यूपीः मौर्य का नया पैंतरा, बंद कमरे में दोनों डिप्टी सीएम के साथ भाजपा अध्यक्ष की बैठक, योगी को नहीं बुलाया
भाजपा के असंतुष्ट वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उत्तर प्रदेश सरकार पर एक और हमला बोला है। उन्होंने जानना चाहा है कि आउटसोर्सिंग के जरिए की गई भर्ती में आरक्षण नियमों का पालन किया गया था या नहीं। मौर्य की इस पैंतरेबाजी के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने दोनों डिप्टी सीएम की बंद कमरे में बैठक बुला ली। इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नहीं बुलाया गया। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहने को लेकर सरकार और संगठन के बीच चल रहे कथित विवाद पर अभी तक विराम नहीं लग पाया है।
यूपी के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक की सोमवार को यहां पार्टी मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी और संगठन सचिव से बंद कमरे में बैठक की। दोनों ने इस बैठक के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। बैठक एक घंटे से अधिक समय तक चली। कहा जा रहा है कि दोनों डिप्टी सीएम प्रदेश में सीएम पद पर नेतृत्व परिवर्तन चाह रहे हैं। पिछले हफ्ते मौर्य ने दिल्ली में भाजपा आलाकमान (मोदी-शाह) से मिलने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें मना कर दिया गया। मौर्य लखनऊ आधी रात को लौटकर आ गए। लेकिन अगले दिन यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी दिल्ली में भाजपा आलाकमान से मिले और लौट आए। उसके बाद सोमवार को यह घटनाक्रम सामने आया।
इसी सब घटनाक्रम के बीच मौर्य की नई पैंतरेबाजी की सूचनाएं भी आ गईं। सूत्रों के मुताबिक उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने 15 जुलाई को कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) को पत्र लिखकर पूछा है कि आउटसोर्सिंग के जरिए होने वाली भर्तियों में आरक्षण नियमों का पालन किया गया है या नहीं। यह पूछताछ योगी सरकार के लिए मुसीबत बन सकती है।
इस पत्र को भेजने की टाइमिंग महत्वपूर्ण है। पत्र 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के अगले दिन 15 जुलाई को एसीएस कर्मियों को भेजा गया था। कार्यसमिति की बैठक को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संबोधित किया था। नड्डा ने मौर्य से मुलाकात की थी। उसके बाद मौर्य के हौसले बढ़ गए। मौर्य चुप नहीं बैठे और उसके बाद अपनी ही सरकार से पत्र लिखकर पूछताछ शुरू कर दी।
- इस संबंध में केशव प्रसाद मौर्य द्वारा एसीएस कार्मिक को भेजा गया पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ। जब केशव प्रसाद मौर्य से उनके पत्र के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सिर्फ "भारत माता की जय" टिप्पणी की। उन्होंने ऐसा पत्र लिखने का खंडन नहीं किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार्मिक विभाग के प्रभारी हैं और विभाग ने अभी तक मंत्री को अपना जवाब नहीं भेजा है। अगले दिन 16 जुलाई को केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने दिल्ली पहुंचेथे। आपको याद होगा, इसी तरह का मुद्दा हाल ही में अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी उठाया था।
सारे विवाद को तब ज्यादा हवा मिली, जब 14 जुलाई को राज्य कार्यसमिति की बैठक के दौरान मौर्य ने यह कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है और वह हर समय पार्टी कार्यकर्ताओं और कार्यकर्ताओं का समर्थन करना जारी रखेंगे। उनके ऐसा कहने पर नड्डा ने तो कोई आपत्ति जताई और न ही मौर्य को अपने भाषण के जरिए कोई जवाब दिया। यानी मौर्य के जुमले को नड्डा का पूरा समर्थन रहा। योगी तनावपूर्ण मुद्रा में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को देखते रहे।
हालांकि, पार्टी आलाकमान ने सभी गुटों से 10 सीटों पर महत्वपूर्ण विधानसभा उपचुनाव के लिए हाथ मिलाने और अपने मतभेद दूर करने को कहा है। लेकिन उसने मौर्य से अपनी राजनीतिक गतिविधियां बंद करने के लिए स्पष्ट तौर पर मना भी नहीं किया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन सारी स्थितियों को अपने ढंग से संभालने और हिन्दुओं का सबसे बड़ा नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले दिनों कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों, ठेलों पर मालिक का नाम लिखकर लगाने का आदेश उन्होंने जारी किया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रोक लगा दी। लेकिन योगी अपना संदेश भेजने में सफल रहे। कुल मिलाकर योगी का केंद्र में कोई पैरोकार नहीं है। आलाकमान के संकेत समझकर राजनाथ सिंह से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्री खामोश हैं। उनके साथ सिर्फ आरएसएस है। यूपी में भाजपा के गलियारों से निकलकर यह चर्चा अब आम है कि 10 सीटों पर विधानसभा चुनाव के बाद योगी आदित्याथ को हटने के लिए मजबूर कर दिया जाएगा।