महाराष्ट्र: उद्धव की पहली परीक्षा आज, विधानसभा में साबित करना होगा बहुमत
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पहली परीक्षा शनिवार को होगी, जब उन्हें विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। इसके लिए शनिवार को महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। विधानसभा में 2 बजे शक्ति परीक्षण होगा। हालाँकि उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए तीन दिसंबर तक का समय दिया गया था लेकिन उन्होंने 30 नवंबर को ही बहुमत साबित करने का निर्णय लिया है। एनसीपी नेता दिलीप वलसे पाटिल को प्रोटेम स्पीकर चुना गया है। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहब थोराट ने कहा है कि कांग्रेस की ओर से स्पीकर पद के लिए नाना पटोले का नाम तय किया गया है जबकि बीजेपी ने किसन कथोरे को अपना प्रत्याशी बनाया है।
24 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आने के बाद से ही महाराष्ट्र में बहुमत का आंकड़ा जुटाने को लेकर लड़ाई चल रही थी। आख़िरी समय में जब देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी तब भी बीजेपी बहुमत साबित नहीं कर पाई थी। कई दौर की बैठकों के बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस में सरकार बनाने को लेकर सहमति बनी।
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस वाले गठबंधन महा विकास अघाड़ी ने सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए 166 विधायकों के समर्थन वाला पत्र राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सौंपा था। राज्यपाल ने उन्हें बहुमत साबित करने के लिए तीन दिसंबर तक का समय दिया था। गठबंधन का दावा है कि उसके पास 170 विधायकों का समर्थन है। विधानसभा में 288 सीटें हैं और बहुमत के लिए 145 विधायकों का समर्थन होना चाहिए।
माना जा रहा है कि महा विकास अघाड़ी के पास बहुमत के लिए पर्याप्त संख्या है और वह आसानी से बहुमत साबित कर देगा क्योंकि गठबंधन 170 विधायकों का समर्थन होने का दावा कर रहा है। हालाँकि रोचक बात यह भी है कि देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार के शपथ लेने के दौरान बीजेपी भी दावा कर रही थी कि उसके पास 170 विधायकों का समर्थन है। हालाँकि फ़्लोर टेस्ट से पहले ही दोनों नेताओं को इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
एनसीपी के विधायक दल के नेता के तौर पर अजीत पवार ने बीजेपी का समर्थन किया था और बीजेपी को उम्मीद थी कि अजीत पवार अपने साथ एनसीपी के कुछ विधायकों को तोड़कर लाएँगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। हालाँकि पहले यह कहा गया था कि अजीत पवार के पास 22 विधायक हैं, लेकिन 24 घंटे के अंदर ही लगभग सभी विधायक एनसीपी में वापस चले गए थे।