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त्रिपुरा में टीएमसी कार्यकर्ताओं पर हमले का आरोप, दिल्ली में प्रदर्शन

त्रिपुरा में टीएमसी कार्यकर्ताओं पर हमले का आरोप, दिल्ली में प्रदर्शन

ममता बनर्जी की कोशिश बंगाल के बाहर भी टीएमसी की सरकार बनाने की है और इसके लिए उनकी नज़र त्रिपुरा पर है। लेकिन बीजेपी टीएमसी को यहां पैर पसारने नहीं देना चाहती। 

पश्चिम बंगाल के बाद अब त्रिपुरा बीजेपी और टीएमसी के बीच घमासान का गढ़ बनने जा रहा है। राज्य में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी राज्य में अपने पैर जमाना चाहती है जबकि बीजेपी ऐसा नहीं होने देना चाहती। 

बीते कुछ महीनों से त्रिपुरा के अंदर टीएमसी के नेताओं की गिरफ़्तारी से लेकर उन पर हमले तक की ख़बरें सामने आ चुकी हैं। 25 नवंबर को स्थानीय निकाय के चुनाव होने हैं और टीएमसी इस चुनाव में उतरी है, इससे दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें बढ़ गई हैं। 

सोमवार को टीएमसी के कई सांसदों ने गृह मंत्रालय के बाहर धरना दिया और आरोप लगाया कि बीजेपी शासित राज्य त्रिपुरा में टीएमसी के कार्यकर्ताओं पर पुलिस जुल्म कर रही है। पार्टी के सांसदों ने इस मामले में गृह मंत्री अमित शाह से मिलने का वक़्त मांगा था लेकिन उन्हें वक़्त नहीं दिया गया। 

 - Satya Hindi

रविवार को टीएमसी की यूथ विंग की अध्यक्ष सायोनी घोष को त्रिपुरा पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। टीएमसी का कहना था कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने सायोनी घोष पर हमला किया है। घोष के साथ मौजूद बड़े नेताओं पर भी हमला किए जाने का आरोप टीएमसी ने लगाया है। हालांकि बीजेपी ने इन आरोपों से इनकार किया है। 

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद टीएमसी अब 2023 के मार्च में होने वाले त्रिपुरा के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करना चाहती है। त्रिपुरा में बीजेपी के असंतुष्टों को टीएमसी में लाने का काम मुकुल राय को सौंपा गया है। मुकुल राय पहले भी पूर्वोत्तर में टीएमसी की जड़ें जमाने का काम कर चुके हैं। 

बता दें कि पश्चिम बंगाल में भी विधानसभा चुनाव से पहले और बाद में बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प होती रही, जो हाल-फिलहाल भी जारी है। इसी तरह का माहौल अब त्रिपुरा में भी बन रहा है। 

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