नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में चल रहे धरने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सड़कों को अनिश्चित काल के लिये बंद नहीं किया जा सकता है। अदालत ने दिल्ली सरकार और पुलिस को इस मामले में नोटिस जारी किया है। मामले में अगली सुनवाई 17 फ़रवरी को होगी।
अदालत ने सुनवाई के दौरान प्रदर्शनकारियों के द्वारा शाहीन बाग़-कालिंदी कुंज रोड को बंद किये जाने को लेकर चिंता जताई है। इस मामले में एडवोकेट अमित साहनी और बीजेपी नेता नंद किशोर गर्ग की ओर से याचिका दायर की गई थी। पहले इस मामले में 8 फ़रवरी को सुनवाई होनी थी लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान को देखते हुए अदालत ने तब सुनवाई की तारीख़ आगे बढ़ा दी थी। 8 फ़रवरी को ही दिल्ली में मतदान हुआ था।
याचिकाओं में कहा गया था कि शाहीन बाग़-कालिंदी कुंज रोड के बंद होने से स्थानीय लोगों को बहुत परेशानियां हो रही हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि शाहीन बाग़ में बैठे प्रदर्शनकारियों के कारण पुलिस ने मथुरा रोड और कालिंदी कुंज के बीच की सड़क 13ए को बंद किया हुआ है। कहा गया है कि धरने को 50 से ज़्यादा दिन हो चुके हैं।
एडवोकेट साहनी ने अपनी याचिका में कहा कि सभी को प्रदर्शन करने का संवैधानिक अधिकार है और इसे लेकर कोई विवाद नहीं है लेकिन रोड के बंद होने से दुकानदारों, बच्चों और मरीजों को बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है। गर्ग ने अपनी याचिका में कहा है कि प्रदर्शनकारियों ने अपनी सनक के कारण क़ानून को बंधक बना लिया है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत इस मामले में हस्तक्षेप करे और सार्वजनिक स्थानों पर धरना-प्रदर्शन करने के लिये दिशा-निर्देश बनाये।