राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में किया राम मंदिर और कर्पूरी ठाकुर का जिक्र 

09:14 pm Jan 25, 2024 | सत्य ब्यूरो

75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को राष्ट्र को संबोधित किया है। अपने 23 मिनट के संबोधन में उन्होंने जहां एक राम मंदिर का जिक्र किया है वहीं कर्पूरी ठाकुर को भी श्रद्धांजलि दी है। 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि हमारे गणतंत्र का 75वां वर्ष कई अर्थों में देश की यात्रा का एक ऐतिहासिक पड़ाव है। हमारा देश स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते हुए अमृत काल के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है। 

यह एक युगांतकारी परिवर्तन का कालखंड है।उन्होंने कहा कि , गणतंत्र दिवस, हमारे आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों को स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। राष्ट्रपति ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को याद करते हुए कहा कि कर्पूरी जी पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे जिन्होंने अपना सारा जीवन उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। 

उनका जीवन एक संदेश था। अपने योगदान से सार्वजनिक जीवन को समृद्ध बनाने के लिए, मैं कर्पूरी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।  

उन्होंने कहा कि हमारे गणतंत्र की मूल भावना से एकजुट होकर 140 करोड़ से अधिक भारतवासी एक कुटुंब के रूप में रहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े इस कुटुंब के लिए, सह-अस्तित्व की भावना, भूगोल द्वारा थोपा गया बोझ नहीं है, बल्कि सामूहिक उल्लास का सहज स्रोत है, जो हमारे गणतंत्र दिवस के उत्सव में अभिव्यक्त होता है। 

राष्ट्रपति ने अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर कहा कि हम सबने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर निर्मित भव्य मंदिर में स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह देखा। 

भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा, तब इतिहासकार, भारत द्वारा अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतकारी आयोजन के रूप में इसका विवेचन करेंगे।

 भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में जी- 20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी। जी-20 शिखर सम्मेलन के माध्यम से ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में भारत के अभ्युदय को भी बढ़ावा मिला, जिससे अंतर-राष्ट्रीय संवाद की प्रक्रिया में एक आवश्यक तत्व का समावेश हुआ। 

उन्होंने कहा कि,  ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’, महिला सशक्तीकरण का एक क्रांतिकारी माध्यम सिद्ध होगा। इससे हमारे शासन की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में भी बहुत सहायता मिलेगी। राष्ट्रपति ने विज्ञान और वैज्ञानिकों का जिक्र भी अपने संबोधन में किया है। 

उन्होंने कहा कि,  हमें अपने वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों पर सदैव गर्व रहा है, लेकिन अब ये पहले से कहीं अधिक ऊंचे लक्ष्य तय कर रहे हैं और उनके अनुरूप परिणाम भी हासिल कर रहे हैं। हमें अपने वैज्ञानिकों और प्रोद्यौगिकी विशेषज्ञों पर सदैव गर्व रहा है, लेकिन अब ये पहले से कहीं अधिक ऊंचे लक्ष्य तय कर रहे हैं और उनके अनुरूप परिणाम भी हासिल कर रहे हैं। 

राष्ट्रपति ने कहा कि, सरकार ने 81 करोड़ से अधिक लोगों को अगले पांच साल तक मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। संभवत:, इतिहास में यह अपनी तरह का सबसे बड़ा जन-कल्याण कार्यक्रम है। 

हमारे खिलाड़ियों ने भारत का मान बढ़ाया है 

‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ में डिजिटल विभाजन को पाटने और वंचित वर्गों के विद्यार्थियों के हित में, समानता पर आधारित शिक्षा व्यवस्था के निर्माण को समुचित प्राथमिकता दी जा रही है। हमारे खिलाड़ियों ने अंतर-राष्ट्रीय मंचों पर भारत का मान बढ़ाया है।  

हमारे खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का मान बढ़ाया है। हमारे श्रेष्ठ खिलाड़ियों की सफलता से बच्चों को विभिन्न खेलों में भाग लेने की प्रेरणा मिली है, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। 

वर्धमान महावीर और सम्राट अशोक से लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक, भारत ने सदैव एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि अहिंसा केवल एक आदर्श मात्र नहीं है जिसे हासिल करना कठिन हो, बल्कि यह एक स्पष्ट संभावना है।हम आशा करते हैं कि संघर्षों में उलझे क्षेत्रों में, उन संघर्षों को सुलझाने तथा शांति स्थापित करने के मार्ग खोज लिए जाएंगे।

राष्ट्रपति ने पर्यावरण संरक्षण की बातें भी अपने संबोधन में की है। उन्होंने कहा कि वैश्विक पर्यावरण संकट से उबरने में भी भारत का प्राचीन ज्ञान, विश्व समुदाय का मार्गदर्शन कर सकता हैै।  भारत को ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को बढ़ावा देने में अग्रणी योगदान देते हुए और ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन को नेतृत्व प्रदान करते हुए देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता होती है। 

उन्होंने कहा कि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकी बदलाव, असाधारण गति के साथ, सुर्खियों से बाहर आकर हमारे जीवन का अंग बन गए हैं। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि, मैं अपने उन किसानों और मजदूर भाई-बहनों के प्रति आभार व्यक्त करती हूं जो, चुपचाप मेहनत करते हैं तथा देश के भविष्य को बेहतर बनाने में बहुत बड़ा योगदान देते हैं।