उत्तर प्रदेश में बढ़ती आबादी पर रोक लगाने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण क़ानून का मसौदा पेश करने के बाद अब नयी जनसंख्या नीति शुरू की है। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस पर घोषित की गई इस नीति में दो या इससे कम बच्चे रखने वालों को प्रोत्साहन तो दिया ही जाएगा, इसके साथ ही 2026 तक जनसंख्या वृद्धि दर को कम कर 2.1 और 2030 तक इसे 1.9 पर लाने का लक्ष्य रखा गया है।
राज्य में फ़िलहाल कुल प्रजनन क्षमता यानी टीएफ़आर 2.7 है। प्रजनन क्षमता से मतलब है कि देश में हर जोड़ा औसत रूप से कितने बच्चे पैदा करता है। किसी देश में सामान्य तौर पर टीएफ़आर 2.1 रहे तो उस देश की आबादी स्थिर रहती है। इसका मतलब है कि इससे आबादी न तो बढ़ती है और न ही घटती है। फ़िलहाल भारत में टीएफ़आर 2.2 है।
हालाँकि, भारत जनसंख्या स्थिर होने के काफ़ी क़रीब है, लेकिन देश में अलग-अलग राज्यों में प्रजनन क्षमता अलग-अलग है। इसीलिए कई राज्यों में यह ज़्यादा है तो कई राज्यों में यह कम है। उत्तर प्रदेश में भी यह ज़्यादा है और इसी को कम करने का तर्क मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दे रहे हैं।
उन्होंने रविवार को नयी जनसंख्या नीति शुरू करने के अवसर पर कहा, 'जनसंख्या स्थिरीकरण की दिशा में प्रयास करने के साथ ही हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि देश की जनसांख्यिकी और संतुलन पर इसका कोई विपरीत प्रभाव न पड़े।'
मुख्यमंत्री ने कहा, दो बच्चों के बीच में अंतराल नहीं होने से उनके पोषण पर नकारात्मक असर तो पड़ेगा ही, साथ में शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर को नियंत्रित करने में अत्यंत कठिनाई होगी। योगी ने कहा कि 'उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-30' का संबंध प्रत्येक नागरिक के जीवन में खुशहाली व समृद्धि लाने से है। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के संबंध में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की ज़रूरत पर भी जोर दिया और विकास के लिए इसे ज़रूरी बताया।
इससे एक दिन पहले ही यूपी में जनसंख्या नियंत्रण क़ानून का मसौदा तैयार किए जाने की ख़बर आई है। इसके तहत दो से ज़्यादा बच्चे वालों को न तो सरकारी नौकरी मिलेगी और न ही वो स्थानीय निकायों, ग्राम पंचायत और ज़िला पंचायत का कोई चुनाव लड़ पाएँगे।
उत्तर प्रदेश के राज्य विधि आयोग ने सिफ़ारिश की है कि एक बच्चे की नीति अपनाने वाले माता पिता को कई तरह की सुविधाएँ दी जाएँ, वहीं दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरियों से वंचित रखा जाए। उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण क़ानून का मसौदा तैयार करके आम लोगों से इस पर सुझाव मांगे हैं।
यूपी विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एएन मित्तल ने कहा है कि बढ़ती जनसंख्या की वजह से कई तरह की दिक़्कतें पैदा हो रही हैं।
हालाँकि जनसंख्या नियंत्रण की ऐसी शुरुआत कई राज्यों में की गई है, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह तब किया जा रहा है जब कुछ महीने बाद ही विधानसभा के चुनाव हैं। इस कारण इसे ध्रुवीकरण की राजनीति से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए कि दक्षिणपंथियों की ओर से ऐसी धारणा बनाने की कोशिश की जाती रही है कि एक ख़ास समुदाय के लोग ज़्यादा बच्चे पैदा करते हैं। चुनाव में इसको लेकर ध्रुवीकरण होगा या नहीं, यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा।