कोरोना के बढ़ते संकट, रोज़ाना होने वाली पहले से ज़्यादा मौतों और अव्यवस्था व अफरातफरी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है और सवालों की बौछार कर दी है।
उसने कोरोना वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों, लॉकडाउन, रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति व अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी जैसे कई मुद्दों पर ढेर सारे सवाल किए हैं। इसी क्रम में अदालत ने सरकार से यह भी पूछा कि राज्य व केंद्र के लिए कोरोना वैक्सीन की कीमतें अलग-अलग क्यों होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस भट ने सरकार से सवाल किया कि एक ही कोरोना वैक्सीन की अलग-अलग कीमतें क्यों वसूली जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना टीके की कीमत 300 या 400 रुपए कर देने से 30 हज़ार करोड़ रुपए से 40 हज़ार करोड़ रुपए का अंतर हो जाता है।
जज ने सवाल किया कि एक राष्ट्र के रूप में हमें इसका भुगतान क्यों करना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि वह सरकार को कोई निर्देश नहीं दे रही है, पर उसे इस पर सोचना चाहिए।
टीका नीति
कोरोना टीकाकरण के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एक राष्ट्रीय टीकाकरण नीति होनी चाहिए, वही मॉडल होना चाहिए जिसका पालन अब तक होता आया है।
अदालत ने कहा कि 18 वर्ष से ऊपर और 45 साल की उम्र तक के लोगों का एक बड़ा समूह है, जिसमें 59 करोड़ लोग है। इस समूह के गरीब और हाशिए पर खड़े तबके के लोगों से भी टीके की कीमत वसूली जा रही है, जो गलत है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कोरोना टीके का उत्पादन बढ़ाना होगा और इसके लिए अतिरिक्त उत्पादक कंपनियों की तलाश करनी होगी।
रेमडेसिविर के वितरण पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जताते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि ज़रूरी दवाओं का उत्पादन और वितरण सुनिश्चित क्यों नहीं हो पा रहा है?
इसी तरह अदालत ने रेमडेसिविर दवा पर भी केंद्र सरकार से सवाल किया। सरकार ने इसके पहले एक हलफनामे में कहा था कि हर महीने औसतन एक करोड़ तीन लाख रेमडेसिविर उत्पादन करने की क्षमता है, लेकिन सरकार ने मांग और सप्लाई की जानकारी नहीं दी है। केंद्र ने आवंटन का तरीका भी नहीं बताया है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र को डॉक्टरों से कहना चाहिए की रेमडेसिविर या फेविफ्लू की बजाय दूसरी दवाएँ लेने की सलाह दी भी मरीजों को दें।
दूसरी ओर, मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि आरटी-पीसीआर से कोरोना के नए रूप की पड़ताल नहीं हो पा रही है। इसमें भी अनुसंधान की ज़रूरत है, इसके साथ ही ज़िला स्तर पर कोरोना की लहर और स्वरूप की पहचान और इलाज के तरीके ढूंढने की ज़रूरत है।