शोभायात्रा के लिए नहीं थे पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम, महज 800 पुलिसकर्मी थे तैनात
सवाल उठ रहा है कि आखिर जब पहले से तय था कि नूंह में बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा निकलने वाली है तब सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए।
हरियाणा के नूंह में सोमवार को भीड़ द्वारा किए गए पथराव से सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। अब स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन सवाल उठ रहा है कि आखिर जब पहले से तय था कि नूंह में बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा निकलने वाली है तब सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए। वह भी तब जबकि यात्रा की तैयारी के दौरान कई दिनों तक उत्तेजक सोशल मीडिया पोस्ट और हिंसा की धमकियों ने माहौल को गर्म कर दिया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक यात्रा को गुड़गांव से हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया था। यात्रा में बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं लेकिन इसके बावजूद इस दिन पुलिस और सुरक्षा बलों की पर्याप्ती तैनाती नहीं की गई थी। रिपोर्ट कहती है कि पिछले साल इसी यात्रा या जुलूस के लिए जितने पुलिस बल की तैनाती जमीनी स्तर पर की गई थी उसके मुकाबले इस वर्ष लगभग 30 प्रतिशत ही तैनाती हुई थी। 2022 में जहां 2500 की तैनाती हुई थी वहीं इस वर्ष करीब 800 पुलिसकर्मी ही तैनात किए गए थे।
होमगार्ड और पीएसओ को भीड़ संभालने में लगाया गया था
इस वर्ष जिन पुलिस बल की तैनाती हुई थी उसमें होमगार्ड और पीएसओ भी थे। जो भीड़ प्रबंधन तो संभाल सकते हैं लेकिन गंभीर कानून-व्यवस्था के खतरे से निपटने के लिए उनके पास कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस शोभा यात्रा की सुरक्षा में मौजूद पुलिसकर्मी दंगा-रोधी गियर, आंसू गैस और पानी की बौछारों से लैस नहीं थे। जब नलहर में पथराव शुरू हुआ, तो कुछ पुलिसकर्मी जिनके पास सिर्फ लाठियां थीं, वे भी हमले की चपेट में आ गए और अपनी सुरक्षा के लिए भागने पर मजबूर हो गए।
रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया है कि उस दिन पुलिस की समस्या जटिल इसलिए भी थी क्योंकि नूंह के एसपी वरुण सिंगला छुट्टी पर थे और पलवल के एसपी लोकेंद्र सिंह, जिन्हें नूंह का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था, मैदान पर नहीं थे।
शोभायात्रा को लेकर प्रबंधन बेहतर नहीं था
दूसरी तरफ मंगलवार को, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने स्वीकार किया है कि शोभायात्रा को लेकर प्रबंधन बेहतर नहीं था। उन्होंने बताया है कि एसपी (नूंह) पारिवारिक स्थिति के कारण छुट्टी पर थे और प्रभार पड़ोसी जिले के एसपी को दिया गया था। प्रभारी एसपी स्थिति का बेहतर तरीके से आकलन नहीं कर सके। उपमुख्यमंत्री चौटाला ने यह भी कहा था कि अधिकारियों के पास शोभायात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान नहीं है। यात्रा के मुख्य आयोजक विश्व हिंदू परिषद के अजीत सिंह ने कहा कि इस शोभायात्रा के लिए अनुमति ली गई थी, लेकिन वे अग्रिम अनुमान नहीं दे सके क्योंकि लोग यात्रा में शामिल होने के लिए नूंह और अन्य क्षेत्रों से आए थे। शांति समिति की बैठक क्यों नहीं हुई थी ?
रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस सूत्रों ने टीओआई को बताया कि सोमवार को यात्रा में लगभग 5,000 लोग ही शामिल हुए थे। इस वार्षिक यात्रा में भाग लेने वाले जिन स्थानों पर जाते हैं, उनमें से नलहर मंदिर की प्रबंधन समिति के प्रमुख सरदार गुरचरण सिंह ने कहा कि 2022 में 15,000 लोगों के लिए भंडारा का आयोजन किया गया था। वहीं नूंह के लोग सवाल उठा रहे हैं कि वीडियो प्रसारित होने के बाद शांति समिति की बैठकें क्यों नहीं की गई। इन बैठकों में विभिन्न समुदायों के धार्मिक और सामाजिक नेता शामिल होते हैं। जिले में बाहर से लाए गए थे हथियार
यात्रा को केंद्रीय मंत्री और गुड़गांव के सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने हरी झंडी दिखाई थी। यात्रा के दौरान हिंसा को खुफिया फेल्योर के तौर पर भी देखा जा रहा है। रिपोर्ट कहती है कि नूंह में तैनात एक सीआईडी अधिकारी ने टीओआई को बताया है कि जुलूस से कुछ दिन पहले और झड़प वाले दिन जिले में हथियार लाए गए थे। उन्होंने कहा कि खुफिया जानकारी नूंह पुलिस के साथ साझा की गई थी, लेकिन एक पुलिस अधिकारी ने इससे इनकार किया।