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यौन हमले की शिकार महिला जैसा नहीं था पीड़िता का व्यवहार- कोर्ट

यौन हमले की शिकार महिला जैसा नहीं था पीड़िता का व्यवहार- कोर्ट

अपनी महिला सहयोगी की ओर से लगाए गए बलात्कार के आरोपों से हाल ही में बरी हुए 'तहलका' के प्रधान संपादक तरूण तेजपाल के मामले में गोवा की सेशंस कोर्ट ने कुछ अहम टिप्पणियां की हैं।

अपनी महिला सहयोगी की ओर से लगाए गए बलात्कार के आरोपों से हाल ही में बरी हुए 'तहलका' के प्रधान संपादक तरूण तेजपाल के मामले में गोवा की सेशंस कोर्ट ने कुछ अहम टिप्पणियां की हैं। अदालत का यह फ़ैसला मंगलवार को लोगों के सामने आया है। 

अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा है, “शिकायतकर्ता ने वैसा व्यवहार नहीं किया जिससे यह लगे कि उसका यौन उत्पीड़न हुआ है। इस बात के कोई मेडिकल सबूत भी नहीं हैं और इस बात से उसके सच कहने पर संदेह होता है।” अदालत ने कहा कि महिला के द्वारा अभियुक्त यानी तेजपाल को भेजे गए मैसेजेस से साफ होता है कि न तो उसे नुक़सान पहुंचाया गया और न ही डराया गया और यह अभियोजन के मुक़दमे को पूरी तरह से झूठा साबित करता है। 

जज क्षमा जोशी ने 527 पन्नों के अपने आदेश में कहा, “रिकॉर्ड में रखे गए सबूतों पर विचार करने के बाद संदेह का लाभ अभियुक्त को दिया जाता है क्योंकि शिकायतकर्ता के द्वारा लगाए गए आरोपों के पक्ष में घटना की पुष्टि करने वाले कोई साक्ष्य नहीं हैं।” 

2014 में मिली थी जमानत

तरुण तेजपाल के ख़िलाफ़ उनकी एक महिला सहयोगी ने 2013 में गोवा के एक फ़ाइव स्टार रिजॉर्ट में बलात्कार करने का आरोप लगाया था। आरोप लगाए जाने के बाद तरूण तेजपाल को तहलका के संपादक पद से हटा दिया गया था। उन्हें नवंबर, 2013 में गिरफ़्तार कर लिया गया था हालांकि मई, 2014 में उन्हें जमानत मिल गई थी। 

गोवा पुलिस ने इस मामले में 2,684 पन्नों की चार्जशीट गोवा की फास्ट ट्रैक कोर्ट में दायर की थी। पुलिस ने कहा था कि इसमें तेजपाल के ख़िलाफ़ काफ़ी सबूत हैं। 

जज क्षमा जोशी ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला ने स्वीकार किया कि उसने 8 नवंबर, 2013 को अपने फ़ोन से तरूण तेजपाल को दो मैसेज भेजे थे और उसके द्वारा ये मैसेज तेजपाल के किसी मैसेज के जवाब में नहीं भेजे गए थे और उसने ख़ुद ही मैगज़ीन की ओर से आयोजित कार्यक्रम के बाद गोवा में रुकने का फ़ैसला किया था। 

जज ने कहा कि पीड़िता की मां के वे बयान भी उसके आरोपों को सही नहीं ठहराते जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी बेटी इस कथित बलात्कार के बाद सदमे में थी। जज ने कहा है कि शिकायतकर्ता महिला ने कई विरोधाभासी बयान दिए हैं यानी कि उसके बयानों में अंतर है। 

जांच अफ़सर पर सवाल 

जज ने कहा कि मामले की जांच अफ़सर सुनीता सावंत ने इसके अहम मुद्दों पर जांच नहीं की। उन्होंने कहा कि यह अभियुक्त का बुनियादी अधिकार है कि मामले की सही जांच हो लेकिन जांच अफ़सर ने जांच के दौरान ग़लतियां कीं। जज ने कहा कि जांच अफ़सर ने होटल के सातवें ब्लॉक के पहले फ़्लोर के सीसीटीवी फ़ुटेज को नष्ट कर दिया और इससे पता चल सकता था कि अभियुक्त पूरी तरह निर्दोष है। 

2017 में ट्रायल कोर्ट ने तेजपाल पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोप तय किये थे। तेजपाल ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने अपने आदेश में गोवा में ही जांच को जारी रखने के निर्देश दिए थे। 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस केस को रद्द करने की तेजपाल की मांग को खारिज कर दिया था। 

‘झूठा फंसाया गया’

तेजपाल की बेटी कारा तेजपाल ने एक बयान जारी कर कहा था कि उसके पिता को इस मामले में झूठा फंसाया गया है। बेटी ने कहा था कि बीते साढ़े सात साल उसके परिवार के लिए बेहद दुखद रहे हैं और इन झूठे आरोपों के कारण उन्हें भयंकर दुख से गुजरना पड़ा। 

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