पश्चिम बंगाल में चल रहे चुनावी घमासान के बीच तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से पाला बदलकर बीजेपी में जाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। सोमवार शाम को टीएमसी के पांच विधायक ममता बनर्जी का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। इन विधायकों को इस बार टीएमसी ने उम्मीदवार नहीं बनाया था। विधायकों के नाम सोनाली गुहा, सीतल सरदार, दीपेंदु बिस्वास, रबिंद्रनाथ भट्टाचार्य और जाटु लाहिरी शामिल हैं। इन सभी को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कोलकाता में पार्टी की सदस्यता दिलाई।
इससे पहले कैबिनेट मंत्री शुभेंदु अधिकारी, लक्ष्मी रतन शुक्ला से लेकर राजीव बनर्जी तक पार्टी छोड़ चुके हैं। इसके अलावा भी कई विधायकों ने टीएमसी का साथ छोड़ा है।
सोनाली गुहा को ममता का बेहद क़रीबी माना जाता था। सोनाली चार बार की विधायक थीं लेकिन इस बार उन्हें भी टीएमसी ने उम्मीदवार नहीं बनाया था। इसके बाद से ही माना जा रहा था कि वे बीजेपी का दामन थाम लेंगी।
नंदीग्राम में ममता बनाम शुभेंदु
ममता बनर्जी ने कुछ दिन पहले 291 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की थी जबकि 3 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ी गई हैं। बंगाल में विधानसभा की कुल 294 सीटें हैं। ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी और उनकी टक्कर शुभेंदु अधिकारी से होगी। टीएमसी ने 50 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है और मुसलिम समुदाय के 42 लोगों को भी टिकट दिया गया है।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के जय श्री राम के नारे के मुक़ाबले जय मां दुर्गा का नारा बुलंद करने के बाद ममता बनर्जी ने तुरूप का एक और पत्ता फेंका है। टीएमसी का नया नारा है ‘बंगाल मांगे बंगाल की बेटी’। टीएमसी चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी को एक बाहरी पार्टी और ख़ुद को बंगाली स्वाभिमान का प्रतीक साबित करने की कोशिश कर रही है।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच जबरदस्त सियासी युद्ध हो रहा है। बीजेपी की लंबी सियासी फ़ौज़ और टॉप कमांडर्स के सामने ममता बनर्जी अकेले हुंकार भर रही हैं।
घिरी हुई हैं ममता
इस चुनाव में ममता तीन तरफ़ से घिरी हुई दिखाई दे रही हैं। एक तरफ़ उनके पुराने विरोधी वाम मोर्चा और कांग्रेस का गठजोड़ है तो दूसरी तरफ़ बीजेपी खड़ी हो गयी है। तीसरी तरफ़ असदउद्दीन ओवैसी और ताज़ा-ताज़ा बनी छोटी पार्टियों के नेता हैं जो उनके पारंपरिक आधार को तोड़ने की कोशिश करेंगे।
राजनीतिक तौर पर ममता के लिए यह चुनाव पिछले दो चुनावों की तरह आसान नहीं लग रहा है। 2011 का चुनाव वो सिंगुर और नंदीग्राम के किसान संघर्ष के बूते पर जीत गयी थीं।
2016 में सीपीएम और वामपंथियों के साथ-साथ कांग्रेस भी पस्त पड़ी थी। बीजेपी तब बहुत कमज़ोर थी। लेकिन अब बीजेपी एक बड़ी ताक़त बन चुकी है और वाम दल तथा कांग्रेस पहले से ज़्यादा संभले हुए दिखाई दे रहे हैं।
8 चरणों में होगा मतदान
पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में मतदान होगा। 294 सीटों वाले बंगाल में पहले चरण में 30 सीटों पर 27 मार्च को, दूसरे चरण में 30 सीटों पर 1 अप्रैल को, तीसरे चरण में 31 सीटों पर 6 अप्रैल को, चौथे चरण में 44 सीटों पर 10 अप्रैल को, पांचवें चरण में 45 सीटों पर 17 अप्रैल को, छठे चरण में 43 सीटों पर 22 अप्रैल को, सातवें चरण में 36 सीटों पर 26 अप्रैल को और आठवें चरण में 35 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होगा। नतीजे 2 मई को आएंगे।