अडानी केसः हिंडनबर्ग रिपोर्ट से भी गंभीर यूएस मामला क्यों है?
अडानी समूह अमेरिका में बड़े रिश्वतखोरी के आरोपों से हिल गया है। अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने 22 महीने पहले अडानी समूह पर भारतीय निवेशकों से हेराफेरी का आरोप लगाया था। उसके बाद यह बड़ा मामला सामने आया है। उस समय अडानी समूह पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया गया था और भारत का सत्ता केंद्र अडानी के साथ खड़ा नजर आया था। लेकिन इस बार मामला उससे कहीं अधिक गंभीर है। और उसकी वजहें भी खास हैं।
अमेरिकी अदालतों पर वहां की सत्ता का मामूली अंकुश या जुगाड़ कहीं से भी काम नहीं करता। भारत सरकार अगर यूएस प्रशासन को प्रभावित करके यूएस अदालतत पर कोई दबाव बनाना या फेवर लेना चाहेगी तो भी कहीं से कोई मदद नहीं मिलने वाली। अमेरिकी जिला अदालत, ब्रुकलिन में दायर किए गए नए आरोप कहीं अधिक गंभीर हैं क्योंकि बातचीत और अन्य सामग्री रिकॉर्ड से जुड़े दस्तावेज दिखाते हैं कि अमेरिकी निवेशकों से जुटाए गए धन का इस्तेमाल कथित तौर पर भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए किया गया था। हिंडनबर्ग मामला काफी हद तक कथित स्टॉक-हेरफेर, संबंधित लेनदेन और स्टॉक मैन्युपुलेशन के आरोपों तक ही सीमित था।
- अमेरिका के ब्रुकलिन में फेडरल कोर्ट में पांच मामलों में आपराधिक मुकदमा चलाया गया है। यानी सिर्फ एक-दो मामला अडानी समूह के खिलाफ वहां नहीं है।
इन मामलों में अडानी ग्रीन एनर्जी के अधिकारियों गौतम एस. अडानी, सागर आर. अडानी और विनीत एस. जैन पर प्रतिभूतियों (सिक्योरटीज) और मूल प्रतिभूतियों की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। इसमें झूठे और भ्रामक बयानों के आधार पर अमेरिकी निवेशकों और ग्लोबल वित्तीय संस्थानों से धन प्राप्त करने के लिए कई अरब डॉलर की योजना में उनकी भूमिका के लिए धोखाधड़ी का भी आरोप है। यानी अमेरिकी निवेशकों से तो धोखाधड़ी की ही गई है लेकिन अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से धन या लोन पाने के लिए भी हाई क्लास धोखाखड़ी का आरोप है।
इन मामलों में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर कारोबार करने वाली प्रतिभूतियों वाली एक नवीकरणीय-ऊर्जा कंपनी के पूर्व अधिकारियों रंजीत गुप्ता और रूपेश अग्रवाल और एक कनाडाई कंपनी के पूर्व कर्मचारियों सिरिल कैबेन्स, सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा पर भी आरोप लगाया गया है। इस मामले में संस्थागत निवेशक गौतम एस. अडानी, सागर आर. अडानी और विनीत एस. जैन पर विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम का उल्लंघन करने की साजिश का आरोप है। यानी इस मामले में गौतम अडानी का नाम सीधे आया है। गौतम अडानी भारत में अडानी समूह के मालिक हैं।
अमेरिकी अदालत में आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने अरबों डॉलर की बिजली परियोजना का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने की एक बड़ी योजना को अंजाम दिया। गौतम एस. अडानी, सागर आर. अडानी और विनीत एस. जैन ने रिश्वत देने की इस पेशकश के बारे में न सिर्फ अमेरिकी निनेशकों बल्कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से भी झूठ बोला, क्योंकि वे पूंजी जुटाने की कोशिश कर रहे थे। इस अभियोग में भारत सरकार के अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी 2000 करोड़ से अधिक की रिश्वत देने, निवेशकों और बैंकों से झूठ बोलकर अरबों डॉलर जुटाने और न्याय में बाधा डालने की योजनाओं का आरोप लगाया इन लोगों पर लगाया गया है। यानी भारत का सबसे अमीर शख्स और दुनिया के अमीरों की सूची में शामिल शख्स रिश्वत देने के इतने बड़े आरोप का सामना करेगा।
