सुप्रीम कोर्ट आज हेट स्पीच से संबंधित मामलों में दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज सोमवार को सुनवाई करते हुए "दिल्ली पुलिस की दलील को सुना कि 2021 में दिल्ली आयोजित की गई धर्म संसद में दिए गए भड़काऊ भाषणों की जांच के अगले चरण में थी। कोर्ट ने मामले में जल्द चार्जशीट दायर कर ऑन रिकॉर्ड रखने को कहा।
दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि वे आरोपियों के वॉइस सैंपल के जांच के लिए फोरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे थे। दिल्ली पुलिस इस मामले में जल्दी ही चार्जशीट दाखिल करेगी। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जांच एजेंसी जल्द ही इस मामले में आरोपपत्र दायर करेगी।
इससे पहले 30 जनवरी को हुई सुनवाई में दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि 2021 के नफरत फैलाने वाले भाषणों के मामले की जांच काफी हद तक पूरी हो गई है। अंतिम रिपोर्ट जल्द ही दायर की जाएगी। हेट स्पीच का यह मामला दिसंबर 2021 में 'सुदर्शन न्यूज' के संपादक सुरेश चव्हाणके के नेतृत्व में दिल्ली में आयोजित हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम से संबंधित है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से इस मामले में अब तक हुई जांच का विवरण देते हुए एक हलफनामा दायर करने को कहा था। सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी की तरफ से पेश हुए वकील शादान फरासत ने कहा कि पुलिस ने इस तरह के नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
कोर्ट ने 13 जनवरी को एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी और 2021 में धर्म सभाओं में दिए गए नफरत भरे भाषणों के एक मामले की जांच में कोई प्रगति न होने पर दिल्ली पुलिस सवाल पूछे थे, इस संबंध में जांच अधिकारी से रिपोर्ट भी मांगी थी।
कोर्ट आज तुषार गांधी द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषणों के मामलों में उत्तराखंड पुलिस और दिल्ली पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाया गया है। बैंच ने पिछले साल 11 नवंबर को हुई सुनवाई में उत्तराखंड सरकार और उसके पुलिस प्रमुख को अवमानना याचिका के पक्षकारों की सूची से बरी कर दिया था।
तहसीन पूनावाला वाले मामले में दिए गये सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करते हुए भड़काऊ भाषणों के मामले में निष्क्रियता के लिए दिल्ली और उत्तराखंड के पुलिस प्रमुखों के लिए सजा की मांग करते हुए अवमानना याचिका दायर की गई थी।
तुषार गांधी ने अपनी याचिका में नफरत फैलाने वाले भाषणों और मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए शीर्ष अदालत के दिशानिर्देशों के अनुसार भी कोई कदम नहीं उठाने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की है।
याचिका में दावा किया गया है कि घटना के तुरंत बाद भाषण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध थे, लेकिन फिर भी उत्तराखंड पुलिस और दिल्ली पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। याचिका में आरोप लगाया गया है कि 17 से 19 दिसंबर, 2021 तक हरिद्वार में और 19 दिसंबर, 2021 को दिल्ली में आयोजित 'धर्म संसद' में नफरत फैलाने वाले भाषण दिए गए थे।