रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी एनसीएलटी ने दिवालिया घोषित कर दिया है। इससे 25000 घर खरीदारों पर बहुत बड़ा संकट आ गया है। एनसीएलटी ने यह कदम सुपरटेक के द्वारा 432 करोड़ रुपए की कर्ज अदायगी न करने के कारण उठाया।
एनसीएलटी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि वित्तीय ऋण के भुगतान में चूक हुई है और इस मामले में हितेश गोयल को सुपरटेक लिमिटेड के बोर्ड की जगह समाधान अफसर नियुक्त किया जाता है।
एनसीएलटी की 2 सदस्यों वाली बेंच ने कहा कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और सुपरटेक की ओर से रखे गए दस्तावेज इस बात को साबित करते हैं कि सुपरटेक ने गलती की थी। एनसीएलटी की बेंच ने इस मामले में सभी पक्षों को सुना और काफी सावधानी पूर्वक विचार के बाद अपना फैसला दिया। इसके अलावा सुपरटेक पर उसकी किसी भी संपत्ति को ट्रांसफर करने, निपटाने या हस्तांतरित करने पर भी रोक लगा दी गई है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने ग्रेटर नोएडा (वेस्ट) में चल रहे सुपरटेक के प्रोजेक्ट के लिए उसे लोन दिया था। सुपरटेक ने साल 2013 में कई वित्तीय संस्थानों से संपर्क किया था तब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने उसे 150 करोड़ रुपए की सहायता दी थी। बैंक और सुपरटेक के बीच 30 दिसंबर, 2013 को अनुबंध भी हुआ था लेकिन सुपरटेक इस पैसे को चुकाने में नाकाम रहा।
सुपरटेक ने कहा है कि वह एनसीएलटी के इस फैसले को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल में चुनौती देगा। हालांकि एनसीएलटी के आदेश का असर सुपरटेक ग्रुप की दूसरी कंपनियों पर असर नहीं होगा।
सुपरटेक ग्रुप के प्रबंध निदेशक मोहित अरोड़ा ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया कि 11 से 12 हाउसिंग प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनके खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इनमें से 90% प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि सुपरटेक पर 1200 सौ करोड़ रुपए का कर्ज है और इसमें से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के भी 150 करोड़ रुपए हैं।
सुपरटेक के कई प्रोजेक्ट दिल्ली और एनसीआर में चल रहे हैं और एनसीएलटी के इस फैसले के बाद सुपरटेक से घर खरीद चुके लोगों के सामने निश्चित रूप से बड़ा संकट आ गया है।