यूपी: बीजेपी विधायक बोले - कोरोना काल में लूट मचा रहे अधिकारी व पुलिस
उत्तर प्रदेश में कोरोना राहत के नाम पर हो रही धांधलियों और खानापूर्ति को लेकर खुद बीजेपी के सांसद, विधायक व मेयर सरकार को आईना दिखा रहे हैं। विधायकों का गुस्सा तो सड़क पर फूटने लगा है। प्रदेश के कई जिलों में निर्वाचित जनप्रतिनिधि और राजनैतिक दलों के नेता अधिकारियों की मनमानी की शिकायतें कर रहे हैं।
कोरोना काल में अपनी सुनवाई न होने और फ़ैसलों को लागू करवाने में शून्य हो चुकी भूमिका से नाराज जनप्रतिनिधि पत्र लिखकर और मीडिया के जरिए अपनी भड़ास सार्वजनिक कर रहे हैं।
मजदूरों की हालत पर बरसे विधायक
सोमवार रात को औचक निरीक्षण पर निकले बहराइच जिले के बीजेपी विधायक सुरेश्वर सिंह को दर्जनों मजदूर सड़क पर पैदल ही घर लौटते मिले। हाल पूछने पर विधायक के सामने प्रवासी मजदूरों का दर्द छलक आया। हजारों किलोमीटर दूर से पैदल, साइकिल और ठेले के सहारे लौट रहे इन मजदूरों ने विधायक को पुलिसिया उत्पीड़न, खाना न मिलने की और तमाम परेशानियां बताईं।
मजदूरों ने बताया कि उन्हें न खाना मिला, न जांच हुई और न ही प्रशासन से मिलने वाली राशन की किट दी गयी। इनका हाल जानकर गुस्साए विधायक ने सबके सामने अधिकारियों को फटकारते हुए पूरे जिले को लूट का अड्डा बना देने का आरोप लगाया। विधायक सुरेश्वर ने कहा राशन किटों में घोटाला हो रहा है।
विधायक ने कहा कि एक राशन किट के लिए 1260 रुपये दिए जाते हैं पर अधिकारी बाहर से लौट रहे मजदूरों को किट देने के नाम पर आनाकानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस दुकान का शटर भर उठा देने पर हजारों की वसूली कर रही है और कोरोना के नाम पर जमकर लूट-खसोट हो रही है। बहराइच जिले के कई पुलिस थानों का नाम लेते हुए विधायक ने कहा कि ये लूट के अड्डे बन गए हैं।
सरकारी मंडियों में हो रही लूट
बीजेपी विधायक सुरेश्वर ने सरकारी मंडियों में छोटे किसानों से हो रही लूट को भी सरेआम सड़क पर चिल्ला-चिल्ला कर उजागर किया। उन्होंने अधिकारियों की मौजूदगी में कहा कि सब्जी किसानों से टैक्स माफ़ होने के बावजूद 6 फीसदी कर वसूला जा रहा है जो आढ़ती और अधिकारी अपनी जेब में रख रहे हैं। विधायक सुरेश्वर लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़े रहे हैं।
विधायक ने कहा कि सरकारी मंडी में अपनी सब्जी लेकर आने वाले किसान से आढ़ती 4 फीसदी और अधिकारी 2 फीसदी टैक्स लेकर अपनी जेब में रख रहे हैं। हाल ही में प्रदेश सरकार ने 40 तरह की सब्जियों व फलों को सभी तरह के मंडी टैक्स से मुक्त कर दिया है।
कोरोना काल में ही सरकारी गेहूं की ख़रीद पर भी लगातार राजनैतिक दल व जनप्रतिनिधि सवाल खड़े कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारी ख़रीद की दर 1950 रुपये प्रति कुंतल होने के बावजूद ज्यादातर जिलों में किसान अपनी उपज बिचौलियों को 1300-1400 रुपये में बेचने को मजबूर हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी हाल ही में इस मुद्दे को उठाया था।
कई जनप्रतिनिधि उठा चुके हैं सवाल
उत्तर प्रदेश में आगरा, मेरठ, कानपुर कोरोना के हब बन कर उभरे हैं। आगरा के मेयर नवीन जैन ने कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर अपने शहर को बचाने की अपील की थी। इसके बाद मेरठ से बीजेपी विधायक सोमेंद्र तोमर और फिर राज्यसभा सांसद व प्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष कांता कर्दम ने पत्र लिख कर बदहाली के किस्से बयान किए थे। इन नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा था कि मेरठ की हालत बेहद ख़राब है।
क्वरेंटीन सेंटर्स, कम्युनिटी किचन बदहाल
कोरोना संदिग्धों को रखने के लिए प्रदेश भर में बनाए गए क्वरेंटीन सेंटर्स और ग़रीबों-विस्थापितों को खाना देने के लिए बने कम्युनिटी किचन का बुरा हाल हो चुका है। बलरामपुर जनपद में एक क्वरेंटीन सेंटर का मुआयना करने गए बीजेपी विधायकों ने अधिकारियों पर अव्यवस्था को लेकर जमकर भड़ास निकाली।
श्रावस्ती जिले में एक सेंटर पर खुद जिलाधिकारी को कई दिनों से भूखे-प्यासे लोग मिले। हर रोज लाखों ग़रीबों को खाना खिलाने का दावा करने वाली योगी सरकार के कम्युनिटी किचन को लेकर जो ख़बरें अलग-अलग जिलों से आ रही हैं, वे चौंकाने वाली हैं।
झांसी में बीजेपी पदाधिकारियों ने कम्युनिटी किचन का दौरा कर वहां ज्यादा क़ीमत पर कम खाना बनने व सरकार की ओर से निर्धारित मेन्यू का पालन न होते हुए पकड़ा था।