर पहुँच गया है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इन नेताओं की घटना की पूरी जानकारी कर रिपोर्ट देने को कहा है।
भारतीय किसान यूनियन ने हालात पर दुख जताते हुए कहा कि टिकैत दिल्ली बार्डर से लखमीपुर रवाना हो गए हैं, जहाँ वह आगे के आंदोलन को लेकर एलान करेंगे।
इस हिंसक घटना के बाद अभी तक पश्चिम में चल रहे किसान आंदोलन के प्रदेश के बाकी हिस्सों में भी भड़कने का अंदेशा है।
राकेश टिकैत, नेता, भारतीय किसान यूनियन
राकेश टिकैत ने हत्या का मामला दर्ज करने और संदिग्धों को गिरफ़्तार करने की माँग की है।
क्या कहा अखिलेश ने?
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि कृषि कानूनों का शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसानों को बीजेपी सरकार के गृह राज्यमंत्री के पुत्र द्वारा गाड़ी से रौंदना घोर अमानवीय और क्रूर कृत्य है। उत्तर प्रदेश दम्भी बीजेपी वालों का ज़ुल्म अब और नहीं सहेगा। यही हाल रहा तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी न गाड़ी से चल पायेंगे न उतर पाएंगे।
अखिलेश यादव, नेता, समाजवादी पार्टी
प्रियंका जाएंगी लखीमपुर
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी सोमवार को लखीमपुर खीरी जाकर पीड़ित परिवारों से मिलेंगी। राहुल गांधी के भी जाने की संभावना है।
राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव भी लखीमपुर जाकर पीड़ितों से मिलेंगे।
विरोध प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश के कई इलाक़ों में लखीमपुर खीरी की घटना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
पीलीभीत में किसान संगठनों और पुलिस के बीच झड़प हो गई है।
लखनऊ में भी किसान सड़कों पर उतर आए हैं। इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे पर किसानों ने प्रदर्शन किया है।शामली में सैकड़ों किसान सड़क पर लेट गए हैं। पश्चिमी यूपी में हालात संवेदनशील हो गई है।
बता दें कि बीते साल संसद से पारित तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ देश के अलग-अलग जगहों पर किसानों ने आन्दोलन किए हैं। सबसे मुखर आन्दोलन पंजाब और हरियाणा में हुए हैं। हरियाणा में कई जगहों पर किसान महापंचायत हुए, जिनमें हज़ारों की तादाद में किसानों ने शिरकत की।