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यूपी पंचायत चुनाव के जरिए विधानसभा की तैयारियाँ कर रही है बीजेपी?

यूपी पंचायत चुनाव के जरिए विधानसभा की तैयारियाँ कर रही है बीजेपी?

उत्तर प्रदेश बीजेपी ने अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ अभी से शुरू कर दी हैं और पंचायत चुनावों को सेमीफ़ाइनल मान कर उसे काफी गंभीरता से लिया है।

उत्तर प्रदेश बीजेपी ने अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ अभी से शुरू कर दी हैं और पंचायत चुनावों को सेमीफ़ाइनल मान कर उसे काफी गंभीरता से लिया है। यही कारण है कि इसने राज्य के बड़े नेताओं और कुछ केंद्रीय मंत्रियो को इसमें उतारा है।

इतना ही नहीं, पैसा भी बहाया जा रहा है। पार्टी धनबल के अलावा बाहुबल का भी प्रयोग कर रही है और अपने सांगठनिक मशीनरी को भी चुस्त-दुरुस्त कर रही है। 

उत्तर प्रदेश बीजेपी यूपी पंचायत चुनाव 2021 को कितनी गंभीरता से ले रही है, इसे इससे समझा जा सकता है कि इसने ज़िला पंचायत की सभी 3,051 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। पार्टी ऐसा तब कर रही है जब ये चुनाव पार्टी के चुनाव चिह्नों पर नहीं होंगे। 

पार्टी ने हर ज़िले में चुनाव की निगरानी के लिए तीन-स्तरीय प्रणाली बनाई है। डॉक्टर चंद्रमोहन को मुज़फ़्फ़रनगर में तैनात किया गया है क्योंकि इस इलाक़े में किसान पार्टी से नाराज़ हैं और चुनावों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। 

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चंद्रमोहन ने कहा, "हर ज़िले का प्रभारी राज्य स्तर के नेतृत्व के किसी आदमी को बनाया गया है, उसके नीचे ज़िला स्तर व स्थानीय स्तर पर लोग हैं।" उन्होंने कहा, 

पंचायत चुनावों से यह साबित हो जाएगा कि प्रदेश के लोगों का अटूट विश्वास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में है।


डॉक्टर चंद्रमोहन, विधान पार्षद, बीजेपी

 पंचायत चुनावों से यह साबित हो जाएगा कि प्रदेश के लोगों का अटूट विश्वास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में है।

समाजवादी पार्टी भी गंभीर

यूपी पंचायत चुनाव 2021 में ज़िला पंचायतों के अलावा 58 हज़ार ग्राम प्रधान और 75 हज़ार ब्लॉक डेवलपमेंट कौंसिल पद के सदस्यों का भी चुनाव है। लिहाजा, बीजेपी ही नहीं, विपक्ष दलों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की निगाहें भी इस पर टिकी हुई हैं। 

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कुछ दिनों पहले ही आम्बेडकर जयंती पर दलित दीवाली मनाने का एलान कर दलितों तक पहुँचने की कोशिश की है।

इसका असली मकसद तो विधानसभा चुनाव के लिए जातीय गोलबंदी ही है, लेकिन वह कितना कामयाब हुआ और उसमें अभी और क्या कुछ करना है, इसकी एक झलक पंचायत चुनावों में भी मिल जाएगी।

समाजवादी पार्टी के विधान पार्षद उदयवीर सिंह ने पत्रकारों से कहा, "ये स्थानीय चुनाव हैं और स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाएंगे। इसलिए पार्टी ने ज़िला स्तर पर ही फ़ैसला छोड़ दिया है और ऊपर से किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है।"

कांग्रेस की तैयारियाँ

कांग्रेस पार्टी ने भी इसे पूरी गंभीरता से लिया है और ज़िला पंचायत के उम्मीदवारों का एलान समय से पहले ही कर दिया। पार्टी ने पंचायत स्तर को गंभीरता से लिया है और इस कारण ही वह किसान आन्दोलन को समर्थन दे रही है और उसे लेकर गंभीर है।

महासचिव प्रियंका गांधी ने पहले ही संगठन को मजबूत करने पर ज़ोर दिया था और कहा था कि इसके जरिए ही संगठन को दुरुस्त किया जाएगा ताकि आगे पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर सके। 

चार चरणों में होने वाले उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2021 में 8.69 लाख से ज़्यादा पदों के लिए लोग चुने जाएंगे और इसके लिए 17 लाख से अधिक उम्मीदवार मैदान में होंगे, यह संभावना जताई जा रही है।

इसे इससे समझा जा सकता है कि सिर्फ पहले चरण के मतदान के लिए ही 3.40 लाख से ज़्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले चरण में 20 ज़िलों में 2.21 पदों के लिए मतदान होगा। 

इसकी तुलना में 2017 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 403 सीटों के लिए मतदान हुआ और 4,850 उम्मीदवार मैदान में थे। 

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