सुप्रीम कोर्ट ने ट्वीट करने के मामले में देश के जाने-माने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और ट्विटर इंडिया के ख़िलाफ़ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी है। अदालत ने उनके ख़िलाफ़ नोटिस जारी किया है। नोटिस में इसने पूछा है कि न्यायपालिका के ख़िलाफ़ गंभीर आरोप लगाने वाले ट्वीट के लिए क्यों न उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए। अदालत ने ट्विटर इंडिया से पूछा है कि जब अवमानना की कार्रवाई होना दिखने लगा तब भी इसने भूषण के ट्वीट को क्यों नहीं हटाया शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को सहायता के लिए एक नोटिस जारी किया और 5 अगस्त को सुनवाई की तारीख़ तय की है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि यह मामला पिछले महीने प्रशांत भूषण द्वारा पोस्ट किए गए दो ट्वीट से संबंधित है। उनका एक ट्वीट 27 जून को पोस्ट किया गया था जिसमें उन्होंने आख़िरी चार सीजेआई का ज़िक्र किया था।
भूषण ने ट्वीट किया था, जब भविष्य के इतिहासकार पिछले 6 वर्षों को देखेंगे कि औपचारिक आपातकाल के बिना भी भारत में लोकतंत्र कैसे नष्ट कर दिया गया है तो वे विशेष रूप से इस विनाश में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को चिह्नित करेंगे, और विशेष रूप से अंतिम 4 प्रधान न्यायाधीशों की भूमिका।'
उनका दूसरा ट्वीट सीजेआई को लेकर था जिसमें एक तसवीर में वह नागपुर में एक हार्ले डेविडसन सुपरबाइक पर बैठे हुए दिखे थे। यह ट्वीट 29 जून को पोस्ट किया गया था। इस ट्वीट में भूषण ने कहा था कि ऐसे समय में 'जब नागरिकों को न्याय तक पहुँचने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित करते हुए वह सुप्रीम कोर्ट को लॉकडाउन मोड में रखते हैं, चीफ़ जस्टिस ने हेलमेट या फ़ेस मास्क नहीं पहना'।
ट्विटर की ओर से वरिष्ठ वकील सज्जन पूवैय्या ने अदालत को बताया कि ट्विटर केवल न्यायालय द्वारा पारित आदेशों पर एक ट्वीट को हटा सकता है। उन्होंने न्यायालय को इस आशय का एक आदेश पारित करने का प्रस्ताव दिया लेकिन कोर्ट ने इनकार कर दिया। भूषण की ओर से कोई पेश नहीं हुआ।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि यहाँ सही पार्टी कैलिफोर्निया की ट्विटर इंक है, न कि ट्विटर इंडिया।