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अमेरिकी निवेशकों की कीमत पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के जरिए बड़े पैमाने पावर सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त किए गए।
-अमेरिकी कोर्ट फाइलिंग का महत्वपूर्ण प्वाइंट
अमेरिकी कोर्ट की फाइलिंग में कहा गया कि “ये अपराध कथित तौर पर वरिष्ठ अधिकारियों और निदेशकों ने किए हैं। क्रिमिनल डिवीजन अमेरिकी कानून का उल्लंघन करने वाले भ्रष्ट, भ्रामक और अवरोधक आचरण दुनिया के किसी भी कोने में किया गया हो, मुकदमा चलना जारी रखेगा।''
एफबीआई के प्रभारी सहायक निदेशक डेनेही ने कोर्ट फाइलिंग में कहा कि “गौतम एस. अडानी और उनके सात अन्य व्यावसायिक अधिकारियों ने कथित तौर पर अपने कारोबार को फायदा पहुंचाने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत दी। अडानी और अन्य आरोपियों ने भी रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के बारे में झूठे बयानों के आधार पर पूंजी जुटाकर निवेशकों को धोखा दिया, जबकि अन्य आरोपियों ने कथित तौर पर सरकार की जांच में बाधा डालकर रिश्वतखोरी की साजिश को छिपाने का प्रयास किया।” एफबीआई ने कहा कि इस मामले में जांच चाहे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करना पड़े, उसका मिशन जारी रहेगा।
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अमेरिकी कोर्ट को बताया गया कि कई मौकों पर, गौतम एस. अडानी ने रिश्वत योजना को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से भारत सरकार के एक अधिकारी से मुलाकात की। फिर अन्य आरोपियों ने इसे लागू करने के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत करने के लिए एक-दूसरे के साथ व्यक्तिगत बैठकें कीं। इसमें कहा गया है कि आरोपी अक्सर रिश्वत योजना को आगे बढ़ाने के अपने प्रयासों पर चर्चा करते थे, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक मैसेजिंग एप्लिकेशन भी शामिल था।
- हैरान करने वाली बात अमेरिकी कोर्ट को बताई गई कि इन आरोपियों ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने का सबूत भी अपने पास रखा। यानी जिसे रिश्वत दी, उसका रेकॉर्ड अपने पास रखा। एफबीआई ने इसे ट्रैक किया है।
- सागर आर. अडानी ने सरकारी अधिकारियों को दी गई और दिए गए रिश्वत के विशिष्ट विवरण को ट्रैक करने के लिए अपने सेल्युलर फोन का उपयोग किया।
- विनीत एस. जैन ने अपने सेल्यूलर फोन का इस्तेमाल एक दस्तावेज़ की तस्वीर खींचने के लिए किया जिसमें रिश्वत की विभिन्न रकमों का ब्यौरा दिया गया था।
- रूपेश अग्रवाल ने पावरपॉइंट और एक्सेल का उपयोग करके दी गई रिश्वत का कई विश्लेषण तैयार किया और अन्य आरोपियों को बांटा।जिसमें रिश्वत भुगतान देने और छिपाने के विभिन्न विकल्पों का ब्यौरा दिया गया था।
अदालती फाइलिंग के अनुसार, भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने के वादे के बाद, जुलाई 2021 और फरवरी 2022 के बीच, ओडिशा, जम्मू और कश्मीर, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के राज्यों और क्षेत्रों के लिए अडानी समूह की बिजली वितरण कंपनियों का कारोबार फैल गया। मैन्युफैक्चरिंग लिंक्ड प्रोजेक्ट के तहत सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) के साथ बिजली बिक्री समझौते (पीएसए) किए गए।
अदालती फाइलिंग में कहा गया कि आंध्र प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों ने 1 दिसंबर, 2021 को या उसके आसपास एसईसीआई के साथ एक पीएसए में प्रवेश किया। जिसके अनुसार राज्य लगभग सात गीगावाट सौर ऊर्जा खरीदने पर सहमत हुआ जो कि किसी भी भारतीय राज्य या क्षेत्र की अब तक की सबसे बड़ी राशि है।