उत्तर प्रदेश में सोनभद्र के उम्भा में ज़मीन पर कब्जे को लेकर हुए आदिवासियों के नरसंहार की पहली बरसी पर एक बार फिर से पुराने घाव हरे हो गए हैं। कांग्रेस ने जहाँ इस मौके पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया, वहीं गाँव के लोगों ने 'शहीदों' की तसवीरें लेकर मार्च निकालने का कार्यक्रम रखा।
उम्भा जा रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को गिरफ़्तार कर लिया गया। उम्भा गाँव से 'शहीदों' की तसवीरें लेकर निकल रहे सोनभद्र ज़िला कांग्रेस अध्यक्ष रामराज को दर्जनों आदिवासियों के साथ पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उधर प्रदेश सरकार ने उम्भा में अमन चैन का दावा करते हुए कहा कि योगी सरकार में आदिवासियों के लिए तमाम विकास के काम किए गए हैं।
सरकार का दावा है कि उम्भा में आदिवासियों को ज़मीन देने के साथ ही वहाँ कई योजनाएँ शुरू की गयी हैं। उधर कांग्रेस नेताओं की गिरफ़्तारी के बाद प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि उनकी पार्टी इस अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ेगी।
कांग्रेसी नेता गिरफ़्तार
सोनभद्र में बीजेपी सरकार के उत्पीड़न के शिकार हुए आदिवासियों को याद करते हुए 17 जुलाई को 'बलिदान दिवस' कार्यक्रम रखा गया। इसके तहत पीड़ितों से मिलने जा रहे यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को भारी पुलिस बल ने रास्ते में रोका और गिरफ़्तार करके गोपीगंज गेस्ट हाउस में भेज दिया।इसके कुछ ही देर बाद मिर्ज़ापुर टोल प्लाज़ा पर कांग्रेस नेता राजेश मिश्रा, अजय राय, प्रदेश महासचिव विश्वविजय सिंह, प्रदेश सचिव सरिता पटेल समेत सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता गिरफ़्तार किए गए। उम्भा में 'शहीद' हुए आदिवासियों को कांग्रेस नेता पुष्पांजलि अर्पित करने जा रहे थे।
उधर उम्भा गांव से 'शहीदों' की तस्वीरों के साथ गांव से निकल रहे 'शहीदों' के परिवारों और सोनभद्र कांग्रेस ज़िला अध्यक्ष रामराज गोंड गिरफ़्तार कर लिए गए। उम्भा गाँव से गिरफ्तार करने वालों को पुलिस घोरावल थाने पर ले गयी है।
प्रियंका ने दी थी गिरफ़्तारी
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस में जान फूँकने का काम इसी उम्भा से शुरू हुआ था। यूपी के सोनभद्र ज़िले में आदिवासियों के सामूहिक नरसंहार के बाद घटनास्थल को जा रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को पुलिस ने हिरासत में लेकर चुनार किले में भेज दिया था।इस कांड को लेकर हरकत में आयी योगी सरकार ने मुख्य अभियुक्त सहित 29 लोगों को गिरफ़्तार किया था। मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये मदद के तौर पर देने का एलान किया गया था और पुलिस क्षेत्राधिकारी, एसडीएम व घोरावल के थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया था।
ज़मीन को लेकर बिछी थीं लाशें
उम्भा में आदिवासियों के कब्जे से ज़मीन खाली कराने को लेकर खूनी संघर्ष हुआ था। घटना का मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान यज्ञदत्त बीते साल आज के ही दिन दर्जनों ट्रैक्टर ट्रॉली व ट्रकों में भरकर क़रीब 150 लोगों को लेकर उम्भा गाँव पहुँचा था और ट्रैक्टरों से खेत की ज़बरन जुताई करवाने लगा था। गाँव वालों ने विरोध किया तो प्रधान के समर्थकों ने उन पर हमला कर दिया था। हमलावरों ने सामने आने वाले ग्रामीणों को कथित रूप से गंड़ासे से काट डाला था। सैकड़ों राउंड फ़ायरिंग हुई थी। गोली लगने व गंड़ासे से घायल ग्रामीणों की लाशें खेत में चारो तरफ गिरती चली गईं थीं। इस ख़ूनी संघर्ष में दस लोगों की जान गयी थी और सभी आदिवासी थे।सरकार ने कहा, कांग्रेस दोषी
उम्भा कांड का जिन्न बाहर आने के बाद योगी सरकार ने बयान जारी कर कहा कि आज से ठीक एक साल पहले 17 जुलाई 2019 को सोनभद्र ज़नले के जिस उम्भा गाँव में ज़मीन पर कब्जे के ख़ूनी खेल में 10 लोगों की जानें गई थीं, वहाँ आज अमन-चैन और खुशहाली का माहौल है।सरकार का दावा है कि जिन ज़मीनों के लिए सपा और कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं की शह पर यहाँ दबंगों ने ख़ून की होली खेली थी, उनपर आज उसके असली हक़दार क़बिज हैं और वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिल से शुक्रिया अदा कर रहे हैं।
बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने इस जघन्य हत्याकांड के तुरंत बाद जाँच के लिए अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी।
सरकार का कहना है कि जाँच के बाद यह तथ्य सामने आया था कि यहाँ आदिवासी समाज व दूसरे गरीबों की ज़मीन पर कांग्रेस पार्टी से जुड़े कद्दावर नेताओं ने फ़र्ज़ी सोसाइटियाँ बना कर कब्जा कर रखा था।
सरकार के अनुसार, फर्जीवाड़े के पीछे कांग्रेस के एमएलसी रहे महेश्वर प्रसाद नारायण सिंह का नाम आया था, जिनकी पुत्री आशा मिश्रा ने यह ज़मीन दबंगों को बेच दी थी। इन दबंगों ने ही जमीन पर कब्जा लेने के चक्कर में 10 ग्रामीणों की गोली मार कर हत्या कर दी थी।
सरकार का यह भी कहना है कि कांड के बाद मुख्यमंत्री द्वारा यहाँ 340 करोड़ लागत की कई योजनाओं का लोकार्पण करते हुए 256 ग्रामीणों को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत मकान दिए गए थे।