इमोशन से भरे आयशा के गुलाबी आसमान की कहानी है ‘द स्काई इज़ पिंक’
डायरेक्टर- शोनाली बोस
फ़िल्म- द स्काई इज़ पिंक
शैली- रोमांस व फ़ैमिली ड्रामा
स्टार कास्ट- प्रियंका चोपड़ा, फरहान अख़्तर, ज़ायरा वसीम, रोहित सराफ
शानदार फ़िल्में बनाने वाली शोनाली बोस दर्शकों के लिए एक और फ़िल्म लेकर आई हैं, जिसका नाम “द स्काई इज पिंक” है। फ़िल्म में मुख्य किरदार एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा, फरहान अख़्तर, ज़ायरा वसीम ने निभाया है। ख़ास बात यह है कि डायरेक्टर शोनाली बोस पांच साल बाद फ़िल्म लेकर आई हैं तो वहीं प्रियंका चोपड़ा ने तीन साल बाद बॉलीवुड में क़दम रखा है। यह फ़िल्म सच्ची कहानी पर आधारित है, तो आइये जानते हैं फ़िल्म “द स्काई इज़ पिंक” में क्या है ख़ास -
“द स्काई इज़ पिंक” में क्या है
फ़िल्म “द स्काई इज़ पिंक” की कहानी शुरू होती है आयशा चौधरी (ज़ायरा वसीम) की आवाज़ से, जो कि अपने बारे में बताते हुए अपने मां-पापा के बारे में भी बताती है। मां अदिति चौधरी (प्रियंका चोपड़ा) और नीरेन चौधरी (फरहान अख़्तर) जिन्होंने लव मैरिज़ की है और उनका एक बेटा ईशान चौधरी (रोहित सराफ) है और एक बेटी आयशा है।
आयशा को जानलेवा बीमारी pulmonary fibrosis है। आयशा चौधरी अपने बारे में, बीमारी के बारे में और ख़ुद को बचाने के लिए लोगों की मदद से लेकर परिवार तक के बारे में बताती है कि कैसे यह बीमारी उनके पूरे परिवार को बदल देती है। आयशा चौधरी एक ऐसी लड़की है जो जिंदगी से जल्दी हार मानने वाली नहीं है, जब उसे पता चल जाता है कि उसकी जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है, उसके बाद भी वह ख़ुद को ख़ुश रखना जानती है। आयशा कैसे ख़ुश रहती है और कैसे जिंदगी को पेट भर कर जी लेती है, ये सब जानने के लिए आपको फ़िल्म ज़रूर देखनी चाहिए।
कौन हैं आयशा चौधरी
शोनाली बोस ने जिस लड़की के ऊपर फ़िल्म बना दी कुछ तो ख़ास उसमें ज़रूर होगा, तो बता दें कि आयशा चौधरी गुरुग्राम की रहने वाली थी जिन्हें जन्म से ही SCID (Severe Combined Immuno-Deficiency) नाम की बीमारी थी और जब वह सिर्फ़ 6 महीने की थीं, तब उनका बोन मैरो ट्रांसप्लान्ट हुआ था।
आयशा को 13 साल की उम्र में pulmonary fibrosis नामक बीमारी हो गई थी, लेकिन इससे उनके उत्साह में कमी नहीं आई। बहुत कम उम्र में ही उन्होंने TEDx, INK जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर बोलना शुरू कर दिया था और 18 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। आयशा की मौत के कुछ ही देर पहले उनकी किताब छप कर आई थी जिसका नाम है ‘My Little Epiphanies’। यह किताब आज भी लोगों को प्रेरित कर रही है।
कलाकारों की अदाकारी
प्रियंका चोपड़ा ने भले ही बॉलीवुड में कुछ सालों बाद क़दम रखा हो लेकिन उन्होंने अपनी एक्टिंग से दिल जीत लिया। फ़िल्म में हर भाव पर प्रियंका ने बेहतरीन काम किया है और उन्होंने मां के रोल को भी मजबूती से निभाया। तो वहीं फरहान अख़्तर भी अपने रोल में परफ़ेक्ट दिखे और अंत तक उन्होंने अपने किरदार को बखूबी निभाया। ज़ायरा वसीम की बात करें तो भले ही यह उनकी आख़िरी फ़िल्म हो लेकिन उन्होंने इसमें अपनी एक्टिंग में कोई कमी नहीं रखी और आयशा के किरदार को शानदार तरीक़े से पेश किया।
डायरेक्शन
शोनाली बोस ने हमेशा की तरह इस बार भी एक अच्छी फ़िल्म बनाई है। फ़िल्म में इमोशन है, ड्रामा है और एक प्रेरणा है। जो कि हम सभी को सिखाती है कि कैसे हर एक पल को खुल कर जीना चाहिए। इसके साथ ही शोनाली बोस का बेहतरीन डायरेक्शन और सिनेमेटोग्राफ़ी काफ़ी अच्छी है। बस थोड़ा सा फ़िल्म को और एडिट किया जा सकता था, बाक़ी फ़िल्म अच्छी है।
फ़िल्म की कमजोर कड़ियां
“द स्काई इज़ पिंक” आपको थोड़ा सा बोर कर सकती है क्योंकि इसकी कहानी काफ़ी लंबी कर दी गई है। फ़िल्म एक रियल लाइफ़ स्टोरी पर आधारित है और इसे थोड़ा स्लो कर दिया गया है, जिससे आप बोर हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ सीन को लेकर आपको ऐसा लगेगा कि ये पहले भी आ चुका है और अब इसकी ज़रूरत नहीं थी।
क्यों देखें फ़िल्म
“द स्काई इज़ पिंक” मुख्य रूप से एक प्यारी सी लड़की आयशा चौधरी पर आधारित है जिसने यह सिखाया है कि जिंदगी को हर पल कैसे जिया जा सकता है तो वहीं प्रियंका चोपड़ा की बॉलीवुड में वापसी और उनके मां के रोल में शानदार किरदार की वजह से भी आप फ़िल्म को देख सकते हैं। रेटिंग स्टार: 3/5