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चुनाव में शिकस्त पर यूपी बीजेपी प्रमुख ने इस्तीफ़े की पेशकश की: रिपोर्ट

चुनाव में शिकस्त पर यूपी बीजेपी प्रमुख ने इस्तीफ़े की पेशकश की: रिपोर्ट

क्या यूपी बीजेपी में बड़े बदलाव होने जा रहे हैं? आख़िर अंदरुनी कलह की रिपोर्टों के बीच योगी आदित्यनाथ से लेकर राज्य बीजेपी के प्रमुख को लेकर बड़े बदलाव के कयास क्यों लगाए जा रहे हैं। 

लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के बाद हलचल है। हार की ज़िम्मेदारी को लेकर आपसी खींचतान के संकेत तो हैं ही, योगी आदित्यनाथ से लेकर केशव प्रसाद मौर्य तक की गतिविधियों से बड़े राजनीतिक संकेत मिल रहे हैं। इसी बीच रिपोर्ट है कि देश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली है और आज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान पद छोड़ने की पेशकश की है।

यूपी में लोकसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा ने सीटवार समीक्षा की और हारे प्रत्याशियों सहित कार्यकर्त्ताओं से बात कर रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में कई अन्य कारणों के अलावा भितरघात, प्रशासन के भाजपा कार्यकर्त्ताओं की अनदेखी, बेलगाम नौकरशाही सहित कई कारण योगी के खिलाफ जाते हैं। हालांकि प्रत्याशियों के चयन, रणनीति में कमजोरी और कार्यकर्त्ताओं में उत्साह की कमी को भी कारण बताया गया है। रिपोर्ट के आ जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश में किसी ने हार की जिम्मेदारी नहीं ली है। रिपोर्ट है कि हार का ठीकरा एक दूसरे के सर फोड़ने की कवायद में जुटे हैं। 

संगठन में बदलाव की अटकलें तब लगाई जा रही हैं जब रविवार को पार्टी की बैठक के दौरान उपमुख्यमंत्री मौर्य ने काफ़ी अहम टिप्पणी कर दी। मौर्य ने कहा, 'संगठन सरकार से बड़ा है। संगठन से बड़ा कोई नहीं है।' इस टिप्पणी को व्यापक रूप से मुख्यमंत्री आदित्यनाथ पर परोक्ष रूप से निशाना साधने के रूप में देखा गया।

इस टिप्पणी पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य सरकार के भीतर की लड़ाई के कारण राज्य की जनता परेशान है। उन्होंने कहा, 'भाजपा नेता आपस में ही लड़ रहे हैं। जनता भ्रष्टाचार के बारे में जानती है और सिंहासन के खेल से तंग आ चुकी है।'

हालांकि, भाजपा ने अंदरूनी कलह की चर्चा को खारिज कर दिया। समाजवादी पार्टी प्रमुख को जवाब देते हुए मौर्य ने बुधवार को ट्वीट किया कि देश और प्रदेश में भाजपा की सरकारें और संगठन मजबूत हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, 'यूपी में सपा के गुंडों के राज की वापसी असंभव है। भाजपा 2027 के राज्य चुनावों में 2017 को दोहराएगी।'

योगी आदित्यनाथ ने दो दिन पहले ही हार के लिए अति आत्मविश्वास को ज़िम्मेदार ठहराया है। वैसे, केंद्रीय नेतृत्व ही यूपी में शानदार प्रदर्शन और देश में '400 पार' जैसे नारे देकर अति आत्मविश्वास जता रहा था।

और इसी बीच अब यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कथित तौर पर हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफ़े की पेशकश कर दी है।  

सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि लोकसभा चुनाव में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में करारी हार के बाद भाजपा संगठनात्मक फेरबदल की तैयारी कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पता चला है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली है और दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान पद छोड़ने की पेशकश की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अगले कदम पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री से मिले हैं। 

पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रमुख नेता राष्ट्रीय राजधानी में हैं और पार्टी आलाकमान के साथ बैठकें कर रहे हैं। इससे पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की, जिससे बड़े फेरबदल की चर्चा तेज हो गई। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के साथ संगठन के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की। पता चला है कि भाजपा किसी ओबीसी नेता को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाने की इच्छुक है, क्योंकि वह चुनावी झटके से उबरकर 2027 के राज्य चुनावों की तैयारी कर रही है। वर्तमान सांसद चौधरी मुरादाबाद के जाट नेता हैं और उन्हें 2022 में समुदाय के भीतर भाजपा के प्रति नाराजगी को शांत करने के लिए यह भूमिका दी गई थी।

चौधरी की जगह ओबीसी नेता को चुनने की भाजपा की संभावित कोशिश को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि राज्य की आबादी में ओबीसी की बड़ी हिस्सेदारी है और वे चुनावों में अहम भूमिका निभाते हैं।

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