तुर्की और सीरिया में आए भूकंप में अब तक 21000 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अभी भी यह संख्या बढ़ सकती है। रिपोर्टों के अनुसार, तुर्की में बचावकर्मी हजारों इमारतों के मलबे में फंसे लोगों को बचाने के लिए जुटे हैं। भारतीय टीम भी राहत और बचाव कार्य में मदद कर रही है। जीवित बचे लोगों को खोजने की संभावना अब कम हो गई है क्योंकि 72 घंटे का समय जिसे विशेषज्ञ जान बचाने के लिए सबसे संभावित अवधि मानते हैं, वह बीत चुका है।
भारत भी तुर्की में 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत मदद पहुंचा रहा है। इसी कड़ी में भारत से तुर्की भेजे गए एनडीआरएफ के दल ने मलबे में दबी 6 साल की बच्ची को सुरक्षित निकाला है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने सफल रेस्क्यू ऑपरेशन का वीडियो शेयर कर इसकी जानकारी दी है।
दो दिन पहले विदेश मंत्रालय के सचिव संजय वर्मा ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत ने तुर्की के अदाना में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि 10 भारतीय प्रभावित क्षेत्रों के दूरदराज के हिस्सों में फंसे हुए हैं, लेकिन वे सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि एक भारतीय नागरिक, जो व्यापारिक यात्रा पर था, लापता है। हम बेंगलुरु में उनके परिवार और उस कंपनी के संपर्क में हैं जिसके लिए वह काम करते हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि करीब 3,000 भारतीय नागरिक तुर्की में रहते हैं और उन्हें सहायता मांगने वाले 75 लोगों के फोन आए हैं।
भारत ने तुर्की को राहत सामग्री भेजी है, जिसमें चिकित्सा आपूर्ति, एक मोबाइल अस्पताल और विशेष खोज और बचाव दल शामिल हैं। तुर्की को हिला कर रख देने वाले विनाशकारी भूकंपों की श्रृंखला के मद्देनजर उसकी मदद के लिए दो सी -17 ग्लोबमास्टर सैन्य परिवहन विमानों में सहायता भेजी गई।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया, 'ऑपरेशन दोस्त के तहत, भारत तुर्की और सीरिया में खोज और बचाव दल, एक फील्ड अस्पताल, सामग्री, दवाएं और उपकरण भेज रहा है। यह एक जारी ऑपरेशन है और हम अपडेट पोस्ट करेंगे।'
अधिकारियों ने कहा है कि तुर्की में मौसम की स्थिति ख़राब है, लेकिन राष्ट्रीय आपदा राहत बल यानी एनडीआरएफ की टीमें अच्छी तरह से तैयार हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'एनडीआरएफ की टीमें आत्मनिर्भर लक्ष्यों के साथ गई हैं। हम स्थानीय आबादी पर और बोझ नहीं बनना चाहते हैं, इसलिए हम 15 दिनों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।'
विदेश मंत्रालय के सचिव ने कहा, '1939 के बाद से तुर्की में आई यह सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा है। हमें सहायता के लिए तुर्की की ओर से एक ईमेल मिला और बैठक के 12 घंटे के भीतर, पहली एसएआर उड़ानें तुर्की के लिए रवाना हुईं।' उन्होंने कहा, 'इसके बाद 4 ऐसी उड़ानें तुर्की भेजी गईं, जिनमें से 2 एनडीआरएफ की टीमों को ले गईं और 2 मेडिकल टीमों को ले गईं। चिकित्सा आपूर्ति और उपकरण ले जाने वाला एक विमान सीरिया भेजा गया।'