सुप्रीम कोर्ट रफ़ाल मामले पर अपने फैसले की समीक्षा के लिए दाखिल याचिकाओं पर विचार करने पर गुरुवार को राजी हो गया। पूर्व कैबिनेट मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने रफ़ाल पर सर्वोच्च न्यायालय के 14 दिसम्बर के फैसले की समीक्षा के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कोर्ट को केन्द्र सरकार ने ‘सीलबंद लिफाफे’ में ग़लत सूचना देकर गुमराह किया है, लिहाज़ा, उस फ़ैसले की समीक्षा की जानी चाहिए।
पहले याचिकाओं को कर दिया था रद्द
इससे पहले प्रधान न्यायाधीष रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस. के. कौल और के. एम. जोसफ की बेंच ने दाखिल चारों याचिकाओं को 14 जनवरी को ख़ारिज कर दिया था। तब अदालत ने कहा था कि वह रफ़ाल सौदे में कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहती, विमानों कीकीमत तय करना उसका काम नहीं है। लेकिन अब सर्वोच्च न्यायालय ने फ़ैसले की समीक्षा के लिए दाखिल याचिकाओं पर विचार करने के लिए हाँ कर दी है।
वरिष्ठ वकील भूषण के मुताबिक़, कोर्ट में एक ऐसी याचिका भी दाखिल की गई है जिसमें अदालत को गुमराह करने वाली सूचना देने पर केन्द्र के कुछ कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई है।
बता दें कि रफ़ाल पर उच्चतम न्यायलय के फैसले में पेज नम्बर 21 में पैराग्राफ 25 पर विवाद खड़ा हुआ था। जिसमें कहा गया था कि रफ़ाल की कीमत की जानकारी कैग(सीएजी) के साथ साझा की गई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट पीएसी यानी लोक लेखा समिति को सौंपी थी। लेकिन पीएसी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि पीएसी को ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है और ना ही सीएजी को इसकी कोई जानकारी थी।