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ऐतिहासिक: सुप्रीम कोर्ट की अहम सुनवाइयों को लाइव देखें

ऐतिहासिक: सुप्रीम कोर्ट की अहम सुनवाइयों को लाइव देखें

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इतिहास में पहली बार सुनवाई का सीधा प्रसारण किया। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की कार्यवाही से इसकी शुरुआत हुई। जानिए, आप कैसे इसे देख सकते हैं।

भारत के सुप्रीम कोर्ट में अहम मामलों की सुनवाइयों का अब सीधा प्रसारण कोई भी देख सकता है। यानी सुनवाई में क्या दलीलें दी गईं और किन गवाहों या बातों को माना गया, फ़ैसले का आधार क्या रहा, यानी ये सबकुछ अब कोई भी देख और सुन सकता है। 

शीर्ष अदालत में आज संवैधानिक क़ानून के महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई के लिए तीन संविधान पीठ हैं। एक तो सीजेआई के नेतृत्व वाली संविधान पीठ थी। दूसरी न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ। इसने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के दोनों गुटों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी। और तीसरी जस्टिस एसके कौल वाली पीठ।

भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने 27 सितंबर 2018 को संवैधानिक महत्व के मामलों में महत्वपूर्ण कार्यवाही के लाइव टेलीकास्ट या वेबकास्ट को लेकर ऐतिहासिक निर्णय दिया था। इस फ़ैसले के बाद अब पहली बार सुनवाई को लाइव स्ट्रीम किया गया है।

मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित यानी यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को कहा था कि अपनी कार्यवाही को लाइव-स्ट्रीम करने के लिए शीर्ष अदालत के पास जल्द ही YouTube का उपयोग करने के बजाय अपना 'प्लेटफ़ॉर्म' होगा।

 

सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट संख्या-1 की लाइव स्ट्रीमिंग को यहाँ देखा जा सकता है-

एक रिपोर्ट में कहा गया था कि शीर्ष अदालत YouTube के माध्यम से कार्यवाही का सीधा प्रसारण कर सकती है और बाद में उन्हें अपने सर्वर पर होस्ट कर सकती है। लोग बिना किसी परेशानी के अपने सेल फोन, लैपटॉप और कंप्यूटर पर कार्यवाही का उपयोग कर सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई को लाइव webcast.gov.in/scindia/ पर या फिर https://main.sci.gov.in/display-board पर देखा जा सकता है। 

बता दें कि 26 अगस्त को अपनी स्थापना के बाद पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने एक वेबकास्ट पोर्टल के माध्यम से तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया था। यह एक औपचारिक कार्यवाही थी क्योंकि उस दिन न्यायमूर्ति रमना को पद छोड़ना था।

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