अमरीका ने सीरिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का फ़ैसला किया है। राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इसका एलान करते हुए कहा कि इसलामिक स्टेट को सीरिया में हराया जा चुका है। राष्ट्रपति के इस निर्णय से असहमत रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने इस्तीफ़ा दे दिया है।
ट्रंप ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। अमरीकी रक्षा मंत्रालय का कहना है कि सीरिया में आईएस को हराया जा चुका है। पेंटागन ने कहा, ‘सीरिया के अभियान का अगल चरण अब शुरू होने वाला है।’ सीरिया में लगभग 2,000 अमरीकी सैनिक तैनात हैं जो वहां की सरकार की मदद कर रहे हैं। सीरिया में बीते पाँच साल से गृह युद्ध चल रहा है।
अमरीका के इस क़दम की आलोचना की जा रही है। समझा जाता है कि अमरीकी समर्थन से उत्तरी सीरिया में काम कर रहे कुर्द सगंठनों को इससे दिक्क़त होगी। हालांकि आईएस को वहां से मोटे तौर पर हटाया जा चुका है, पर अभी भी कुछ इलाक़ों में उनका प्रभाव है और वे हिंसा की छिटपुट वारदात करते रहते हैं। वे एक बार फिर संगठित हो जाएँ, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। यह आशंका भी जताई जा रही है कि इस मौक़े का फ़ायदा उठा कर ईरान सीरिया में अपनी स्थिति मजबूत कर ले। इससे इस्ररायल को दिक्क़त होगी और अमरीका से उसके रिश्तों में कटुता आएगी।
सीरिया से अमरीकी फ़ौज़ के लौटने से वहां चल रहे गृहयुद्ध में सरकार का पलड़ा भारी होगा, लेकिन इसके साथ ही कुर्द छापामारों पर तुर्की कार्रवाई आसान हो जाएगी। ईरान को अपने पैर पसारने में सुविधा होगी और इससे इस्ररायल की परेशानियाँ बढ़ेंगी।
मैटिस ने ट्रंप को भेजे इस्तीफ़े में लिखा, ‘आपको यह हक़ है कि ऐसा रक्षा मंत्री चुनें जो इस और दूसरे मुद्दों पर आपके विचारों से मेरी तुलना में अधिक सहमत हों, ऐसे में मेरा पद से हटना ही बेहतर है।’
राष्ट्रपति ने इस्तीफ़ा स्वीकार करते हुए कहा है कि वे जल्द ही नए रक्षा मंत्री के नाम की घोषणा करेंगे।
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाखारोवा ने कहा कि सीरिया के समस्या के राजनीतिक समाधान के लिए यह सही क़दम है।
तुर्की के राष्ट्रपति रीचप तैयप अर्दवान ने कहा है कि वे जल्द ही सीरिया में सक्रिय वाईपीजी विद्रोहियों के ख़िलाफ़ नए सैनिक अभियान का एलान करेंगे। समझा जाता है कि अंकारा इस मौक़े का फ़ायदा उठा कर कुर्द अलगाववादियों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू कर देगा।
अमरीका के इस निर्णय के दूरगामी नतीजे होंगे। ईरान, इस्ररायल के अलावा हिज़्बुल्ला विद्रोहियों की रणनीति भी इससे प्रभावित होगी। पर अमरीका दूसरे देशों से अपने सैनिकों की वापसी की नीति पर चल रहा है और धीरे धीरे सभी जगहों से अपने पैर खींच रहा है।