तीन तलाक़ बिल लोकसभा में पास, कांग्रेस का वॉकआउट
विपक्षी दलों के विरोध, शोर-शराबे और वॉक आउट के बीच तीन तलाक़ विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पारित हो गया। क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे सदन में रखते हुए कहा कि यह बिल मुसलिम महिलाओं के हक़ों की रक्षा के लिए है। विधेयक के पक्ष में 245 सांसदों ने वोट किया जबकि 11 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया। अब बिल को राज्यसभा में भेजा जाएगा। राज्यसभा में इस बिल को पास कराना मुश्किल होगा, क्योंकि वहा सत्ताधारी गठबंधन के पास बहुमत नही है।
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018) पर गुरुवार को पूरे दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहस होती रही। बिल पर वोटिंग से पहले कांग्रेस, एआईएडीएमके, तृणमूल कांग्रेस और राजद ने इसका बहिष्कार करते हुए सदन से वाक आउट कर दिया।
सरकार ने इस पर ज़ोर दिया कि ट्रिपल तलाक़ बिल इंसानियत और इंसाफ़ के बारे में है और इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। विपक्ष ने विेधेयक को सेलेक्ट कमिटी को भेजने की माँग की। विपक्ष का कहना है कि इस बिल के प्रावधान अंसवैधानिक हैं।
इससे पहले चर्चा के दौरान क़ानून मंत्री ने कहा कि दुनिया के 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक़ पर प्रतिबंध लगा दिया है तो भारत जैसे सेक्युलर देश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि इसे राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक़ को ग़ैरक़ानूनी और असंवैधानिक क़रार दिया था।
Ravi Shankar Prasad, Law Minister in Lok Sabha: 20 Islamic nations have banned #tripletalaq, then why can't a secular nation like India? I request that this should not be looked through the prism of politics https://t.co/W8IhXtPCkP
— ANI (@ANI) December 27, 2018
प्रसाद ने विधेयक को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने से यह कह कर इनकार कर दिया कि सरकार ने ज़रूरी संशोधन पहले ही कर लिए हैं। अब किसी और सुधार की ज़रूरत नहीं हैं। उन्होंने यह यह भी कहा कि सरकार ने क्या संसोधन किए हैं।
तीन तलाक़ विधेयक में सरकारी संशोधन
- सिर्फ़ महिला या उसका कोई रिश्तेदार पति के ख़िलाफ़ पुलिस में मामला दर्ज करा सकता है।
- पति-पत्नी में समझौता हो जाने की स्थिति में पत्नी ही मामला वापस ले सकती है।
- मजिस्ट्रेट पत्नी की बात सुनने के बाद ही पति को रिहा करने के मुद्दे पर विचार कर सकता है।
लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि विधेयक पर बहस होने और इसे पारित कर देने के बाद इसे सेलेक्ट कमिटी कोे नहीं भेजा जा सकता है। कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव का तर्क था कि यह विधेयक दरअसल मुसलिम पुरुषों को दंड देने के लिए लाया जा रहा है, लेकिन इससे महिलाओं को कोई फ़ायदा नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि तीन तलाक़ को आपराधिक काम क़रार देना सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ है। इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच असली लड़ाई तो राज्यसभा में होनी है, जहां सरकार के पास बहुमत नहीं है। कांग्रेस वहां इसे तीन साल जेल की सज़ा देने के मुद्दे पर ही घेरेगी। यह भी पढ़ें: तीन तलाक़ : तीन साल की सज़ा पर फिर अटकेगा बिल