कोरोना संकट के बीच कुंभ को प्रतीकात्मक रखने की प्रधानमंत्री मोदी की प्रार्थना के बाद आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने कुंभ विसर्जित करने यानी ख़त्म करने का एलान कर दिया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि महामारी को देखते हुए आवाहित सभी देवताओंं को विसर्जित कर दिया गया है।
क्या कहा जूना अखाड़ा ने?
इसका साफ़ मतलब यह है कि कम से कम जूना अखाड़ा ने कुंभ ख़त्म कर दिया है और उससे जुड़े साधु- संत अब लौट जाएँगे।
जूना अखाड़ा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस मुद्दे पर बैठक हुई जिसमें विचार विमर्श के बाद जनहित में यह फ़ैसला किया गया कि कुंभ का विसर्जन कर दिया जाए।
इसके पहले नरेंद्र मोदी से बात करने के बाद जूना अखाड़ा के प्रमुख ने कहा था कि वह प्रधानमंत्री के आह्वान का सम्मान करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से आग्रह किया था कि कोरोना के हालात के मद्देनज़र लोग भारी संख्या में कुंभ में स्नान करने नहीं आएँ।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में कहा है कि उन्होंने संतों से प्रार्थना की है कि कुंभ अब प्रतीकात्मक तौर पर ही जारी रखा जाए। उन्होंने कहा है कि उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से फोन पर बात की है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कुंभ को प्रतीकात्मक रखे जाने पर कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में ताक़त मिलेगी।
बाद में जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि का एक और बयान आया। उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को दिए बयान में कहा, "पीएम ने मुझे फ़ोन किया और कुंभ और साधुओं के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। अधिकांश स्नान पूरे हो गए हैं, केवल एक ही बाकी है - 'बैरागियों' का। इसमें भाग लेने वाले साधुओं की संख्या बहुत कम है और उनका मानना है कि उन्हें प्रतीकात्मक रूप से भाग लेना चाहिए।"
बता दें कि कोरोना संक्रमण के बीच हरिद्वार में कुंभ मेले को लेकर संतों में गतिरोध पैदा होने की ख़बरें आई थीं। यह गतिरोध कोरोना संक्रमण के कारण बना। कोरोना से एक संत की मौत हो गई है। कई संत संक्रमित हैं। हरिद्वार में बड़े पैमाने पर यह फैल रहा है। और इसीलिए दो अखाड़ों- निरंजनी और आनंद अखाड़े ने 17 अप्रैल से कुंभ समापन की घोषणा कर दी थी। लेकिन कुछ संतों ने कहा था कि कुंभ पहले से तय समय तक चलता रहेगा।
जगद्गुरु शंकराचार्य के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने घोषणा की थी कि कुंभ अपनी तय अवधि तक चलेगा। अमर उजाला की शुक्रवार को आई रिपोर्ट में कहा गया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि कुंभ किसी संस्था या अखाड़ा का नहीं है। उन्होंने घोषणा की थी कि कुंभ ज्योतिष है और अपनी अवधि तक चलेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना नियमों का पालन करते हुए शंकराचार्य छावनी लगी रहेगी।
उस रिपोर्ट के अनुसार निर्मोही, निर्वाणी और दिगम्बर अखाड़े ने निरंजनी और आनंद अखाड़े के संतों से माफी की मांग की थी। अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार इन अखाड़ों ने कहा था कि मेला समापन का अधिकार केवल मुख्यमंत्री और मेला प्रशासन को है, घोषणा करने वाले संत माफी नहीं मांगते तो वह अखाड़ा परिषद के साथ नहीं रह सकते। उन्होंने यह भी कहा था कि उनका मेला जारी रहेगा और 27 अप्रैल को सभी बैरागी संत शाही स्नान करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी और स्वामी अवधेशानंद गिरि का बयान ऐसे समय में आया है जब देश में कोरोना संक्रमण के मामले हर रोज़ अब 2 लाख से ज़्यादा आने लगे हैं और ये लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
अधिकतर राज्यों में रिकॉर्ड मामले आ रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी पड़ने की शिकायतें आ रही हैं। एक दिन पहले ही ऑक्सीज़न की आपूर्ति को लेकर प्रधानमंत्री ने बैठक की थी। और इसी बीच उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ का भी आयोजन किया जा रहा है जहाँ लाखों लोग इकट्ठे हुए हैं। तय कार्यक्रम के अनुसार कुंभ मेला इस महीने के आख़िर तक चलना है।
कोरोना के संक्रमण के बीच कुंभ मेले के आयोजन को लेकर उत्तराखंड सरकार के साथ ही मोदी सरकार और बीजेपी की काफी आलोचना हो रही थी। आशंका जताई जा रही है कि इसमें शामिल हुए लोग कोरोना के सुपर स्प्रेडर साबित हो सकते हैं। कुंभ मेले में मास्क पहनने में लापरवाही और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने की तसवीरें सामने आई हैं। लेकिन राज्य की तीरथ सिंह रावत सरकार दावा करती है कि वह कोरोना गाइडलाइंस का पूरी तरह पालन करवा रही है।