यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने अपनी देवबंद बैठक में खारिज कर दिया। जमीयत ने कहा कि वो शरीयत में दखलन्दाजी बर्दाश्त नहीं करेगा। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द देश के सुन्नी मुसलमानों की प्रमुख संस्था है। इस तरह सुन्नी मुसलमानों के संगठन और ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की राय यूसीसी पर अलग हो गई। शिया बोर्ड ने तीन दिन पहले अपनी बैठक में कहा था कि यूसीसी पर सरकार अपना ड्राफ्ट तो सामने रखे कि उसमें क्या है।
जमीयत उलेमा हिन्द ने दो दिन का जलसा देवबंद में आयोजित किया था। जलसे का रविवार को दूसरा दिन था। जमीयत के इस जलसे में कई मुस्लिम संगठनों ने भाग लिया। रविवार को जमीयत के मंच से कहा गया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड मुसलमानों की शरीयत में दखलन्दाजी है, जिसे मुसलमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। जलसे के दूसरे दिन कई प्रस्ताव पारित किए गए, जिसमें सारी बातों को विस्तार से रखा गया। इसमें सबसे अहम प्रस्ताव यूसीसी को लेकर है।
जिसे जाना हो जाए
जमीयत के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मुसलमानों पिछले दस वर्षों से खामोश है। वह सारे जुल्म, सारे दबाव बर्दाश्त करता रहा। लेकिन अब बहुत हो चुका है। मुसलमान अब चुप नहीं रहेगा। अगर कुछ लोगों को मुसलमानों का खाना-पीना पसंद नहीं है, उनका धर्म पसंद नहीं है तो वे बेशक इस देश को छोड़कर चले जाएं। मुसलमान यहीं रहेगा और देश छोड़कर कहीं जाने वाला नहीं है।
देवबंद में चल रहे जमीयत सम्मेलन के पहले दिन मौलाना महमूद मदनी जहां भावुक थे, वहीं रविवार को उनके तेवर तीखे थे। मौलाना ने कहा अगर वो अखंडता की बात करें तो धर्म है, हम बात करें तो वो तंज माना जाता है। तमाम प्रस्तावों के दौरान कई ऐसे क्षण भी आए जब मौलाना भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू निकल आए।