उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के मामले में एक और ऐसा फ़ैसला लिया है जो तूल पकड़ सकता है। जुबैर के खिलाफ दर्ज छह मामलों की जांच के लिए दो सदस्यीय विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किया गया है। छह मामलों में से दो मामले हाथरस जिले में जबकि एक-एक मामला सीतापुर, लखीमपुर खीरी, गाज़ियाबाद और मुजफ्फरनगर में दर्ज है।
इस पर फिर से विवाद होने की इसलिए संभावना है कि जब ज़ुबैर की पहली बार गिरफ़्तारी हुई थी तब भी पुलिस पर सवाल उठे थे। ज़ुबैर को सबसे पहली बार दिल्ली पुलिस ने धारा 153 यानी दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने और 295ए यानी धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
ऑल्ट न्यूज़ के ही एक और सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने तब बयान जारी कर कहा था कि ज़ुबैर को दिल्ली पुलिस ने 2020 के एक मामले में जाँच के लिए बुलाया था जिसमें हाई कोर्ट से उन्हें गिरफ्तारी से राहत मिली हुई है। उन्होंने बयान में आगे कहा था कि उन्हें दूसरी एफ़आईआर में गिरफ़्तार किया गया।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने ज़ुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की और कहा कि एक गुमनाम ट्विटर हैंडल ने आरोप लगाया था कि जुबैर की 2018 की पोस्ट धार्मिक भावनाओं को आहत कर रही थी और पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया। इस मामले में कोर्ट से राहत मिलती उससे पहले ही अलग-अलग मामलों में उनके ख़िलाफ़ कई और जगहों पर एफ़आईआर दर्ज करा दी गई। अब इन मामलों की जाँच के लिए यूपी सरकार ने एसआईटी तक गठित कर दी है।
यूपी पुलिस द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि जेल प्रशासन और सुधार विभाग में तैनात इंस्पेक्टर जनरल डॉ. प्रीतिंदर सिंह को एसआईटी का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि पुलिस उप महानिरीक्षक अमित वर्मा एसआईटी के सदस्य हैं। प्रीतिंदर 2004 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वर्मा, जो 2008 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, वर्तमान में यूपी पुलिस के एसआईटी विभाग में तैनात हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जुबैर के खिलाफ दर्ज मामलों की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक क़ानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि स्थानीय पुलिस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज जांच के लिए एसआईटी को सौंपेगी।
पुलिस के मुताबिक़ जांच में मदद के लिए एसआईटी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, पुलिस उपाधीक्षक और निरीक्षक स्तर के अधिकारियों को नामित करेगी। एसआईटी स्थानीय पुलिस की मदद लेने के लिए स्वतंत्र होगी जहां मामले दर्ज हैं और जांच पूरी करने के बाद चार्जशीट दाखिल करेगी।
बता दें कि यूपी के सीतापुर जेल में बंद जुबैर को सोमवार शाम दिल्ली की तिहाड़ जेल भेज दिया गया है। यूपी पुलिस के मुताबिक हाथरस और सीतापुर में इस साल मामले दर्ज किए गए जबकि जुबैर के खिलाफ अन्य मामले 2021 में दर्ज किए गए। जुबैर के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में एक न्यूज चैनल एंकर के खिलाफ कथित रूप से व्यंग्यात्मक टिप्पणी करने, हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने, देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने और भड़काऊ पोस्ट अपलोड करने के मामले दर्ज हैं। उनपर कई और आरोप लगाए गए हैं।
सवाल तो नफ़रत, धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसे आरोपों का सामना कर रहे बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा और बजरंग मुनि के मामले में भी उठ रहे हैं।
नूपुर शर्मा हाल में इसलिए विवाद में रही हैं कि उन्होंने पैगंबर मुहम्मद साहब पर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद देश भर में बवाल मचा। कई देशों ने उनके बयान पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद बीजेपी ने उन्हें प्रवक्ता पद से हटा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में कड़ी टिप्पणी की थी। हालाँकि उनकी गिरफ़्तारी जैसी कार्रवाई नहीं की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था, 'हमने इस बात पर बहस देखी कि उन्हें (नूपुर को) कैसे उकसाया गया। लेकिन जिस तरह से उन्होंने यह सब कहा और बाद में वह कहती हैं कि वह एक वकील थीं। यह शर्मनाक है। उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।' नूपुर शर्मा को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'नूपुर को धमकियों का सामना करना पड़ रहा है या वह सुरक्षा के लिए ख़तरा बन गई हैं? देश में जो हो रहा है उसके लिए यह महिला अकेले ज़िम्मेदार है।'
बजरंग मुनि का भी मामला ऐसा ही है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर में मुस्लिम महिलाओं को रेप की धमकी देने वाले महंत बजरंग मुनि को पुलिस ने गिरफ्तार तो किया था, लेकिन 10 दिन में ही वह जमानत पर बाहर आ गए। मुस्लिम महिलाओं को बलात्कार की धमकी देने वाले बजरंग मुनि को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने जब सुप्रीम कोर्ट में 'सम्मानित महंत' बताया तो उस पर भी विवाद हुआ था। बहरहाल, ऐसे मामलों में पुलिस ने उस तरह की कार्रवाई नहीं की है और इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं।