टीएमसी ने चुनाव आयोग से की मोदी की शिकायत, उठाया मातुआ मंदिर का मामला
तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिकायत चुनाव आयोग से करते हुए कहा है कि बांग्लादेश के ओराकांदी मातुआ मंदिर जाकर उन्होंने पश्चिम बंगाल में उसी दिन हो रहे प्रथम चरण के मतदान को प्रभावित करने की कोशिश की है। टीएमसी ने तर्क दिया है कि प्रधानमंत्री अपने साथ मातुआ नेता शांतनु ठाकुर को भी ले गए थे जो किसी सरकारी पद पर नहीं है और उनके प्रधानमंत्री के प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का सीधा मतलब यह है कि वे मातुआ मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे।
तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को चुनाव आयोग को लिखित चिट्ठी में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है। इसके साथ ही पार्टी ने उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की माँग की है।
टीएमसी ने यह भी कहा है कि नरेंद्र मोदी ने मतुआ समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि किस ने सोचा था कि कोई भारतीय प्रधानमंत्री यहां आएगा और पूजा करेगा।
याद दिला दें कि भारतीय प्रधानमंत्री बांग्लादेश की स्वतंत्रता के स्वर्ण जयंती समारोह और उसके संस्थापक माने जाने वाले शेख मुज़ीबुर रहमान के जन्म शतवार्षिकी समारोह में भाग लेने के लिए बांग्लादेश गए थे। लेकिन वह ओराकांदी स्थित मातुआ मंदिर भी गए, जिसकी स्थापना मातुआ संप्रदाय के संस्थापक हरिचाँद ठाकुर ने की थी। यह मातुआ समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है।
नरेंद्र मोदी ने उस मंदिर में मातुआ समुदाय के लोगों को संबोधित भी किया था। उन्होंने कहा था कि वे जब पश्चिम बंगाल स्थित मातुआ मंदिर गए थे तो मातुआ प्रमुख 'बड़ो माँ' यानी वीणापाणि देवी से मिल कर आशीर्वाद लिया थ। उन्हें 'बड़ो माँ' ने बहुत ही स्नेह दिया था। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मातुआ समुदाय के लोगों ने उन्हें बहुत ही इज्ज़त दी थी।
प्रधानमंत्री के साथ शांतनु ठाकुर भी बांग्लादेश गए थे। शांतनु ठाकुर मातुआ समुदाय के संस्थापक हरिचाँद ठाकुर के पड़पोते हैं और बीजेपी के सांसद भी। टीएमसी ने यह सवाल उठाया है कि शांतनु ठाकुर देश के प्रधानमंत्री के प्रतिनिधिमंडल में किस हैसियत से गए थे।
बता दें कि उसी दिन यानी 27 मार्च को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का पहला चरण था। राज्य में मातुआ समुदाय की आबादी लगभग दो करोड़ है और वे लगभग 60-70 विधानसभा सीटों को प्रभावित करने की स्थिति में है। ऐसे में टीएमसी को आपत्ति इस बात पर है कि प्रधानमंत्री ने मातुआ समुदाय को प्रभावित करने की कोशिश की थी। यह चुनाव आयोग की संहिता का उल्लंघन है।
शिवसेना ने भी प्रधानमंत्री को निशाने पर लिया है। उसने अपने मुखपत्र 'सामना' में मंगलवार को लिखा कि नरेंद्र मोदी को बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन में भाग लेने के लिए 'ताम्र पत्र' (ताम्रपत्र) दिया जाना चाहिए। नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश में भाषण देते हुए कहा था कि बांग्लादेश की मुक्ति के लिए उन्होंने सत्याग्रह किया था और जेल भी गए थे। शिवसेना ने इसी पर तंज किया है।