योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में गंगा तट पर कैबिनेट की बैठक की और पूरे कैबिनेट ने कुंभ में स्नान किया। इससे इस आरोप को बल मिलता है कि सरकार राज्य की समस्याओं के समाधान करने के बजाय लोगों का ध्यान बँटाने के लिए कुछ न कुछ करती रहती है। पूरे तामझाम के साथ गंगा में डुबकी लगाने के राजनीतिक मायने भी हैं, क्योंकि चुनाव कुछ महीने बाद ही होने हैं।
गंगा में डुबकी लगाने के बाद मुख्यमंत्री ने मायावती की ड्रीम प्रोजेक्ट कही जाने वाली गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना को फिर शुरू करने का एलान भी कर दिया।
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पहले से छोटा होगा एक्सप्रेसवे
चुनाव के ठीक पहले दुनिया की सबसे लंबी एक्सप्रेसवे परियोजना शुरू करने का एलान कर आदित्यनाथ ने राज्य की जनता को कुछ संकेत देने की कोशिश भी की है। हालाँकि यह एक्सप्रेसवे माया की परियोजना के मुकाबले काफ़ी छोटा यानी क़रीब 600 किलोमीटर का होगा।
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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के लिंक मार्गों के निर्माण पर भी कैबिनेट ने सहमति दी है। सर्जिकल स्ट्राइक का महिमामंडन करती हुई फ़िल्म 'उरी' को उत्तर प्रदेश में कर मुक्त कर दिया गया है। इतना ही नहीं, ख़ुद योगी इस फ़िल्म को देखने जाएँगे और वह भी अपनी पूरी कैबिनेट के साथ।
प्रयागराज में मौजूद योगी कैबिनेट
मेरठ, अमरोहा, बुलंदशहर, बदायूं, हरदोई, रायबरेली प्रतापगढ़ से लेकर प्रयागराज तक बनने वाला 600 किलोमीटर का गंगा एक्सप्रेसवे विश्व में सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा।
36,000 करोड़ रुपये होंगे खर्च
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुंभ मीडिया सेंटर में बताया कि एक्सेस कंट्रोल्ड फ़ोर लेन गंगा एक्सप्रेसवे को छह लेन का भी किया जा सकता है। इसके निर्माण पर 36,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे और 6,556 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद प्रयागराज पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जुड़ जाएगा।
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इससे पहले 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना की परिकल्पना की थी। उस समय गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण नोएडा से लेकर बलिया तक (1047 किलोमीटर) होना था। माया सरकार में इस परियोजना की लागत 40,000 करोड़ रुपये आंकी गई थी। निजी सार्वजनिक सहभागिता (पीपीपी) के आधार पर बनने वाली इस परियोजना के लिए डीएलएफ़, एल एंड टी, रिलांयस इंफ़्रा, ओमेक्स-जीवीके, यूनीटेक, जीएसआर और जेपी समूह सहित 18 बड़ी कंपनियों ने रुचि दिखाई थी।
माया सरकार ने गंगा एक्सप्रेसवे बनाने का काम अपने विश्वस्त जेपी समूह को सौंपा था। लेकिन बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशों व पर्यावरण पर इसके प्रभावों के चलते इस परियोजना पर काम शुरू नहीं हो सका था।
बैठक का धार्मिक प्रभाव भी दिखा
क़रीब 56 साल बाद राजधानी लखनऊ से इतर और वह भी प्रयागराज में हुई कैबिनेट की बैठक का धार्मिक प्रभाव भी नजर आया। योगी ने बताया कि कैबिनेट ने तय किया है कि महर्षि भारद्वाज पार्क के सौन्दर्यीकरण की तर्ज पर महर्षि भारद्वाज के आश्रम का भी सौन्दर्यीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि श्रृंगवेरपुर प्रयागराज से सटा प्रमुख तीर्थस्थल है। उसे भी विकसित किया जाएगा। वहाँ स्थित आश्रम का सौन्दर्यीकरण किया जाएगा।
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योगी ने कहा, ‘वैदिक संस्कृति से भौतिक संस्कृति में और पूरी दुनिया में राम को अपनी रामायण के माध्यम से आम जन तक पहुँचाने वाले महर्षि वाल्मीकि का आश्रम प्रयागराज और चित्रकूट के बीच है। वहाँ उनकी भव्य प्रतिमा, रामायण पर शोध संस्थान एवं आश्रम का निर्माण होगा।