पुडुचेरी कांग्रेस संकट: फ्लोर टेस्ट से पहले 2 और विधायकों का इस्तीफ़ा
पुडुचेरी में कांग्रेस का संकट और गहरा गया। विधानसभा में सोमवार को तय बहुमत परीक्षण से पहले दो और विधायक ने इस्तीफ़ा दे दिया है। चार विधायक पहले ही इस्तीफ़ा दे चुके हैं। समझा जाता है कि कांग्रेस के पास बहुमत साबित करने में दिक्कत आएगी। हालाँकि मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने सरकार के अल्पमत में आने से इनकार किया है और बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह सरकार गिराने का प्रयास कर रही है।
पुडुचेरी में कांग्रेस के चार विधायकों के बाद पाँचवाँ इस्तीफ़ा लक्ष्मीनारायणन ने दिया है। लक्ष्मीनायणन के अलावा कांग्रेस के सहयोगी दल डीएमके के एक विधायक वेंकटेशन ने भी इस्तीफ़ा दिया है। लक्ष्मीनारायणन ने कहा है कि वह पार्टी भी छोड़ देंगे। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा है कि उन्हें पार्टी में वह सम्मान नहीं मिला जिनकी उन्हें दरकार थी। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेता होने के बावजूद उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अल्पमत में आ गई है और इसके लिए उन्हें ही पूरी तरह ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। वेंकटेशन ने कोई बयान जारी नहीं किया है।
इससे पहले चार विधायकों के इस्तीफ़े के बाद संकट में आई कांग्रेस सरकार को विधानसभा में फ़्लोर टेस्ट से गुज़रने के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर तमिलिसाई सुंदरराजन ने सोमवार का दिन तय किया। उसमें तमिलिसाई ने विपक्ष के उस रुख का हवाला दिया कि सत्तारूढ़ पार्टी के पास अब बहुमत नहीं है।
यह घटनाक्रम तब चला है जब राज्य में कुछ महीनों में ही चुनाव होने वाले हैं। चार विधायकों के इस्तीफ़े के बाद लेफ़्टिनेंट गवर्नर किरण बेदी को पद से हटा दिया गया और उनकी जगह पर सुंदरराजन को लेफ़्टिनेंट गर्वनर की ज़िम्मेदारी दी गई है।
उपराज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालने के बाद सुंदरराजन ने कहा कि यह पता लगाने के लिए कि क्या कांग्रेस सरकार को बहुमत प्राप्त है, मतदान सोमवार शाम 5 बजे होगा।
एक बयान में कहा गया है कि उपराज्यपाल ने नारायणसामी को अवगत कराया था कि विधानसभा इस एकमात्र एजेंडे के लिए बैठक करेगी।
समझा जाता है कि 30 सदस्यों वाली पुडुचेरी की विधानसभा में कांग्रेस के नेतृत्व वाली वी. नारायणसामी सरकार अल्पमत में आ गई, लेकिन चार विधायकों के इस्तीफ़े के तुरंत बाद मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने अल्पमत में आने के दावों का खंडन किया था।
उन्होंने कहा था कि उनमें से दो इस्तीफे स्वीकार किए जाने बाक़ी हैं। इस बीच अब एक और विधायक ने इस्तीफ़ा दे दिया है।
कांग्रेस के पास 15 विधायक थे लेकिन यदि पाँच विधायकों के इस्तीफ़े मान लिए जाएँ तो यह संख्या 10 रह जाती है। डीएमके के दो विधायक उसके साथ हैं लेकिन फिर भी बहुमत के लिए ज़रूरी 16 विधायकों से उसके पास तीन विधायक कम होंगे।
दो विधायकों ने पिछले महीने 25 जनवरी को इस्तीफ़ा दिया था, एक विधायक ने सोमवार को और एक विधायक ने मंगलवार को इस्तीफ़ा दिया।
पहले चार इस्तीफ़ा देने वाले विधायकों में ए. नमशिवायम, ई.थिप्पयनजन, मल्लाडी कृष्णा राव और जॉन कुमार शामिल हैं। इनमें से ए. नमशिवायम, ई.थिप्पयनजन बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। ए. नमशिवायम का जाना कांग्रेस के लिए ज़्यादा बड़ा झटका है क्योंकि वह पुडुचेरी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। पार्टी छोड़ने के बाद से कई कार्यकर्ता ए. नमशिवायम के साथ जा चुके हैं। ए. नमशिवायम 2016 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे लेकिन पार्टी ने वी. नारायणसामी को मुख्यमंत्री बनाया था।
बीजेपी इस बार केरल, तमिलनाडु के साथ ही पुडुचेरी में भी पूरी ताक़त के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
कांग्रेस आलाकमान पर सवाल
पुडुचेरी का घटनाक्रम एक बार फिर कांग्रेस आलाकमान पर सवाल खड़े करता है क्योंकि बीते कुछ सालों में यह पहला मौक़ा नहीं है, जब किसी राज्य में विधायक पार्टी को छोड़कर गए हों। कर्नाटक, मध्य प्रदेश में विधायकों के पार्टी छोड़कर जाने की वजह से उसकी सरकार चली गई। इसके अलावा गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में ऐसा हो चुका है।
राजस्थान और पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्रियों के ख़िलाफ़ बग़ावत हो चुकी है।