बैकफुट पर धामी सरकार, पांच परीक्षाएं रद्द
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग यानी यूकेएसएसएससी की भर्ती परीक्षाओं में तमाम गड़बड़ियों के सामने आने के बाद राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार बैकफुट पर आ गई है। राज्य सरकार ने यूकेएसएसएससी की ओर से कराई गई पांच परीक्षाओं को रद्द कर दिया है। बता दें कि उत्तराखंड में इन दिनों सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा यानी एसएससी का पेपर लीक होने की वजह से हंगामा मचा हुआ है। इस मामले में पकड़े गए मुख्य अभियुक्त के संबंध राज्य बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं के साथ रहे हैं।
पेपर लीक घोटाले के मामले में अब तक 37 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
कुछ दिन पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले को उठाया तो उसके बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया। इसकी जानकारी बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व तक भी पहुंच चुकी है। इसके साथ ही उत्तराखंड की विधानसभा में हुई भर्तियों को लेकर भी उत्तराखंड का सियासी माहौल गर्म है।
यूकेएसएसएससी की ओर से वाहन चालकों, पुलिस रैंकर्स के 770 से अधिक पदों के लिए भर्ती परीक्षाएं कराई गई थीं। अभी तक इनका परीक्षाफल घोषित नहीं किया गया है। राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि इन परीक्षाओं को कराने का काम अब राज्य लोक सेवा आयोग करेगा।
राज्य सरकार ने अपने फैसले में कहा है कि परीक्षा शुल्क जमा कर चुके अभ्यर्थियों को राहत मिलेगी और उन्हें दोबारा परीक्षा शुल्क नहीं देना होगा। परीक्षाओं में हुई गड़बड़ियों के साथ ही पेपर लीक घोटाले को लेकर भी धामी सरकार विपक्ष के निशाने पर तो थी ही अंदरखाने यानी बीजेपी में भी इसे लेकर चर्चा जोरों पर थी।
सोशल मीडिया पर भी लोग लगातार परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ियों को लेकर धामी सरकार को घेर रहे थे। लोगों का कहना था कि वन, शिक्षा, सहकारिता सहित कई अन्य विभागों में भी भर्तियों में गड़बड़ी हुई है। युवा रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं और प्रदेश में एक के बाद एक भर्तियों में घोटाले सामने आ रहे हैं।
आलोचना से दबाव में आने के बाद राज्य सरकार ने राज्य लोक सेवा आयोग को परीक्षाएं कराने की जिम्मेदारी दी है। इससे पता चलता है कि सरकार नहीं चाहती कि उसे फिर से किसी तरह की किरकिरी का सामना करना पड़े।
एसएससी पेपर लीक घोटाले में जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक 200 से ज्यादा उम्मीदवारों से 10 से 15 लाख रुपए लेकर उन्हें लीक किए गए पेपर दिए गए थे। इस पेपर की कॉपी को लखनऊ की एक प्राइवेट फर्म के मालिक और उसके स्टाफ के सदस्य ने लीक किया था। उत्तराखंड सरकार ने इस प्राइवेट फर्म से अपना अनुबंध तोड़ लिया है।
हाकम सिंह रावत है मास्टरमाइंड
इस घोटाले का मास्टरमाइंड हाकम सिंह रावत नाम का शख्स है। रावत की उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित तमाम बड़े नेताओं के साथ तस्वीरें हैं। रावत के बारे में कहा जाता है कि उसने बहुत कम समय में अच्छी-खासी संपत्ति इकट्ठा कर ली है। हाकम सिंह रावत के अलावा इस मामले में केंद्रपाल, चंदन मनराल, मनोज जोशी, जगदीश गोस्वामी सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस घोटाले में शामिल कई लोगों ने नापाक ढंग से कमाए गए रुपयों के बदौलत 50-50 करोड़ तक की संपत्ति बना ली है और वे इस धंधे में पिछले दस साल से लगे हुए हैं।
उधर, विधानसभा सचिवालय में हुई नियुक्तियों के मामले को भी विपक्ष ने जोर-शोर से उठाया है। विपक्ष के हमलों के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी से इस मामले की जांच कराने के लिए कहा था। इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्य समिति बनाई गई है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि विधानसभा में हुई भर्तियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है और इसमें कैबिनेट मंत्रियों के पीआरओ को नौकरी दी गई है। उत्तराखंड की विधानसभा में बीते वर्ष 129 भर्तियां हुई थीं।
जानकारी के मुताबिक़, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ओएसडी विनोद धामी की पत्नी एकांकी धामी, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के पीआरओ राजन रावत, कैबिनेट मंत्री रेखा के पीआरओ गौरव गर्ग को विधानसभा में नियुक्ति दी गई है। इसके अलावा कई वीवीआईपी लोगों के रिश्तेदारों को भी नियुक्तियां दी गई हैं।