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यूपी में एनकाउंटरः कौशांबी में 'वॉन्टेड' को मार गिराया, पैटर्न वही पुराना

यूपी में एनकाउंटरः कौशांबी में 'वॉन्टेड' को मार गिराया, पैटर्न वही पुराना

यूपी में पुलिस एनकाउंटर का सिलसिला जारी है। आज मंगलवार सुबह कौशांबी जिले में एक वांछित आरोपी मोहम्मद गुफरान का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया। यूपी में तमाम पुलिस एनकाउंटर पर विवाद है। विपक्ष का आरोप है कि यूपी पुलिस सिर्फ खास समुदाय के कथित अपराधियों का एनकाउंटर कर रही है। 

यूपी के कौशांबी जिले में आज मंगलवार सुबह पुलिस के साथ मुठभेड़ में एक वांछित अपराधी मारा गया। कथित आरोपी की पहचान मोहम्मद गुफरान के रूप में हुई है, जो हत्या और डकैती के कई मामलों में वांछित था। गुफरान यूपी के प्रतापगढ़ और अन्य जिलों में हत्या, हत्या के प्रयास और डकैती के 13 से अधिक मामलों में वांछित था। यूपी पुलिस ने इसे पकड़ने के लिए ₹1,25,000 का इनाम रखा था। इस एनकाउंटर में भी वही पुराना पैटर्न था। कथित बदमाश बाइक पर था। पुलिस ने पीछा किया। दोनों तरफ से गोलियां चलीं। कथित बदमाश मारा गया। 

यूपी पुलिस ने एक बयान में कहा कि आज मंगलवार सुबह करीब 5:00 बजे स्पेशल टास्क फोर्स की एक टीम कौशांबी जिले में छापेमारी कर रही थी. पुलिस ने कहा कि मोहम्मद गुफरान का टीम से सामना हुआ और उसने गोलियां चला दीं, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की और क्रॉस-फायरिंग में गुफरान को गोली लग गई और वह घायल हो गया। उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।

यूपी पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ों की सीरीज में यह नवीनतम है। 2017 में योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद से 10,900 से अधिक मुठभेड़ हो चुकी हैं, जिनमें 185 से अधिक अपराधी मारे गए हैं। 

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 24 फरवरी को तमाम एनकाउंटरों को फर्जी बताते हुए पुलिस अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि सपा सरकार आने पर तमाम अफसरों को जेल जाना पड़ेगा। दूसरी तरफ जाति विशेष के कथित अपराधियों को बचाने का आरोप भी लग रहा है। 

समुदाय विशेष के एनकाउंटर का आरोपः अखिलेश के बयान के बावजूद यूपी में एनकाउंटरों का सिलसिला जारी है। 2020 में यूपी पुलिस ने बयान देकर स्वीकार किया था कि जिन कथित अपराधियों को उसने एनकाउंटर में मार गिराया, उसमें 37 फीसदी मुसलमान थे। यूपी पुलिस की सफाई दरअसल कानपुर के विकास दूबे एनकाउंटर के बाद आई थी। विकास दूबे एनकाउंटर के बाद बीजेपी के ब्राह्मण नेता नाराज हो गए थे और उन्होंने कथित तौर पर आरोप लगाया था कि योगी आदित्यनाथ की पुलिस सिर्फ ब्राह्मणों का एनकाउंटर कर रही है। उस समय स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का नाम ठाकुर टास्क फोर्स लिया जाने लगा था। सुल्तानपुर में लंभुआ के बीजेपी विधायक देवमणि द्विवेदी ने उस समय धमकी दी थी कि वो ब्राह्मणों को एनकाउंटर में मारे जाने का मामला विधानसभा में उठाएंगे। उसके बाद योगी सरकार की पुलिस ने आंकड़े जारी किए थे, जिसमें सबसे ज्यादा मुस्लिम लोगों को बतौर अपराधी मारे जाने की बात कही गई थी।

हाल ही में गैंगस्टर से नेता अतीक अहमद के भाई अशरफ को पुलिस सुरक्षा में प्रयागराज में मारा गया था। यह पुलिस एनकाउंटर तो नहीं था लेकिन विवादों से यह मामला बच नहीं सका। लेकिन अतीक के एक बेटे को झांसी एनकाउंटर में यूपी पुलिस की टास्क फोर्स ने मार गिराया। अतीक अहमद से जुड़े और भी लोगों के एनकाउंटर पुलिस अभी तक कर चुकी है। अतीक अहमद के मारे जाने से पहले अतीक ने खुद के मारे जाने की आशंका जताई थी और यूपी पुलिस के आला अफसरों से लेकर राष्ट्रपति तक को पत्र लिखा था। यूपी के एनकाउंटरों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा था कि अपराधियों को मिट्टी में मिला दूंगा।

इंडियन एक्सप्रेस की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी पुलिस ने अपने बयान में उस समय 42 महीनों का आंकड़ा दिया था। यानी 2017 से योगी के सत्ता में आने के बाद से एनकाउंटर शुरू हो गए थे। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 2020 में  यूपी पुलिस ने एक बयान में कहा कि पिछले 42 महीनों के दौरान पुलिस के साथ एनकाउंटर में लगभग 124 अपराधियों को मार गिराया गया है। पुलिस ने खुलासा किया कि मुठभेड़ों में मारे गए कथित अपराधियों में 47 मुस्लिम, 11 ब्राह्मण, आठ यादव और 58 अन्य थे। अन्य में पिछड़े और दलित शामिल हैं।

आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में, योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले वर्ष के दौरान, 45 लोग पुलिस मुठभेड़ों में मारे गए, जिनमें से 16 मुस्लिम थे। इनमें से ज्यादातर एनकाउंटर पश्चिमी यूपी के शामली, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिलों में हुए। इन आंकड़ों के सामने आने के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था - योगी आदित्यनाथ के शासन में मुसलमानों को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। ओवैसी ने इस बयान को हाल ही में भी दोहराया था।

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने जब 2022 के विधानसभा चुनाव दोबारा जीता तो एनकाउंटर रुके नहीं। हर दिन औसतन 5 एनकाउंटर हो रहे हैं। पुलिस विभाग ने 2017 से लेकर अब तक जो आंकड़ा बताया है, उसी के मुताबिक लगभग 5 एनकाउंटर रोजाना सामने आ रहे हैं। अप्रैल 2022 तक, पूरे यूपी में पुलिस और अपराधियों के बीच कुल 9,434 मुठभेड़ हुईं। इसमें अगर दस महीने के आंकड़े और जोड़ दिए जाएं तो यह संख्या 10,000 से भी ज्यादा पार कर चुकी है।

यूपी में हर एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया पर एक लिस्ट सामने आती है, जिसमें बताया जाता है कि जाति विशेष के अपराधियों का एनकाउंटर यूपी पुलिस कब करेगी। सपा प्रवक्ता अशोक यादव ने पिछले दिनों कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह बयान कि अपराधियों को मिट्टी में मिला देंगे तो ठीक है। लेकिन प्रदेश में अब वही माफिया बचेगा जो जाति विशेष से ताल्लुक रखता होगा या बीजेपी के सहयोगी दलों से संबंध रखता होगा। लेकिन बाकी लोगों पर कार्रवाई होगी। 

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