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फाइनेंस मैनेजर ने आत्महत्या नोट में लिखा- काम के दबाव में 45 दिन से सोया नहीं

फाइनेंस मैनेजर ने आत्महत्या नोट में लिखा- काम के दबाव में 45 दिन से सोया नहीं

काम के दबाव में मौत को लेकर देशभर में बहस तब तेज हो गई है जब कुछ दिन पहले 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत हो गई थी। अब यूपी के झाँसी में भी ऐसा ही कुछ मामला सामने आया है।

क्या कुछ क्षेत्रों में काम का दबाव इस हद तक है कि कर्मचारी आत्महत्या करने तक मजबूर हो जा रहे हैं? उत्तर प्रदेश के झांसी में एक फाइनेंस मैनेजर की आत्महत्या ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। हाल के दिनों में एक के बाद एक काम के दबाव में मौत की कई ख़बरें आई हैं और झांसी का मामला भी उनमें से एक है। 

मामला 42 वर्षीय तरुण सक्सेना की आत्महत्या का है। तरुण को आज सुबह घर के नौकर ने मृत पाया। उन्होंने अपनी पत्नी और दो बच्चों को दूसरे कमरे में बंद कर दिया था। उनके परिवार में माता-पिता, पत्नी मेघा और बच्चे- यथार्थ और पीहू हैं। तरुण सक्सेना ने एक नोट में कहा है कि पिछले दो महीनों से उनके वरिष्ठ अधिकारी उन पर टारगेट पूरा करने का दबाव बना रहे थे और वेतन कटौती की धमकी दे रहे थे। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार तरुण बजाज फाइनेंस में एरिया मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। बजाज फाइनेंस ने अभी तक आरोपों का जवाब नहीं दिया है।

बता दें कि काम के दबाव में मौत को लेकर देशभर में बहस तब तेज हो गई है जब कुछ दिन पहले 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत हो गई थी। इस महीने की शुरुआत में अन्ना की मां अनीता ऑगस्टीन के एक पत्र ने सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश पैदा कर दिया था। अर्न्स्ट एंड यंग इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा कि उनकी बेटी की कंपनी में शामिल होने के चार महीने बाद ही मृत्यु हो गई और उन्होंने कंपनी के नेतृत्व से ऐसी कार्य संस्कृति को बदलने का आह्वान किया जो 'अत्यधिक काम को महिमामंडित करती है जबकि इंसान की उपेक्षा करती है'। उन्होंने लिखा कि अन्ना देर रात तक काम करती थी।

इधर झाँसी के मामले में अपनी पत्नी को संबोधित पांच पन्नों के पत्र में तरुण ने लिखा है कि वह बहुत तनाव में थे क्योंकि वह अपनी पूरी कोशिश करने के बावजूद लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहे थे। तरुण को अपने क्षेत्र से बजाज फाइनेंस के ऋणों की ईएमआई वसूलने का काम सौंपा गया था, लेकिन कई मुद्दों के कारण वह लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें चिंता है कि उनकी नौकरी चली जाएगी। उन्होंने लिखा है कि उनके वरिष्ठ अधिकारी उन्हें बार-बार अपमानित करते थे। उन्होंने लिखा, 'मैं भविष्य को लेकर बहुत तनाव में हूं। मैंने सोचने की क्षमता खो दी है। मैं जा रहा हूं।' 

तरुण ने कहा है कि उन्हें और उनके सहकर्मियों को उन ईएमआई का भुगतान करना पड़ा जो वे अपने क्षेत्र से वसूल नहीं कर पाए थे। उन्होंने लिखा कि उन्होंने अपने वरिष्ठों के समक्ष वसूली में आने वाली समस्याओं को बार-बार उठाया, लेकिन वे उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे। उन्होंने लिखा, 'मैं 45 दिनों से सोया नहीं हूँ। मैंने मुश्किल से कुछ खाया है। मैं बहुत तनाव में हूँ। वरिष्ठ प्रबंधक मुझ पर किसी भी कीमत पर लक्ष्य पूरा करने या नौकरी छोड़ने का दबाव बना रहे हैं।' 

रिपोर्ट के अनुसार तरुण ने यह भी लिखा कि उन्होंने अपने बच्चों की स्कूल फीस साल के अंत तक भर दी है और उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों से माफ़ी मांगी है। उन्होंने कहा, 'आप सभी मेघा, यथार्थ और पीहू का ख्याल रखना। मम्मी, पापा, मैंने कभी कुछ नहीं माँगा, लेकिन अब माँग रहा हूँ। कृपया दूसरी मंजिल बनवा दें ताकि मेरा परिवार आराम से रह सके।' उन्होंने अपने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा है कि वे अच्छी तरह से पढ़ाई करें और अपनी माँ का ख्याल रखें। उन्होंने अपने रिश्तेदारों से कहा कि वे सुनिश्चित करें कि उनके परिवार को बीमा राशि मिले। 

उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों का नाम भी लिया और अपने परिवार से उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने को कहा। उन्होंने कहा है, 'वे मेरे फैसले के लिए जिम्मेदार हैं।' एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार तरुण के चचेरे भाई गौरव सक्सेना ने कहा कि उन पर ऋण वसूली बढ़ाने का दबाव बनाया जा रहा था। उन्होंने कहा, 'आज सुबह 6 बजे एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में उनके वरिष्ठों ने मानसिक दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि वह काम नहीं कर सकते और उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाना चाहिए। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में उनका नाम लिखा है।' वरिष्ठ पुलिस अधिकारी विनोद कुमार गौतम ने कहा कि उन्हें पोस्टमार्टम नोट मिला है। उन्होंने कहा है, 'सुसाइड नोट में कहा गया है कि उनके वरिष्ठ उन पर टारगेट को लेकर दबाव बना रहे थे। अगर हमें परिवार से शिकायत मिलती है, तो हम कार्रवाई करेंगे।' 

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