आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की मनी लॉन्ड्रिंग केस में नियमित जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने उन्हें तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया है। सत्येंद्र जैन पिछले 10 महीने से स्वास्थ्य के आधार पर मिली जमानत पर बाहर थे।
मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े केस में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और सह आरोपी अंकुश जैन की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। सत्येंद्र जैन बीते 26 मई 2023 से ही स्वास्थ्य के आधार पर जमानत पर चल रहे थे।
ईडी ने सत्येंद्र जैन को दिल्ली शराब घोटाला केस के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 30 मई 2022 को गिरफ्तार किया था।
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट कहती है कि सत्येंद्र जैन को फरवरी 2015 से मई 2017 तक मंत्री के रूप में अपने पद का कथित रूप से दुरुपयोग करने के और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में मई 2022 में गिरफ्तार किया गया था।
इसके बाद ईडी ने कथित तौर पर उनसे जुड़ी तीन कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की थी। सत्येंद्र जैन को पिछले साल 26 मई को अंतरिम चिकित्सा जमानत दी गई थी।
पूर्व मंत्री की ओर से पेश वकील विवेक जैन ने उनके खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग की लेकिन अदालत ने उनके अनुरोध को खारिज कर दिया और अपना आदेश बरकरार रखा।
ईडी ने दावा किया कि सत्येन्द्र जैन अपनी पत्नी पूनम जैन के निर्देशन के माध्यम से तीन कंपनियों को नियंत्रित कर रहे थे। दलील दी गई कि दो अन्य आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन तीनों कंपनियों में प्रमुख शेयरधारक और निदेशक थे।
सत्येन्द्र जैन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पहले शेयरधारिता, निदेशकत्व और कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर नियंत्रण का हवाला दिया और कहा कि याचिकाकर्ता के पास उन पर नियंत्रण नहीं है।
जैन को पिछले साल मई में जेल के बाथरूम में गिरने के बाद मेडिकल जमानत दी गई थी। पिछले साल 21 जुलाई को उनकी रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन हुआ था।