यूपी में हाल ही में बड़े-बड़े निवेश के दावे किए गए थे। यह भी दावा किया गया था कि अकेले एक एमओयू (दो पक्षों के बीच करार) से 35000 करोड़ का निवेश आएगा। यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने तो इस करार से 6 लाख लोगों को नौकरियां मिलने का दावा कर दिया था। लेकिन सारा मामला अब फर्जी निकल रहा है। मीडिया में खबर आने के बाद अब यूपी सरकार सफाई में जुट गई है। मंत्रियों के विदेश दौरे पर जो सरकारी पैसा खर्च हुआ, वो अलग मामला है। सारा मामला एक रोचक कथा की तरह बन गया है।
यूपी सरकार ने हाल ही में अपने कई मंत्रियों और नेताओं को विदेश दौरे पर भेजा था, ताकि यूपी में विदेशी निवेश आकर्षित किया जा सके। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और पूर्व मंत्री और सीनियर बीजेपी नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह अमेरिका की यात्रा पर पहुंचे। रविवार 18 दिसंबर को यूपी सरकार ने एक प्रेस रिलीज के जरिए दावा कि अमेरिका की प्रसिद्ध ऑस्टिन यूनिवर्सिटी से नॉलेज पार्क नोएडा में कैंपस बनाने के लिए 42 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग रु. 35,000 करोड़) का एमओयू साइन किया गया है। इससे यूपी में अकेले इसी एमओयू से 35000 करोड़ का विदेशी निवेश आएगा।
सिद्धार्थ नाथ सिंह भारत लौटे तो अपने गृह नगर इलाहाबाद में विस्तार से इस एमओयू का बखान किया। सिंह ने इलाहाबाद के एक कार्यक्रम में कहा कि इससे 6 लाख लोगों को नौकरियां मिलेंगी। यूपी को यह एमओयू पीएम मोदी और सीएम योगी के शानदार नेतृत्व का नतीजा।
बुधवार को इस एमओयू की धज्जियां उड़ गईं। पत्रकार रोहिणी सिंह ने ट्वीट करके बताया कि कितना बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है। इंडियन एक्सप्रेस ने आज 22 दिसंबर को एक खबर छापकर रोहिणी सिंह के तथ्यों की पुष्टि कर दी। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कैलिफोर्निया डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के एक आदेश के अनुसार, सैन फ्रांसिस्को में ऑस्टिन यूनिवर्सिटी को 2011 में एक गैर-मान्यता प्राप्त निजी माध्यमिक शिक्षा संस्थान के रूप में संचालित करने की मंजूरी 8 दिसंबर, 2022 को रद्द कर दी गई है। इसके अलावा, इस यूनिवर्सिटी पर यूएस $ 9,965 का जुर्माना लगाया गया है। यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर खुद इन तथ्यों को डाला गया है और बताया गया है कि कुल 25 कर्मचारी इस कथित प्राइवेट यूनिवर्सिटी में काम करते हैं।
पत्रकार रोहिणी सिंह के ट्वीट के बाद यूपी सरकार ने कल बुधवार को ही अंदाजा लगा लिया था कि इस पर उसकी घोर बेइज्जती होने वाली है। इसलिए यूपी सरकार ने कल बुधवार को ही इस एमओयू के बारे में कुछ तथ्य पेश किए और अपने पिछले बयान पर चुप्पी साध ली।
बुधवार को उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट) अरविंद कुमार ने स्पष्ट किया कि एमओयू ऑस्टिन यूनिवर्सिटी के साथ नहीं बल्कि ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप के साथ हुआ था। लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की 22 दिसंबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑस्टिन यूनिवर्सिटी और ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप के पीछे एक ही चेहरा है और उनका नाम अशरफ अल मुस्तफा है। अशरफ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वो मिश्र के मूल निवासी हैं और अब अमेरिकी नागरिक हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अशरफ ने अखबार को बताया कि उन्होंने हाल ही में ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप का गठन किया है। जिसकी परियोजनाएं भारत और मिश्र में हैं। उन्होंने बताया कि ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप लाभ कमाने के लिए है। जबकि ऑस्टिन यूनिवर्सिटी का गठन उन्होंने नॉन प्रॉफिट संस्था के रूप में किया है। यूपी सरकार के एमओयू का ऑस्टिन यूनिवर्सिटी से कोई संबंध नहीं है। मुस्तफा का दावा है कि ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप में उनकी 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है।
बहरहाल, यूपी सरकार अब कह रही है कि यह सिर्फ एमओयू भर है। हम इसके लिए बाध्य नहीं हैं। ऑस्टिन से किये गए समझौते के दस्तावेज यूपी सरकार से 16 दिसंबर को साझा किए गए थे। इससे पता चलता है कि एमओयू पर कुछ अमेरिकी लोगों के भी हस्ताक्षर हैं, जिन्होंने खुद को ऑस्टिन यूनिवर्सिटी का वीसी और सीईओ बताया था। इसके साथ यूपी सरकार ने एक फोटो भी जारी किया था। जिसमें मंत्री सुरेश खन्ना, सिद्धार्थ नाथ सिंह और अशरफ अल मुस्ताफा के अलावा बाकी लोग दिखाई दे रहे हैं।