पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर हमला जारी रखा है। जाखड़ ने पार्टी की करारी हार के लिए चन्नी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रभारी हरीश रावत को भी नहीं बख्शा।
जाखड़ ने एनडीटीवी से कहा कि चरणजीत सिंह चन्नी को एक हीरो की तरह पेश किया गया और एक नेता के लिए आपको चाल, चलन और चरित्र की जरूरत होती है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था जो चन्नी पर भरोसा जगाता हो।
जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस चन्नी को हीरो बनाना चाहती थी लेकिन वह दुख के साथ इस बात को कह रहे हैं कि वह चन्नी को स्वीकार नहीं करते।
बता दें कि पंजाब के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। 117 सीटों वाले पंजाब में कांग्रेस सिर्फ 18 सीटें जीतने में कामयाब हुई है जबकि 2017 के चुनाव में उसे 77 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। खुद मुख्यमंत्री चन्नी और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू विधानसभा का चुनाव हार गए हैं।
पंजाब में विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे भूपेंद्र सिंह हनी के वहां ईडी की रेड हुई थी और उनके ठिकानों से करोड़ों रुपये मिलने की बात सामने आई थी। इसे लेकर जाखड़ ने कहा, “चन्नी सरकार के 111 दिनों के कार्यकाल में चन्नी का पूरा परिवार इस तरह काम कर रहा था कि कोई कल नहीं आएगा और हर दिन का इस्तेमाल किया जाए। लोगों की चिंता करने के बजाय उनका पूरा ध्यान ज्यादा पैसे कमाने पर था और आम लोगों के बीच ऐसी ही धारणा बनी।”
जाखड़ ने चरणजीत सिंह चन्नी पर हमला जारी रखते हुए कहा कि आप भ्रष्टाचार के साथ भ्रष्टाचार से नहीं लड़ सकते और चन्नी के भतीजे रंगे हाथों पकड़े गए।
एजेंडे के साथ आए रावत
जाखड़ ने पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रभारी हरीश रावत पर हमला बोला और कहा कि पंजाब में कांग्रेस की हार की कहानी हरीश रावत ने लिख दी थी। उन्होंने कहा कि रावत एक तय एजेंडे के साथ पंजाब में आए थे और यह एजेंडा नवजोत सिंह सिद्धू को प्रमोट करने का था। जाखड़ ने एनडीटीवी से कहा कि उन्होंने राहुल गांधी को इस बारे में बताया था कि हरीश रावत पंजाब के प्रभारी हो सकते हैं लेकिन उन्होंने कभी भी उन्हें अपने प्रभारी के रूप के रूप में स्वीकार नहीं किया।
चुनाव के दौरान सुनील जाखड़ का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह कह रहे थे कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद 42 कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री के रूप में उनके नाम का समर्थन किया था। जबकि सिर्फ कुछ ही विधायक चरणजीत सिंह चन्नी नवजोत सिंह सिद्धू और सुखजिंदर सिंह रंधावा के पक्ष में थे।
जाखड़ पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष होने के साथ ही विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान यह दिख रहा था कि वह नाराज हैं और उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़ने का एलान भी कर दिया था।
पंजाब में कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण पार्टी के बड़े नेताओं के बीच गुटबाजी को ही माना जा रहा है लेकिन इस करारी हार के बाद जिस तरह जाखड़ खुलकर मीडिया में आकर चरणजीत सिंह चन्नी पर हमला बोल रहे हैं, उससे लगता है कि आने वाले दिनों में पंजाब कांग्रेस का घमासान थमने के बजाय और बढ़ेगा।