यूपी- हिरासत में मौत : मृतक के परिजनों से मिलेंगे कांग्रेस नेता
उत्तर प्रदेश के कासगंज में पुलिस हिरासत में हुई मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। विपक्ष दलों ने इसके लिए योगी आदित्यनाथ की अगुआई में बीजेपी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। कांग्रेस का एक 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की अगुआई में मृतक अल्ताफ़ के परिजनों से मिलने जाएगा।
पार्टी ने कहा है कि प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद, विवेक बंसल और तौकीर आलम शामिल होंगे।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य अल्ताफ़ के परिजनों से मुलाक़ात करने के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस अफ़सरों से मिल कर जानकारी इकट्ठी करेंगे। बाद में घटना का पूरा ब्योरा उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी को दिया जाएगा।
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर कहा है कि यह प्रतिनिधिमंडल सच्चाई जानने के लिए कासगंज जा रहा है।
कासगंज में अल्ताफ की पुलिस कस्टडी में हुई हत्या की जानकारी लेने कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल कासगंज पहुंच रहा है। pic.twitter.com/XX6q4REXCN
— UP Congress (@INCUttarPradesh) November 11, 2021
'शर्मनाक'!
इसके साथ ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने पुलिस हिरासत में युवक की मौत को 'शर्मनाक' क़रार दिया है। उन्होंने इसके साथ ही इस वासदात की उच्च स्तरीय जाँच की माँग की है।
मायावती ने दोषियों के लिए सख़्त सज़ा के साथ-साथ पीड़ित परिवार की मदद की भी माँग की है।
कासगंज में पुलिस कस्टडी में एक और युवक की मौत अति-दुखद व शर्मनाक। सरकार घटना की उच्चस्तरीय जाँच कराकर दोषियों को सख़्त सजा दे तथा पीड़ित परिवार की मदद भी करे। यूपी सरकार आएदिन कस्टडी में मौत रोकने व पुलिस को जनता की रक्षक बनाने में विफल साबित हो रही है यह अति-चिन्ता की बात।
— Mayawati (@Mayawati) November 11, 2021
क्या कहा अखिलेश ने?
समाजवादी पार्टी ने भी इस मामले में न्यायिक जाँच की माँग की है।
पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा है कि इस मामले में पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जाना "सिर्फ़ दिखावटी कार्रवाई है।"
कासगंज में पूछताछ के लिए लाए गए युवक की थाने में मौत का मामला बेहद संदेहास्पद है। लापरवाही के नाम पर कुछ पुलिसवालों का निलंबन सिर्फ़ दिखावटी कार्रवाई है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 10, 2021
इस मामले में इंसाफ़ व भाजपा के राज में पुलिस में विश्वास की पुनर्स्थापना के लिए न्यायिक जाँच होनी ही चाहिए। #भाजपा_ख़त्म pic.twitter.com/sI2FT05Bv9
क्या है मामला?
बता दें कि उत्तर प्रदेश के एटा के पास के कासगंज में 22 वर्षीय युवक अल्ताफ़ की लाश संदिग्ध स्थिति में मिली। पुलिस का दावा है कि उसने आत्महत्या कर ली है।
पर पुलिस के दावे पर किसी को यकीन नहीं हो रहा है।
इस मामले में पुलिस ने वीडियो बयान जारी किया है। उस वीडियो में कासगंज के पुलिस प्रमुख रोहन प्रमोद बोथरे ने दावा किया कि उस व्यक्ति ने हवालात में बने 'वाशरूम जाने के लिए कहा'। अधिकारी ने कहा कि कुछ देर बाद जब वह नहीं लौटा तो पुलिस अंदर गई और उसे अचेत पाया।
उन्होंने कहा है, 'उसने काले कलर की जैकेट जो पहनी थी और उसके हुड में लगे नाड़े को वाशरूम में लगे नल से फँसाकर अपना गला घोंटने की खुद से कोशिश की। जब वह बहुत समय बाहर नहीं आया तो पुलिसकर्मी अंदर चले गए। उसको बेहोशी की हालत में कासगंज के एक अस्पताल में ले जाया गया। वहाँ पर प्राथमिक उपचार 5-10 मिनट चलने के बाद उसकी मृत्यु हो गई।'
दवाब में हैं परिजन?
इसके बाद बुधवार को मृतक अल्ताफ़ के पिता चाँद मियाँ ने कथित तौर पर कहा कि उनके बेटे ने डिप्रेसन में आकर खुदकुशी कर ली है।
चाँद मियाँ ने कथित तौर पर एक चिट्ठी लिख कर पुलिस कासगंज थाने को दी है। उन्होंने इसमें लिखा है, "दिनांक 9-11-21 को मेरे पुत्र अल्ताफ़ ने डिप्रेशन में आकर फाँसी लगा कर आत्महत्या कर ली। उसको पुलिस वाले सीएससी उपचार हेतु अशोक नगर ले गए, जहाँ उसकी मृत्यु हो गई।"
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़, अल्ताफ की माँ फ़ातिमा और उसके चाचा हुसैन ने यह आशंका जताई है कि चाँद मियाँ ने पुलिस के दबाव में आकर अपना बयान बदला है और वह वही कह रहे हैं, जो पुलिस ने पहले कहा था।
फ़ातिमा ने 'आजतक' से कहा, "मुझे नहीं पता अब उन्होंने ऐसा क्यों कहा है। हमें इंसाफ नहीं मिला है… उन्हें डराया होगा, धमकाया गया होगा। लड़की के पिता ने (पुलिस को) पैसा भरा होगा।"