उत्तर प्रदेश पुलिस ने कानपुर जिले के चौबेपुर पुलिस स्टेशन के स्टेशन अफ़सर विनय तिवारी को सस्पेंड कर दिया है। पुलिस को शक है कि पुलिस फ़ोर्स के बिकरू गांव में पहुंचने से पहले विनय तिवारी ने विकास दुबे को इसकी सूचना दी थी। दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम के 8 पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद सरकार और प्रशासन बेहद सख़्त रूख़ दिखा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक़, स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने विनय तिवारी से इस बारे में पूछताछ की थी और उन्हें तिवारी पर कुछ शक हुआ था। इंडिया टुडे के मुताबिक़, कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा कि तिवारी के ख़िलाफ़ लगे आरोपों के चलते उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है और आरोपों की गंभीरता से जांच की जा रही है।
आईजी अग्रवाल ने कहा कि तिवारी या किसी अन्य पुलिसकर्मी की इस मामले में संलिप्तता पाई जाती है तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा और जेल भी भेजा जाएगा। यह भी ख़बर है कि पुलिस तिवारी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर सकती है।
25 टीमें तलाश में जुटीं
कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया कि पुलिस की 25 टीमें विकास दुबे और उसके साथियों की तलाश में जुटी हुई हैं। ये टीमें उत्तर प्रदेश के कई जिलों में और दूसरे राज्यों में भी भेजी गई हैं। उन्होंने विकास दुबे के बारे में सूचना देने वाले शख़्स के लिए 50 हज़ार का नक़द इनाम भी घोषित किया है।
पूछताछ में जुटी स्पेशल टास्क फ़ोर्स
स्पेशल टास्क फ़ोर्स इस मामले में कई लोगों से पूछताछ कर रही है। विकास दुबे की कॉल डिटेल की जांच की गई है और पुलिस इसके आधार पर कई लोगों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। सैकड़ों नंबरों को पुलिस ने सर्विंलास पर रखा है। इस बात की जांच की जा रही है कि गांव में पुलिस के आने के बारे में विकास दुबे और उसके साथियों को सूचना किसने दी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ख़ुद शुक्रवार को कानपुर आए थे और इस घटना में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिजनों से मिले थे। मुख्यमंत्री ने सभी परिवारों को 1-1 करोड़ रुपये की सांत्वना राशि देने की घोषणा की थी। इस घटना में 7 पुलिसकर्मी घायल भी हो गए थे। बदमाश अंधेरे का फायदा उठाते हुए मौक़े से भाग निकले थे।
दूसरी ओर, विकास दुबे की मां सरला देवी ने बेटे की हरक़तों पर सख़्त नाराजगी जताई है। सरला देवी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा है कि उनके बेटे को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
सरला देवी ने कहा, ‘उसे पुलिस के सामने सरेंडर कर देना चाहिए। अगर वह भागता रहेगा तो पुलिस उसे एनकाउंटर में मार सकती है। मैं कहती हूं कि अगर आप उसे पकड़ लेते हैं तो उसे मार दो।’
विकास दुबे बेहद शातिर बदमाश है। उसका नाम पहली बार चर्चा में तब आया था, जब उसने 2001 में उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालीन राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की पुलिस थाने के अंदर हत्या कर दी थी।
दुबे के बारे में कहा जाता है कि उसकी सभी राजनीतिक दलों में अच्छी पकड़ है और वह जिला पंचायत का सदस्य भी रह चुका है। कई पार्टियों के नेता पंचायत और स्थानीय निकाय के चुनावों में दुबे की मदद लेते रहे हैं।
दुबे का कानपुर के आसपास के इलाक़ों में ख़ौफ़ माना जाता है और कहा जाता है कि उसके पास बदमाशों की एक अच्छी-खासी टीम है। दुबे को कानपुर के रिटायर्ड प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडे की हत्या में उम्र क़ैद की सजा हो चुकी है। विकास दुबे पर 60 आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं।