यूपी के कुर्मी नेता नीतीश को यूपी के फूलपुर से चुनाव लड़ाने को क्यों बेकरार
जनता दल (यूनाइटेड) की उत्तर प्रदेश इकाई ने शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री और पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार के पटना आवास पर मुलाकात की और उनसे देश के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल की सीट फूलपुर से अगले साल लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुरोध किया। नेहरू ने 1952 से 1964 में अपनी मृत्यु तक तीन बार चुनाव लड़ा। पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने भी 1971 के चुनावों में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था।
यूपी के कुर्मी नेताओं की मुहिम रंग ला रही है। इस मुहिम के बहाने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को एक तरह से प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश किया जा रहा है। देश के पहले प्रधानमत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1952 से 1964 में अपनी मृत्यु तक तीन बार चुनाव लड़ा। पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने भी 1971 के चुनावों में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। इसी के मुद्देनजर यूपी की जेडीयू यूनिट ने नीतीश से औपचारिक मुलाकात करके फूलपुर से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया। इस संबंध में कुछ जेडीयू और कुर्मी नेताओं ने शनिवार को पटना में नीतीश से मुलाकात भी की थी।
जेडीयू यूपी के अध्यक्ष सत्येन पटेल ने पत्रकारों से बातचीत में नीतीश से मुलाकात की पुष्टि की। सत्येन ने कहा कि नीतीश अगर फूलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो वो कई लोकसभा क्षेत्रों में चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं। इसीलिए हम लोग उनसे फूलपुर से चुनाव लड़ने का अनुरोध कर रहे हैं।
एक अन्य जेडीयू नेता ने नीतीश से हुई मुलाकात के बारे में इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि नीतीश से बैठक का मकसद ही उन्हें फूलपुर विकल्प पर विचार करने के लिए तैयार करना था। अगर नीतीश कुमार बिहार के बाहर किसी सीट से चुनाव लड़ते हैं तो इससे पूरे देश में एक मजबूत संकेत जाएगा। फूलपुर सीट का समाजवादियों के लिए प्रतीकात्मक महत्व है क्योंकि उनके सबसे बड़े प्रतीक डॉ. राममनोहर लोहिया ने 1962 में नेहरू के सामने इस सीट से चुनाव लड़ा था। भले ही डॉ. लोहिया चुनाव हार गए, लेकिन उन्हें निर्वाचन क्षेत्र के कई हिस्सों में अच्छे वोट मिले।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बिहार में जेडीयू के सहयोगी इस सुझाव से सहमत हैं। उनका कहना है कि फूलपुर में जातिगत समीकरण नीतीश कुमार के लिए फिट बैठता है। फूलपुर यूपी की उन 30 लोकसभा सीटों में से एक है, जहां बड़ी संख्या में कुर्मी/पटेल आबादी है। डॉ लोहिया ने भी इसी जातिगत समीकरण की वजह से कभी नेहरू को चुनौती दी थी।
बिहार आरजेडी नेता शक्ति सिंह यादव ने कहा, "यह बहुत अच्छा होगा अगर नीतीश कुमार फूलपुर से चुनाव लड़ते हैं।" बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने भी कहा- "हमें बहुत ख़ुशी होगी अगर नीतीश कुमार फूलपुर से चुनाव लड़ें, जो नेहरू जी से जुड़ा रहा है।"
जेडीयू प्रवक्ता के सी त्यागी ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा- “यह पूरी तरह से नीतीश कुमार पर निर्भर है कि वह बिहार या यूपी की किसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं या नहीं। उन्होंने अभी तक इस मामले पर अपने विचार नहीं बताए हैं। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो इसका पूरे देश में, खासकर उत्तर भारत में व्यापक असर होगा। फूलपुर का डॉ. लोहिया से जुड़ाव और उसका सामाजिक संयोजन हमारे नेता के लिए उपयुक्त होगा।
त्यागी ने कहा कि अगर नीतीश फूलपुर से चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं, तो यह मुसलमानों और यादवों के आजमाए और परखे वोट बैंक का एक अच्छा सामाजिक गठबंधन बना सकता है। इंडिया गठबंधन इस तरह के एक व्यापक सामाजिक समर्थन पर विचार कर सकता है।
हालांकि यह सब सपा प्रमुख अखिलेश यादव के समर्थन पर निर्भर करेगा, क्योंकि यूपी में सपा अभी भी सबसे बड़ी पार्टी है। उसका यादव और मुस्लिम में ही सबसे ज्यादा जनाधार है। बिना अखिलेश की सहमति के नीतीश कुमार जोखिम मोल लेना नहीं चाहेंगे। वैसे भी यह सीट सपा के पास आती-जाती रहती है। नीतीश की घोषणा अखिलेश के संकते पर निर्भर करती है। बेशक तमाम कुर्मी नेता और जेडीयू यूपी के नेता कितना भी जोर लगा लें।