उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेहद अहम फ़ैसला लेते हुए एलान किया है कि सभी दिहाड़ी मजदूरों और निर्माण कार्य में लगे मजदूरों को मासिक 1,000 रुपए की मदद दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश में 15 लाख दिहाड़ी मजदूर हैं। इसके अलावा 20.37 लाख लोग भवन निर्माण से जुड़े काम में लगे हुए हैं। कोरोना संकट से निपटने के लिए इन मजदूरों को यह मदद दी जाएगी। यह मदद इसलिए दी जाएगी कि कामकाज बंद होने की स्थिति में वे इस पैसे से खाने-पीने की चीजें खरीद सकें।
मुख्यमंत्री ने ज़ोर देकर कहा है कि किसी चीज की किल्लत नहीं होने दी जाएगी, सभी चीजों का पर्याप्त भंडारण किया हुआ है। इसलिए लोग किसी चीज की ग़ैरजरूरी भंडारण करें। उन्होंने दुकानदारों से कहा कि वे किसी चीज की कीमत एमआरपी यानी अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक न लें। उन्होंने कहा कि लोग बेवजह न घबराएं।
सरकार ने यह भी कहा है कि ज़रूरतमंद लोगों को एक महीने का राशन मुफ़्त दिया जाएगा। जो परिवार कहीं पंजीकृत नहीं हैं और जिन्हें किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, उन्हें भी महीने में 1,000 रुपए की मदद दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि 'प्रदेश सरकार की विभिन्न पेंशन योजनाओं के लाभार्थियों को दो माह की अग्रिम पेंशन दिए जाने का निर्णय लिया गया है। यह राशि अप्रैल माह में दी जाएगी। मनरेगा के अंतर्गत पूर्ण हो चुके कार्य के संदर्भ में लगभग 556 करोड़ रुपए की धनराशि के भुगतान की कार्यवाही मार्च, 2020 में ही कराई जाएगी।'
योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा है कि 'निजी क्षेत्र के संस्थानों एवं नियोक्ताओं को इस हेतु प्रेरित किया जाए कि जहां तक सम्भव हो कर्मचारियों को घर से कार्य करने की अनुमति दी जाए। इस व्यवस्था को सरकारी विभागों एवं संस्थानों में भी आवश्यकतानुसार लागू कराया जाए।'
किसे मिलेगा फ़ायदा
उत्तर प्रदेश सरकार की इस घोषणा का फ़ायदा उन्हें ही मिलेगा, जिनके नाम सरकार के पास पंजीकृत हैं और जिनका बैंक खाता खुला हुआ है।
लेकिन सच यह है कि दिहाड़ी मजदूरों की कुल आबादी का बहुत छोटा हिस्सा ही पंजीकृत है। बाकी लोग पूरी तरह असंगठित हैं। न तो वे कहीं पंजीकृत हैं, न उनका कोई संगठन है और न ही उनके पास बैंक खाता है।
ये लोग मोटे तौर पर खेतों में काम करते हैं, लोगों के घरों में छोटे-मोटे काम करते हैं, होटलों-दुकानों में छोटा मोटा काम करते हैं। मोटे तौर पर ये निरक्षर हैं या अधिक से अधिक प्राइमरी पास होते हैं। ऐसे लोगों की तादाद लाखों में है।
दूसरी बात यह है कि पंजीकरण में बहुत समय लगेगा, कोरोना फैला तो तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। सरकार ने पंजीकरण के लिए किसी ख़ास प्रक्रिया का एलान नहीं किया है। वह यदि पहले से काम कर रहे विभागों से ही यह काम कराती है तो समय लगना स्वाभाविक है।
बैंक खाते तो और कम लोगों के पास हैं। जो पंजीकृत हैं, उनमें से भी बहुत कम लोगों के पास बैंक खाते होंगे। इस बड़े समुदाय को पैसा कैसे मिलेगा, यह बड़ा सवाल है।