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बीजेपी, चिराग की पार्टी में समझौते पर मंत्री पशुपति पारस का इस्तीफा

बीजेपी, चिराग की पार्टी में समझौते पर मंत्री पशुपति पारस का इस्तीफा

बिहार में बीजेपी के साथ चिराग पासवान के समझौते के बाद केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने राज्य की राजनीति में हलचल ला दी है। जानिए, उन्होंने क्या फ़ैसला किया है।

लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में फिर से हलचल है। केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह फ़ैसला तब लिया जब एक दिन पहले ही बिहार में एनडीए में सीट बँटवारा हो गया है और उसमें चिराग पासवान की पार्टी को पाँच सीटें दी गई हैं। पशुपति पारस की पार्टी के लिए कोई घोषणा नहीं की गई।

केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा, 'हमारी पार्टी के साथ सीट बँटवारे में अन्याय किया गया।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'बड़ा नेता' बताते हुए पारस ने कहा, 'मैंने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। पीएम मोदी एक बड़े नेता हैं लेकिन मेरे और मेरी पार्टी के साथ अन्याय हो रहा है।'

अपनी नाराजगी व्यक्त करने से पहले आरएलजेपी अध्यक्ष ने कहा कि वह मोदी के आभारी हैं। पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ईमानदारी और निष्ठा से सेवा की लेकिन उन्हें अन्याय मिला। बता दें कि सोमवार को घोषित सीट-बँटवारे समझौते के अनुसार भाजपा बिहार में 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला जदयू 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। 

बिहार एनडीए गठबंधन के सदस्यों द्वारा आयोजित एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े ने सीट-बंटवारे की घोषणा की। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम को एक-एक सीट मिलेगी।

हालाँकि, मंत्री पशुपति पारस के नेतृत्व वाले एलजेपी गुट के साथ सीट बंटवारे का कोई जिक्र नहीं हुआ। इस बारे में पूछे जाने पर बिहार बीजेपी प्रमुख सम्राट चौधरी ने कहा था, 'उनसे बातचीत चल रही है।'

काफी लंबे समय से रिपोर्ट आती रही है कि पशुपति पारस हाजीपुर सीट से लड़ना चाहते हैं, जबकि उनके विरोधी और उनके भतीजे चिराग पासवान भी उसी सीट से लड़ना चाहते हैं। इस सीट को लेकर एनडीए में संघर्ष की ख़बरें आ रही थीं।

पिछले सप्ताह ही ख़बरें थीं कि भाजपा ने बिहार में गठबंधन के साथियों के साथ सहमति बना ली है, और पशुपति पारस को बाहर कर दिया गया है। पारस ने कहा कि उनकी आरएलजेपी और उनके पांच सांसद, जिनमें वे भी शामिल हैं, उन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे जो उन्होंने पिछले चुनाव में जीती थीं और पार्टी खुद 'कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र' है।

पशुपति पारस ने पाँच साल पहले तत्कालीन अविभाजित लोक जनशक्ति पार्टी के सदस्य के रूप में हाजीपुर से जीत हासिल की थी। तब इसका नेतृत्व पार्टी के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने किया था, जो चिराग पासवान के पिता थे।

लोक जनशक्ति पार्टी का नेतृत्व राम विलास पासवान ने किया था। 2020 में उनके निधन के बाद पार्टी दो भागों में विभाजित हो गई। उनके भाई पारस राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी यानी आरएलजेपी का नेतृत्व करते हैं और उनके बेटे चिराग पासवान लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का नेतृत्व करते हैं। दोनों धड़े एनडीए में हैं।

2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा और जद (यू) ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि राम विलास पासवान के नेतृत्व वाली तत्कालीन अविभाजित एलजेपी ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा था। बीजेपी और एलजेपी ने अपनी सभी सीटें जीत ली थीं, जबकि जेडीयू को 16 सीटें मिली थीं।

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