योगी के 'अब्बा जान' वाले बयान पर घमासान, टीएमसी - स्वत: संज्ञान ले सुप्रीम कोर्ट
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'अब्बा जान' वाले बयान पर ज़बरदस्त प्रतिक्रियाएँ हो रही हैं और उन पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया जा रहा है।
बता दें कि रविवार को मुख्यमंत्री ने कुशीनगर में एक जनसभा में कहा था, ''आज हर ग़रीब को मुफ़्त राशन मिल रहा है। 2017 के पहले अब्बाजान कहने वाले ग़रीबों का राशन हजम कर जाते थे। उनके चेलों में बँटकर यह राशन नेपाल व बांग्लादेश चला जाता था। आज कोई गरीबों का राशन निगलने की कोशिश करेगा तो निगल भले न सके, लेकिन जेल ज़रूर चला जाएगा।''
सांप्रदायिक आधार पर भड़काने की कार्रवाई?
सारा बावेला इसी पर मचा हुआ है। मोटे तौर पर मुसलिम समुदाय के लोग अपने पिता को 'अब्बा जान' कहते हैं। मुख्यमंत्री के बयान का यह अर्थ निकाला जा रहा है कि मुसलिम समुदाय के लोग सारा अनाज़ हड़प लेते थे और दूसरों को यानी हिन्दुओं तक वह नहीं पहुँचता था।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस पर ट्वीट कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, "एक निर्वाचित मुख्यमंत्री खुले आम सांप्रदायिक आधार पर लोगों को भड़का रहे हैं। यह भारतीय दंड संविदा की धारा 153 का उल्लंघन है। क्या कोई इस पर स्वत: संज्ञान लेगा?"
“Those who used to say 'Abba Jaan' digested the ration for the poor."
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) September 12, 2021
An elected CM in India guilty of overtly communal incitement, flagrant violation of Section 153 A of IPC
Suo Moto Cognizance anyone? Supreme Court? @Uppolice
कांग्रेस
कांग्रेस ने योगी पर हमला करते हुए पूछा कि आप कौन से जान हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने पूछा, "योगी साहब आप कौन से जान हैं? आपके कौन से अब्बाजान हैं और कौन से भाईजान हैं?"
उन्होंने इसके आगे कहा कि यह पूरे देश को पता है।
समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी ने भी योगी आदित्यनाथ को खरी खोटी सुनाई है। पार्टी प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि साढ़े चार साल में यूपी में सिर्फ घोटाले ही हुए हैं। योगी अपने साढ़े चार साल का काम नहीं गिना पा रहे हैं तो जनता का ध्यान भटकाने के लिए इधर-उधर की बातें कर रहे हैं। चुनाव में इसबार बीजेपी को झटका लगने वाला है।
उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी सांप्रदायिकरण और मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने के अलावा किसी दूसरे एजेंड पर चुनाव नहीं लड़ सकती है। उन्होंने कहा कि यहाँ एक ऐसा मुख्यमंत्री है जो दुबारा निर्वाचित होना चाहता है और दावा करता है कि सारा अनाज मुसलमानों ने खा लिया।
I’ve always maintained the BJP has no intention of fighting any election with an agenda other than blatant communalism & hatred with all the venom directed towards Muslims. Here is a CM seeking re-election claiming that Muslims ate up all the rations meant for Hindus. https://t.co/zaYtK43vpd
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) September 12, 2021
ओवैसी का पलटवार
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सदस्य असदउद्दीन ओवैसी ने योगी आदित्यनाथ की इस टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने पूछा है, ''2017-18 में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत मात्र 10 मुसलमानों को घर मिले। अब्बा के बहाने किसके वोटों का तुष्टीकरण हो रहा है बाबा? देश के 9 लाख बच्चे गंभीर तौर पर कुपोषित हैं, जिनमें से चार लाख बच्चे सिर्फ़ यूपी से हैं।''
कैसा तुष्टिकरण? प्रदेश के मुसलमानों की साक्षरता-दर सबसे कम है, मुस्लिम बच्चों का Dropout rate सबसे ज़्यादा है। मुस्लिम इलाक़ों में स्कूल-कॉलेज नहीं खोले जाते।अल्पसंख्यकों के विकास के लिए केंद्र सरकार से बाबा की सरकार को ₹16207 लाख मिले थे, बाबा ने सिर्फ ₹1602 लाख खर्च किया। 1/ https://t.co/Vnl5s8Axm5
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 13, 2021
ओवैसी ने इसके आगे तंज किया, ''ग्रामीण उत्तर प्रदेश में 13944 सब-सेंटर्स की कमी है, 2936 पीएचसी की कमी है, 53% सीएचसी की कमी है। केंद्र सरकार के मुताबिक़ बाबा-राज में यूपी के पीएचसी में सबसे कम डॉक्टर हैं। कुल 2277 डॉक्टरों की कमी है। अगर काम किए होते तो अब्बा, अब्बा चिल्लाना नहीं पड़ता।''
बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की गहमागहमी शुरू हो गई है। बीजेपी ने कहा है कि वह उत्तर प्रदेश में चुनाव योगी आदित्यनाथ की अगुआई में ही लड़ेगी। मुख्यमंत्री काफी आक्रामक हैं और इस तरह की बात पहले भी कह चुके हैं।
उन्होंने इसके पहले एक बार कहा था कि अब्बा जान ने कार सेवकों पर गोलियाँ चलाई थीं। उनका इशारा मुलायम सिंह यादव की ओर था, जिन्होंने बाबरी मसजिद के गुंबद पर चढ़ गए लोगों को वहां से हटाने के लिए पुलिस को क़ार्रवाई करने का आदेश दिया था।