तमिलनाडु में बाप-बेटे की पुलिस हिरासत में मौत के आरोप के बाद इस मामले में ही पुलिसिया गुंडागर्दी की एक और तसवीर सामने आई है। मद्रास हाई कोर्ट द्वारा इस मामले की जांच के लिए नियुक्त किए गए मजिस्ट्रेट ने अदालत से कहा है कि संबंधित पुलिस स्टेशन के अफ़सरों ने मामले से जुड़े सुबूत ख़त्म कर दिए हैं। इसके अलावा ये लोग जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और इन्होंने जांच कर रही टीम को धमकाने की कोशिश भी की है।
इस मामले के बाद से ही देश में पुलिस के द्वारा किए जाने वाले उत्पीड़न को लेकर बहस जोरों पर है। एक ओर अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ़्लायड की मौत के बाद वहां के पुलिसकर्मी घुटने के बल बैठकर अपने एक साथी की ग़लती के लिए पूरे अश्वेत समुदाय से माफी मांगते हैं, वहीं दूसरी ओर, भारत में बाप-बेटे की दर्दनाक मौत (पी. जेयाराज और जे. बेनिक्स) के बाद मामले की जांच कर रही टीम को धमकाया जा रहा है।
कई राज्यों में आए दिन ऐसे मामलों को देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि आम जनता के प्रति पुलिस के रवैये में किसी तरह का बदलाव होना नामुमकिन दिखता है।
आधी रात को छोड़नी पड़ी जांच
बहरहाल, तमिलनाडु के कोविलपट्टी के न्यायिक मजिस्ट्रेट भारतीदसान ने अदालत से कहा है कि पुलिसकर्मियों के विरोध के कारण उन्हें रविवार आधी रात को जांच को बीच में ही छोड़ना पड़ा और साथनकुलम पुलिस स्टेशन से बाहर निकलना पड़ा। यह वही पुलिस स्टेशन है, जहां बाप-बेटे की कथित रूप से पुलिस हिरासत में 22 जून को मौत हो गई थी। इस मामले को लेकर तमिलनाडु में ही नहीं, भारत भर में लोगों में जबरदस्त आक्रोश है।
सीबीआई जांच के आदेश दिए
मजिस्ट्रेट की शिकायत मिलने के बाद मद्रास हाई कोर्ट ने सोमवार को जिले के डीएम को साथनकुलम पुलिस स्टेशन का नियंत्रण अपने हाथ मे लेने के लिए राजस्व विभाग के अफ़सरों को तैनात करने के लिए कहा है। अदालत ने एएसपी डी. कुमार, डीएसपी प्रथापन और कांस्टेबल महाराजन के ख़िलाफ़ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। जन दबाव के बाद तमिलनाडु सरकार ने भी मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं।
टॉर्चर किए जाने की पुष्टि
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, मजिस्ट्रेट ने अदालत को लिखे अपने शिकायती नोट में गवाहों के बयान के आधार पर बाप-बेटे को टॉर्चर किए जाने की पुष्टि की है। मजिस्ट्रेट के मुताबिक़, ‘गवाहों ने कहा है कि बाप-बेटे को पूरी रात और सुबह होने तक लाठियों से मारा गया। खून से सनी हुई लाठियों और टेबल को बाद में धो दिया गया।’
मजिस्ट्रेट ने कहा है कि पहले पुलिस अफ़सर इन लाठियों को सामने नहीं ला रहे थे, जोर देने के बाद उन्होंने ऐसा किया।
अख़बार के मुताबिक़, मजिस्ट्रेट ने कहा है कि जब न्यायिक टीम ने डेली रजिस्टर और कुछ अन्य डॉक्यूमेंट्स मांगे तो एएसपी डी. कुमार और डीएसपी प्रथापन ने उनकी टीम में शामिल सहयोगियों को गालियां दीं और धमकाने की कोशिश की।
मजिस्ट्रेट ने कहा है कि थाने में सीसीटीवी कैमरे की फ़ुटेज के सिस्टम को इस तरह कन्फिगर किया गया है कि हर दिन उसका डेटा ख़त्म हो जाए और बाप-बेटे की पिटाई वाली रात का डेटा भी ख़त्म होने वाली स्टेज में दिखाया गया है।
मजिस्ट्रेट ने लिखा है कि पूछताछ के दौरान कांस्टेबल महाराजन ने कहा कि आप यहां कुछ नहीं कर सकते। महाराजन से पूछताछ के दौरान जब एक दूसरे पुलिसकर्मी से लाठी की मांग की गई तो वह भाग गया।
पुलिसकर्मियों ने घेर लिया थाना
अख़बार के मुताबिक़, मजिस्ट्रेट ने कहा है कि उस रात हेड कांस्टेबल रेवथी भी थाने में मौजूद थीं। उन्हें उनकी सुरक्षा का भरोसा दिलाए जाने के बाद ही वह अपने गवाही के बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हुईं। मजिस्ट्रेट कहते हैं कि इस दौरान कई पुलिसकर्मी थाने के बाहर इकट्ठा हो गए और न्यायिक टीम को गालियां देने और घटनाक्रम की रिकॉर्डिंग करने लगे। उन्होंने शिकायत में कहा कि ऐसे में टीम में शामिल लोगों ने तय किया कि यहां रुकना सही नहीं होगा।
‘खून से भीगे थे कपड़े’
इससे पहले रिश्तेदारों ने कहा था कि जेयाराज और बेनिक्स बुरी तरह घायल थे और उनके कपड़े खून से भीगे हुए थे। उन दोनों के कपड़े कई बार बदले गए लेकिन फिर भी वे खून से तरबतर हो रहे थे। मामले की जांच से जुड़े एक सीनियर अफ़सर ने कहा था कि शुरुआती जांच में पता चला है कि दोनों के कपड़े उतारे गए, पूरी रात उन्हें टॉर्चर किया गया और उनके मलाशय में डंडा डाला गया। उन्होंने कहा था कि बेनिक्स का ज़्यादा खून बहा।