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नेतागिरी में किसी को गाड़ी से कुचलने नहीं आए हैं: स्वतंत्र देव

नेतागिरी में किसी को गाड़ी से कुचलने नहीं आए हैं: स्वतंत्र देव

लखीमपुर खीरी की घटना के बाद किसानों के साथ ही विपक्ष भी योगी सरकार के ख़िलाफ़ मैदान में डट गया है। इससे बीजेपी को 2022 के चुनाव में राजनीतिक नुक़सान हो सकता है। 

लखीमपुर खीरी की घटना के बाद से ही उत्तर प्रदेश बीजेपी तनाव में है। पार्टी को लगता है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई यह घटना उसके लिए बड़ी मुसीबत की वजह बन सकती है और शायद वह इसे स्वीकार भी कर रही है। 

उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के एक बयान के बाद ऐसा लगता भी है। स्वतंत्र देव सिंह ने शनिवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “नेतागिरी का मतलब लूटने नहीं आए हैं, फ़ॉर्च्यूनर से किसी को कुचलने नहीं आए हैं। वोट आपके व्यवहार से मिलेगा।”

लखीमपुर की घटना के जिस तरह खौफ़नाक वीडियो सामने आए हैं, उससे यह साफ दिखता है कि किसानों को जानबूझकर कुचला गया है। अभी तक तो केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी यही कहते आ रहे हैं कि घटना के दौरान उनका बेटा गाड़ी में नहीं था। यही बात आशीष मिश्रा ने भी कही है। 

लेकिन पुलिस इस मामले की बेहद गंभीरता के साथ जांच कर रही है। आशीष मिश्रा पर हत्या की एफ़आईआर दर्ज हो चुकी है। कहा जा रहा है कि पुलिस के सामने पूछताछ के दौरान वह सवालों का सटीक जवाब नहीं दे पा रहे हैं। 

बीजेपी को पता है कि अगर पुलिस की जांच में यह बात साबित हो गई कि किसानों को कुचलने वाली गाड़ियों में आशीष मिश्रा मौजूद था, तो यूपी के चुनाव में उसकी लुटिया डूबने से कोई नहीं बचा सकता।

आख़िर ठीक चुनाव से पहले तक जब कई सर्वेक्षणों में यह कहा जा रहा है कि बीजेपी सत्ता में वापसी कर सकती है, ऐसे में उत्तर प्रदेश बीजेपी कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहेगी। शायद इसीलिए पार्टी इस मामले से ख़ुद को दूर रखना चाहती है। 

 - Satya Hindi

बीजेपी की अंदरूनी लड़ाई 

स्वतंत्र देव सिंह के इस बयान को बीजेपी की अंदरूनी राजनीति से जोड़कर भी देखा जा सकता है। योगी सरकार की पुलिस आशीष मिश्रा के ख़िलाफ़ हत्या की एफ़आईआर दर्ज कर चुकी है। लेकिन दबाव अब केंद्र सरकार पर आ गया है कि वह अजय मिश्रा का इस्तीफ़ा क्यों नहीं ले रही है। 

स्वतंत्र देव सिंह को योगी आदित्यनाथ का करीबी माना जाता है जबकि अजय मिश्रा को गृह मंत्री अमित शाह की पसंद माना जाता है। ऐसे में यह बीजेपी के भीतर के टकराव की ओर भी इशारा करता है। 

अजय मिश्रा लखनऊ तलब 

दूसरी ओर, यह भी ख़बर है कि स्वतंत्र देव सिंह ने अजय मिश्रा को लखनऊ बुला लिया है। विपक्ष और किसान लगातार मांग कर रहे हैं कि अजय मिश्रा का केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफ़ा लिया जाए। उनका कहना है कि मिश्रा के पद पर रहते हुए इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। 

निश्चित रूप से इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश बीजेपी तनाव में है। विपक्ष और किसानों ने जिस तरह इस घटना को बड़ा मुद्दा बना लिया है, उससे बीजेपी नेताओं के चेहरे पर शिकन आना लाजिमी है।

वरूण गांधी भी मुखर 

विपक्ष और किसानों के अलावा लखीमपुर खीरी के नजदीकी क्षेत्र पीलीभीत के बीजेपी सांसद वरूण गांधी भी लगातार किसानों को कुचल डालने की इस घटना को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं। इससे निश्चित रूप से पार्टी के भीतर बेचैनी का माहौल है। 

उत्तर प्रदेश से बहुत दूर महाराष्ट्र में इस मुद्दे पर बंद बुलाया गया है। साफ लगता है कि पांच राज्यों के चुनाव से पहले लखीमपुर की घटना बीजेपी के गले पड़ गयी है। बीजेपी को इस बात का डर है कि इस घटना की वजह से कहीं उत्तर प्रदेश की सत्ता से उसकी विदाई न हो जाए, इसलिए वह बुरी तरह परेशान है। 

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