तमिलनाडु में 5 मार्च बुधवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र सीमांकन प्रक्रिया यानी परिसीमन को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया। यह परिसीमन 2026 में होना है और इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार ने भेजा था। हाल ही में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने केंद्र की ओर से तमाम सफाई देकर विरोध को शांत करना चाहा था लेकिन बुधवार को मोदी सरकार के सारे करतब नाकाम हो गये। सर्वदलीय बैठक से बीजेपी दूर ही नहीं रही, उसने विरोध भी किया। डीएमके प्रमुख स्टालिन ने एक कमेटी भी बनाई है जो दक्षिण के बाकी राज्यों को इस पर एकजुट करेगी।
चेन्नई में बुधवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में प्रस्ताव पारित कर कहा गया कि सीमांकन प्रक्रिया "तमिलनाडु को कमजोर करेगी" और "भारत की संघीय संरचना के लिए खतरा" होगी। इस बैठक में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके), ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके), कांग्रेस, विदुथलै चिरुथैगल काची (वीसीके), तमिलगा वेट्री कड़गम और कम्युनिस्ट पार्टियों सहित कई दलों ने हिस्सा लिया। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), नाम तमिलर काची और तमिल मनिला कांग्रेस ने इस बैठक का बहिष्कार किया।
सर्वदलीय बैठक ने तमिलनाडु के विभिन्न राजनीतिक दलों की एक संयुक्त कार्य समिति (जेएसी) गठित करने का भी निर्णय लिया। प्रस्ताव के अनुसार, जेएसी अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों के राजनीतिक दलों को "सीमांकन के खिलाफ लड़ाई" में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेगी।
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तमिलनाडु की आवाज को अनसुना किया जा रहा है। जिस राज्य के संसद में 39 सांसद हैं, पर अभी भी केंद्र सरकार ध्यान नहीं दे रही है।
-एमके स्टालिन, डीएमके प्रमुख और सीएम तमिलनाडु सोर्सः पीटीआई
अपने संबोधन में स्टालिन ने कहा कि दक्षिणी राज्यों को "जनसंख्या के आधार पर सीमांकन का सामूहिक रूप से विरोध" करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, "सीमांकन प्रक्रिया स्थिति को और खराब करेगी।" स्टालिन ने यह भी कहा कि "मेरी सरकार "सीमांकन को लागू होने से रोकने के लिए सभी कदम उठाएगी जो तमिलनाडु के लिए गंभीर खतरा है।" उन्होंने सीमांकन के खिलाफ इस लड़ाई को तमिलनाडु के अधिकारों की लड़ाई करार दिया। स्टालिन ने पहले कहा था कि अगर जनसंख्या के आधार पर सीमांकन लागू हुआ तो तमिलनाडु के सांसदों की संख्या 39 से घटकर 31 हो जाएगी।
सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक चली इस बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार, आगामी जनगणना के आधार पर "केवल जनसंख्या के आंकड़ों" पर आधारित सीमांकन "तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व अधिकारों को प्रभावित करेगा।"
प्रस्ताव में कहा गया, "यह पूरी तरह से अनुचित है कि तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों के संसदीय प्रतिनिधित्व को केवल इसलिए कम किया जाए क्योंकि इन्होंने राष्ट्रीय हित में जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को सक्रिय रूप से लागू किया है।"
सर्वदलीय बैठक ने यह भी संकल्प लिया कि 1971 की जनगणना के आधार पर सीमांकन पर लगी रोक, "जो 2026 तक लागू है, को आगे भी बढ़ाया जाना चाहिए।" बैठक में अलग से दिए गए अपने संबोधन में स्टालिन ने कहा कि "वर्तमान स्थिति को कम से कम तीन दशकों तक बनाए रखना चाहिए।"
बीजेपी का स्टैंड
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने इस बैठक को "हास्यास्पद" करार दिया। उन्होंने कहा, "सीमांकन से दक्षिणी राज्यों के प्रभावित होने का डर काल्पनिक है।" बीजेपी नेता नारायणन तिरुपति ने कहा, "यह सर्वदलीय बैठक अनावश्यक, अवांछित और अनचाही है, क्योंकि हमने सबकुछ बहुत स्पष्ट कर दिया है।"
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)