पुलिसकर्मियों ने लिया सोशल मीडिया का सहारा, बताया दर्द
दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में बीते शनिवार को पुलिसकर्मियों और वकीलों के बीच हुए विवाद के बाद सोशल मीडिया पर इससे जुड़े कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में वकीलों को पुलिसकर्मियों से हाथापाई करते देखा जा सकता है। वकीलों की पिटाई का विरोध करने के लिये पुलिसकर्मियों ने अब सोशल मीडिया का सहारा लिया है। कई सीनियर और रिटायर्ड पुलिस अफ़सर सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात कह रहे हैं।
आईपीएस एसोसिएशन ने ट्वीट किया है, ‘वकीलों और पुलिस के बीच हुई मारपीट की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी को जनता के बीच उपलब्ध तथ्यों को देखने के बाद ही संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। पुलिस देश भर में उन लोगों के साथ खड़ी है जिन पर हमला हुआ है और एसोसिएशन किसी के भी द्वारा क़ानून हाथ में लेने की निंदा करती है।’
Incident involving police & lawyers unfortunate. All should take a balanced view of it based on facts in public domain. Countrywide, police stands in solidarity with those police personnel subjected to physical assault & humiliation. Condemn all attempts to break law, by anyone!
— IPS Association (@IPS_Association) November 4, 2019
रिटायर्ड आईपीएएस अफ़सर प्रकाश सिंह ने कहा है कि देश में लगभग हर हफ़्ते किसी एक जिले में पुलिसकर्मियों पर हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसे हम अराजक तो नहीं लेकिन अव्यवस्था जैसी स्थिति कह सकते हैं।
A country where policemen are being thrashed almost every week in one district or the other can be said to be on the verge of disorder, if not anarchy.
— Prakash Singh (@singh_prakash) November 4, 2019
आईपीएस अफ़सर सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि कोई भी क़ानून से ऊपर नहीं है और दंगाइयों को सजा दी जानी चाहिए चाहे वे वकील ही क्यों न हों। उन्होंने कहा कि यह वह समय है जब वकीलों को क़ानून को पढ़ना चाहिए।
No one is above the law...Hoolingans must be punished even if they are masquerading as lawyers. Tis Hazari incident has shaken the collective consciousness of whole society. Time has come lawyers read the law! @IPS_Association @CPDelhi @abhikr31873 @kpsingh20#tishazariclash
— Dr. Sagar Preet Hooda (@SagarHoodaIPS) November 4, 2019
आईपीएस अफ़सर मधुर वर्मा ने ट्वीट किया है, 'मुझे दु:ख है कि हम पुलिसकर्मी हैं, हमारा कोई अस्तित्व नहीं है, हमारे परिवार नहीं है, हमारे मानवाधिकार नहीं हैं।'
I am sorry.. we are police ... we don’t exist.. we don’t have families...we don’t have human rights !!! https://t.co/ZqR7dEUFgy
— Madhur Verma (@IPSMadhurVerma) November 4, 2019
आईपीएस अफ़सर असलम ख़ान के ट्वीट पर जवाब देते हुए दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने पुलिस नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि पुलिस के अधिकारी ख़ुद पर कोई भी जिम्मेदारी नहीं आने देना चाहते। यह बहुत शर्मनाक है।
I fully agree. No leadership, no camaraderie. If one member of the team has been overpowered by goons, let him fend for himself. Everyone else will enjoy the spectacle, even if he is beaten to death. Police leaders in hiding lest any onus comes on them. Shameful
— neeraj kumar (@neerajkumarexcp) November 3, 2019
आईपीएस अफ़सर संजुक्ता ने ट्वीट किया, सामने आ रहे वीडियो बेहद परेशान करने वाले हैं। हम सभी को निष्पक्ष रहना चाहिए और समान भाव के साथ रहना चाहिए।
सोशल मीडिया पर आई एक फ़ोटो में एक पुलिसकर्मी ने हाथ में प्लेकार्ड लिया है जिसमें लिखा है कि हम पुलिसकर्मी हैं, हमारा कोई अस्तित्व नहीं है, हमारे परिवार नहीं है, हमारे मानवाधिकार नहीं हैं और कौन हमारी चिंता करता है।
इसके अलावा एक पुलिसकर्मी के बेटे ने भी बेहद भावुक अपील की है। बच्चे के हाथ में प्लेकार्ड है जिसमें लिखा है - ‘वकील अंकल, मेरे पिता एक पुलिसकर्मी हैं। हर कोई कहता है कि वह कम पढ़े-लिखे हैं और उन्हें क़ानून के बारे में पता नहीं है।’ बच्चे ने सवाल उठाया है कि उसके पिता को क्यों पीटा गया जबकि वकील पीसीआर को बुला सकते थे।
तीस हजारी कोर्ट परिसर में पुलिसकर्मियों और वकीलों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 पुलिस अधिकारी चोटिल हो गये थे। इसके अलावा 8 वकीलों को भी चोट आई थी। बताया जाता है कि अदालत की पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने को लेकर यह विवाद हुआ था, जिसमें पुलिसकर्मी ने वकील पर फ़ायर झोंक दिया था। इसके जवाब में वकीलों ने पुलिस की जिप्सी को आग लगा दी थी और सड़कों पर जाम लगाया था।
पुलिसकर्मी और वकील, दोनों ही हमारी व्यवस्था के बेहद अहम अंग है और दोनों पर ही जिम्मेदारी है कि क़ानून का पालन हो। लेकिन ये दोनों ही अहम अंग आपस में बुरी तरह उलझ गये हैं। ऐसे में सरकार को, न्यायपालिका को कोशिश यह करनी चाहिए कि यह विवाद जल्द से जल्द शांत हो, क्योंकि पुलिस और अदालतों का मिलकर काम करना बेहद ज़रूरी है।